

Related Articles
एक औरत के त्याग की कहानी : पगलिया
Mritunjay Pandey =========== एक औरत के त्याग की कहानी: पगलिया “ए सुनीता, देखो पगलिया बैठी है दुआर पर. कुछ बचा है तो दे दो खाने को. इसका भी ना जाने कौन जनम का कर्जा खाए हैं. दोनों बेर (वक्त) का खाना महरानी को यहीं से चाहिए. जैसे कि नौकर लगे हों इनके.“ नलके का हैंडिल […]
यादों का पिटारा : ”माँ को अपने हिस्से का प्यार तो मिला पर उनके ना रहने पे”
Madhu Singh ================ आज पीले खतों ने शांति निवास में यादों का पिटारा खोल दिया था घर की बहू सीमा आज अपने पति अमन और ससुरजी शिवकुमार के सामने किसी अपराधी की तरह खड़ी थी। सीमा कभी अमन से तो कभी अपने ससुरजी से लगातार बोले जा रही थी “बाबूजी मुझे माफ़ कर दीजिए।मैं तो […]
क्यों री, यही बातें करने जा बैठती थी तू उनके पास!
Laxmi Kumawat ============= * मैंने तुम से शादी की है, तुम्हारी मां को गोद नहीं लिया है* “तुम्हें तो मेरे माता पिता की सेवा के लिए लाया गया है, उससे ज्यादा तुम्हारा मेरा कोई रिश्ता नहीं ” सुदेश के ये शब्द अभी भी मालिनी के कानों में गूंज रहे थे। ऐसे लग रहा था कि […]