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चाय बने तो पियें…
गांव में सुबह-सुबह 4-5 बजे ही चिडियों की चहचाहट, गाय-भैंसों के रमभाने की आवाज शुरू हो जाती है… घर के बड़े बुजुर्ग जाग कर कुल्ला-मंजन करके बिस्तर पर बैठ जाते हैं कि चाय बने तो पियें। छोटे बच्चे तो अपनी माँ संग ही उठ जाते हैं। माँ उनका हाथ-मुहँ धोकर तेल-काजल लगाकर बड़े बुजुर्गों के […]
“क…क.. कुछ…कुछ नहीं”…लेकिन तुम्हारी काजल भरी बड़ी-बड़ी आँखों से डरकर दोबारा हिम्मत ही नहीं हुई…
Rashi Singh ============== सीढ़ियों से उतरती अपनी भीगी लटों को माथे से हाथों से संभालने की बेमानी कोशिश करती ललिता को नीचे खड़ा माही एकटक देखे जा रहा था। “क्या हुआ? ” ललिता ने हंसते हुए पूछा तो वह झेंप गया। “क … क.. कुछ.. कुछ नहीं। ” वह हकलाते हुए बोला। “देख तो ऐसे […]
यह वही ‘भाड़’ है जहाँ गुस्साया हुआ आदमी जाने को बोलता है और जिसे ‘अकेला चना’ कभी नहीं फोड़ सकता!
Sanjay Khare ============ यह वही ‘भाड़’ है जहाँ गुस्साया हुआ आदमी जाने को बोलता है और जिसे ‘अकेला चना’ कभी नहीं फोड़ सकता। इसे देखकर कुछ याद आया?कुछ लोगों को बचपन में शायद यह ‘भाड़’ देखने का सौभाग्य मिला हो,जो अब लगभग लुप्तप्राय है। इस ‘भाड़’ में एक तरफ मुँह (Inlet) होता था। जिधर से […]