साहित्य

असली वारिस….मरने वाले ने मेरे 15 लाख देने है, पहले मुझे मेरे पैसे दो फिर उसको जलाने दूंगा!

एक बड़े शहर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गयी, जब उनकी अर्थी शमशान ले जाने के लिए तैयार हुई तभी वहाँ खड़ा एक आदमी आगे आया और अर्थी के आगे खड़ा होकर उसको आगे से पकड़ लिया का और बोला के मरने वाले ने मेरे 15 लाख देने है, पहले मुझे मेरे पैसे दो फिर उसको जलाने दूंगा।

वहाँ खड़े तमाम लोग तमाशा देख रहे है, तभी उनके बेटों ने कहा के मरने वाले ने तो हमें कभी कोई ऐसी बात कही नही की उनको किसी को कोई पैसा देना है और अब तो वह तो मर चुके है, इसलिए अब हम तो नही दे सकतें है उनका मुआवजा। अब उस व्यक्ति के भाइयों ने भी कहा के जब उनके बेटे जिम्मेदार नही तो हम क्यों दें। अब सारे के सारे वही खड़े होकर एक दुआरे को देखने लगे और वह आदमी अभी भी उनकी अर्थी पकड़े हुवे लहद रहा, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो यह बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई।

मरने वाले कि एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो उसने फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दी और कहा के भगवान के लिए ये रकम और ज़ेवर बेच के उसकी जो रकम हो तुम रखो पर मेरे पिताजी की अर्थी को ना रोको। और अगर इसके बाद कभी कोई कर्ज बाकी रह गया तो में आपकी बची बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी पर अपने मरने से पहले आपका सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी।

अब वह अर्थी पकड़ने वाला आदमी तुरंत अर्थी छोड़ कर खड़ा हुआ और वहाँ खड़े सारे व्यक्तियों से बोला : असल बात यह है की मुझे मरने वाले से 15 लाख ₹ लेना नही बल्कि उसका 15 लाख ₹ देना है और मैं उनके किसी वारिस को में जानता नही था तो मैने सोच क्यो न ये खेल खेला जाये जिससे मरनेवाले के सही वारिस का पता लग जायेगा। और अब मुझे पता चल चुका है की उसकी असली वारिस यही एक बेटी है और इसके अलावा उसका कोई बेटा या भाई या अन्य कोई नही है।

दोस्तों यही दुनियां की सच्चाई है अपने जीते जी तो सभी आपको अच्छे लगते है क्योंकि वो आपसे नही बल्कि आपकी धन दौलत से प्यार करते है परंतु सच्चा वारिस या अपना वहीं होता है जो अपने दुख तकलीफ में हमारे काम आये, हमें सहारा दे, हमारी चिंता करें। बाकी सब दुनिया तो आनी जानी माया है। सभी से विन्रम निवेदन है बेटियां भगवान की दी अनमोल धरोहर है उन्हें बचायें उन्हें पढ़ाये। क्योंकि बेटी है तो कल है।
#लक्ष्मीकान्त पाण्डेय

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