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*औरत झूठन नहीं है* By – लक्ष्मी कुमावत
Laxmi Kumawat ============ * औरत झूठन नहीं है * सुबह का नाश्ता यूं ही टेबल पर रखा रह गया। किसी ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। मालती जी अपने पति और बेटे को मनाती रह गई। पर दोनों की दोनों अपनी गर्दन ऊंची किए चुपचाप घर से निकल गए। कितने प्यार से दोनों के लिए […]
#कहानी- स्टेशन जो छूट गया
राधा रात के लगभग दस बजे दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी. उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी. वह भीड़ में अपना चेहरा छिपाकर रो रही थी. सामान के नाम पर उसके पास सिर्फ उसका पर्स था. वह बार-बार अपना फोन चेक कर रही थी, मानो जैसे चाहती हो कि फोन पर ही सही […]
ठिकाने ग़म भी मिरा अब मिरे सिवाय लगे।। मैं चाहता भी यही हूँ कि तेरी हाय लगे।। – दाग़ अलीगढ़ी की चंद ग़ज़लें पढ़िये!
दाग़ अलीगढ़ी ============= आह में बदलती हैं सिसकियाँ भी खुलती हैं।। देखना दिसम्बर में सर्दियाँ भी खुलती हैं।। रफ़्ता रफ़्ता बनता है इश्क़ कीमती मोती, चाहतों की चोटों से सीपियाँ भी खुलती हैं।। जब सियासी रक़्क़सा हुक़्म दे तो क़दमों में, तख्तों-ताज गिरते हैं पगड़ियाँ भी खुलती हैं।। राज़ भी बहुत दिन तक राज़ रह […]