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#kissday : होंठों से छू लो तुम…

Pratibha Naithani
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होंठों से छू लो तुम
भारतीय सिनेमा का पहला दीर्घ चुंबन 1933 में आई फिल्म कर्मा में हिमांशु राय और देविका रानी के बीच फिल्माया गया था। इस पर खूब हो-हल्ला मचने के कारण बाद लंबे अरसे तक फिल्मी पर्दे पर ऐसे दृश्यों का सूखा पड़ा रहा । प्रेम गीतों में तोता-मैना या दो फूलों को मिलाकर प्रणय के संकेत दिए जाते थे। सत्तर के दशक तक लगभग ऐसा ही चला। अस्सी के दशक में चुंबन की कुछ हल्की-फुल्की शुरुआत हो चुकी थी। ‘मिस्टर इंडिया’ का ‘लो आज मैं कहता हूं’ गीत में श्रीदेवी का अपने अदृश्य प्रेमी के साथ चुंबन दर्शकों को आज़ भी याद है । नब्बे के दशक में ऐसे ही एक दृश्य ने करिश्मा कपूर के डूबते करियर की नैया पार लगाई थी ‘राजा हिंदुस्तानी’ में। फिर तो फिल्मों में ऐसे दृश्यों की बाढ़ आ गई । इसी अति के बीच 2004 में आई ‘मर्डर’ में मल्लिका शेरावत पर चुंबनों की बरसात के बाद इमरान हाशमी को तो टाइटल ही मिल गया ‘सीरियल किसर’ ‌।

निर्माता भूल ही गए कि चुंबन की चाशनी बिना भी लगान,गदर, जुबैदा, मुन्नाभाई एमबीबीएस,तारे ज़मीन पर, चक दे इंडिया, थ्री इडियट्स, परिणिता जैसी फिल्में बड़ी हिट हुई थीं। ऐसी ही साफ-सुथरी फिल्मों के क्रम में करीना-शाहिद कपूर की ‘जब वी मेट’ और कंगना रनौत की ‘क्वीन’ भी आई, जिनमें चुंबन तो था, मगर गैर-जरूरी और अश्लील नहीं। आप लोगों को भी याद होगा कंगना और इटालियन सैफ का वह चुंबन, जिसके आख़िर में वह यह कहकर भाग जाती है – ‘ये इंडिया के लिए’ 💕