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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मौक़े पर लालकृष्ण आडवाणी ने लेख के ज़रिए अपने पुराने दिनों को याद किया

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक लेख के ज़रिए अपने पुराने दिनों को याद किया, जब वह इस मंदिर के आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे.

आडवाणी ने लिखा है, “श्रीराम भारत की आत्मा का प्रतीक हैं. वह भारतीयों के उच्च मूल्यों का जीवन जीने की आकांक्षा के एक आदर्श हैं.”

वह लिखते हैं, “मैंने सदैव कहा है कि मेरी राजनीतिक यात्रा में अयोध्या आंदोलन सबसे निर्णायक परिवर्तनकारी घटना थी, जिसने मुझे भारत को पुनः जानने और इस प्रक्रिया में अपने आप को भी फिर से समझने का अवसर दिया. नियति ने मुझे 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक श्रीराम रथयात्रा के रूप में एक महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाने का अवसर दिया.”

आडवाणी ने बताया कि कैसे सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकली उनकी रथयात्रा को जनता का समर्थन मिला और लोगों ने पुष्पवर्षा करते हुए उनके रथ का स्वागत किया.

उन्होंने लिखा, “मेरे लिए सबसे आश्चर्यजनक दृश्य वह था, जिसमें लोग विशेष रूप से महिलाएं, रथ के आगे आकर आरती करती थीं और सिक्के चढ़ाती थीं, जैसे कि वे किसी मंदिर में प्रार्थना कर रही हों.”

वह लिखते हैं, “मेरी यात्रा 24 अक्तूबर, 1990 को उत्तर प्रदेश के देवरिया में प्रवेश करने वाली थी. हालांकि, जैसा कि मैंने अनुमान लगाया था, इसे 23 अक्तूबर को बिहार के समस्तीपुर में रोक दिया गया और लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार ने मुझे गिरफ़्तार कर लिया.”

…जब हुए गिरफ़्तार

“उस समय मोबाइल फ़ोन नहीं थे. मेरी गिरफ़्तारी की ख़बर मेरी बेटी प्रतिभा तक बड़े दिलचस्प ढंग से पहुँची, जो उस समय कोलकाता में थी. वह अपने घर वापस जाने के लिए टैक्सी की प्रतीक्षा में थी, तभी एक टैक्सी ड्राइवर ने उनसे कहा कि वह झटपट सवार हो जाएं. जब प्रतिभा ने उनसे पूछा कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें बताया कि आडवाणी ‘बाबा’ को गिरफ़्तार कर लिया गया है और लोगों को डर था कि शहर में दंगे हो सकते हैं. दो दिन बाद प्रतिभा ने लालू प्रसाद यादव से बात की, जिन्होंने मेरी हिरासत के दौरान उन्हें मसानजोर में मुझसे मिलने आने में सहायता की. पाँच सप्ताह हिरासत में बिताने के बाद मुझे रिहा कर दिया गया.”

लालकृष्ण आडवाणी ने आख़िर में लिखा है कि उन्हें इस वक्त दो व्यक्तियों की बहुत याद आ रही है. पहले व्यक्ति हैं स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, जो उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं. दूसरी उनकी दिवंगत पत्नी कमला की, जो उनके जीवन के लिए स्थिरता का मुख्य आधार रहीं.