दुनिया

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस दक्षिण अफ़्रीका के इसराइल पर जनसंहार के आरोपों पर विचार नहीं करेगी : रिपोर्ट

नीदरलैंड्स के हेग में मौजूद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में इसराइल के ख़िलाफ़ ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ नरसंहार करने के आरोपों की सुनवाई हो रही है.

ये मुकदमा दक्षिण अफ़्रीका ने दायर किया था.

अदालत दक्षिण अफ़्रीका की तरफ़ से प्रस्तावित नौ आपात कदमों पर विचार करेगी. लेकिन वो दक्षिण अफ़्रीका के इसराइल पर जनसंहार के आरोपों पर विचार नहीं करेगी. इसराइल इन आरोपों से इनकार करता रहा है.

अदालत जिन प्रस्तावित कदमों पर विचार करेगी, उनमें इसराइल का ग़ज़ा में तत्काल सैन्य अभियान निलंबित किया जाना शामिल है.

जज जोआन डोनोगाउ ने कहा कि अदालत लोगों की मौतों और पीड़ा को लेकर ‘गंभीर रूप से चिंतित’ है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले का दायरा सीमित है.

जज ने सुनवाई के दौरान हमास के इसराइल पर सात अक्टूबर को हुए हमले का भी ज़िक्र किया. जज ने कहा कि इसराइल पर लगे कुछ आरोप जेनोसाइड कन्वेंशन के प्रावधानों के अंदर हैं.

जज ने कहा कि जेनोसाइड कन्वेंशन में शामिल कोई भी पार्टी दूसरे देश के ख़िलाफ़ मामला दायर कर सकता है इसलिए दक्षिण अफ्ऱीका के पास ये मुकदमा दायर करने का कानूनी आधार है.

सुनवाई के दौरान जज ने संयुक्त राष्ट्र आपत राहत कॉर्डिनेटर मार्टिन ग्रिफिथ्स का बयान भी कोट किया कि ‘ग़ज़ा मौत और निराशा का प्रयाय बन चुका है.”

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के बाहर इसराइली और फ़लस्तीनी समर्थक भी जमा हुए हैं.

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में 11 जनवरी से इसराइल के ख़िलाफ़ दर्ज मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी.

दक्षिण अफ़्रीका ने इसराइल पर ये आरोप लगाए थे

दक्षिण अफ्रीका ने 84 पृष्ठों की एक अपील दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि इसराइल की कार्रवाई की प्रकृति जनसंहार की है क्योंकि उनकी मंशा, ग़ज़ा में फ़लस्तीनी लोगों की अधिक से अधिक तबाही है.

इसमें कहा गया है कि जनसंहार की कार्रवाई में फ़लस्तीनी लोगों की हत्या, गंभीर मानसिक और शारीरिक क्षति पहुंचाना और ऐसे हालात पैदा करना शामिल है, जिसका उद्देश्य “सामूहिक रूप से उनकी तबाही है.”

आईसीजे में दायर अपील के अनुसार, इसराइली अधिकारियों के बयानों में भी जनसंहार की मंशा झलकती है.

इसराइल ने क्या कहा था

इसराइली क़ानूनी सलाहकार ताल बेकर ने कोर्ट में कहा कि दक्षिण अफ़्रीका सच को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है, वो इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष के बारे में “सच से परे व्यापक विवरण पेश कर रहा है.”

12 जनवरी को कोर्ट में अपनी दलील शुरू करते हुए ताल बेकर ने ये स्वीकार किया कि ग़ज़ा में आम नागरिक जो कष्ट झेल रहे हैं वो “त्रासदी है.”

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास “इसराइल और फ़लस्तीनियों को हो रहे नुक़सान को बढ़ाना” चाहता है जबकि “इसराइल इसे कम करना चाहता है.”

उन्होंने कहा, “ये दुख की बात है कि दक्षिण अफ़्रीका ने कोर्ट के सामने बेहद तोड़-मरोड़ कर तथ्यात्मक और क़ानूनी तस्वीर को पेश किया है. ये पूरा मामला मौजूदा संघर्ष की हकीकत के संदर्भ से हटकर और जोड़-तोड़ वाले विवरण के आधार पर जानबूझकर बनाया गया है.”

इसराइल पर जनसंहार का मुकदमा, इंटरनेशनल कोर्ट में आज जो हुआ, वो यहां समझिए

इसराइल के हमले झेल रहे ग़ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम करने के दक्षिण अफ़्रीका के आग्रह पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे ने सहमति नहीं जताई है.

ये कुछ ऐसा है जिससे दक्षिण अफ़्रीका और फ़लस्तीनी लोगों को निराशा हो सकती है.

हालांकि, सुनवाई कर रहे 17 जजों में से ज़्यादातर ने ये कहा कि इसराइल को अपनी क्षमता के अनुसार हर वो चीज करनी चाहिए जिससे फ़लस्तीनी लोगों की मौतों, शारीरिक या मानसिक तौर पर क्षति पहुंचाने से बचाया जा सके.

कोर्ट ने ये भी कहा कि इसराइल को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो फ़लस्तीनी महिलाओं को बच्चों को जन्म देने में बाधा पहुंचाता हो.

जनसंहार पर अदालत का ये अंतिम फ़ैसला नहीं है. ऐसा प्रतीत होता कि इस बारे में निर्णय लेने में कई साल लगेंगे. इसराइल को अब इस पर निर्णय लेना है.

आईसीजे के फ़ैसले बाध्यकारी तो हैं लेकिन इसको लागू करनेवाले के लिए कोई व्यवस्थित सिस्टम नहीं है. संघर्षविराम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयास जारी हैं.

ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने को और बेहतर करने के भी प्रयास हो रहे हैं तो ऐसे में इसराइल अदालत के सामने ये तर्क रख सकता है कि वो अदालत की मांगों पर तो पहले से ही कदम उठा रहा है.