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क्या लद्दाख में भारत की ज़मीन पर हमारे चरवाहे, चीनी सैनिकों से अकेले निपटने को मजबूर हैं : जयराम रमेश ने पूछा

हाल ही में लद्दाख के चुशुल सेक्टर में भारतीय चरवाहों और चीनी सैनिकों के बीच हुई तीखी कहासुनी का एक वीडियो वायरल हो गया था। उसके बाद इस मामले में तूल पकड़ लिया। सोशल मीडिया में भारतीय चरवाहों की खूब वाहवाही हुई। अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संचार) एवं संसद सदस्य जयराम रमेश ने भी अपना वक्तव्य जारी किया है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कई सवाल पूछे हैं। क्या लद्दाख में भारत की जमीन पर हमारे चरवाहे, चीनी सैनिकों से अकेले निपटने को मजबूर हैं। जयराम रमेश ने पूछा, क्या उन्हें (भारतीय चरवाहे), चीनी उत्पीड़न से बचाने के लिए कोई प्रयास किया गया है या वे आईटीबीपी के समर्थन के बिना खुद ही अपना बचाव करने को मजबूर हैं, जैसा कि वायरल वीडियो में दिख रहा है।

विदेश मंत्रालय ने दी हल्की प्रतिक्रिया

संसद सदस्य जयराम रमेश के मुताबिक, चुशुल सेक्टर में भारतीय चरवाहों को चरागाहों तक जाने से रोकने और उन्हें परेशान करते हुए चीन के सैनिक ‘पीएलए’ का एक वीडियो सामने आया था। इसे लेकर विदेश मंत्रालय ने बेहद हल्की प्रतिक्रिया दी है। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है, लेकिन मोदी सरकार से यही उम्मीद की जा सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कथित तौर पर कहा है कि ‘दोनों पक्ष पारंपरिक चरागाह क्षेत्रों से अवगत हैं और गतिरोध की किसी भी घटना से मौजूदा तंत्र के तहत निपटा जाता है’।

बतौर रमेश, यदि हम मौजूदा तंत्र की बात करें, तो हमने देखा है कि कैसे मोदी सरकार 18 दौर की सैन्य वार्ता के बावजूद, पिछले चार वर्षों से पूर्वी लद्दाख में हमारे सैनिकों और चरवाहों को 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक जाने में रुकावट डाल रहे चीनियों को रोकने में विफल रही है।

यह मामला सिर्फ विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के ही अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सीमा प्रबंधन, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह सुनिश्चित करना केंद्रीय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि भारतीय चरवाहे, भारतीय क्षेत्र के अंदर नागरिक के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें। कांग्रेस पार्टी गृह मंत्री अमित शाह से तीन सवालों का जवाब मांगती है। पहला, एलएसी पर भारत के दावे वाले क्षेत्रों में मई 2020 के बाद से चीन के बॉर्डर गार्ड्स द्वारा हमारे चरवाहों को परेशान किए जाने या पीछे धकेले जाने के कितने मामले आए हैं। दूसरा, क्या इन टकरावों में हमारे चरवाहों को किसी तरह की चोट आई है या क्षति हुई है। तीसरा, क्या उन्हें चीनी उत्पीड़न से बचाने के लिए कोई प्रयास किया गया है या वे आईटीबीपी के समर्थन के बिना ही खुद का बचाव करने को मजबूर हैं, जैसा कि वीडियो में दिख रहा है।