

कश्मीरा शाह चतुर्वेदी
जैसे किसी का इंतेजार कर रहा हो फिर तो जैसे मामूल बन गया और में रोज़ वापसी पर उसे इसी तरह बाइक पर बैठे देखती। हमारा घर शहर के महंगे तरीन इलाके में होने की वजह से बिउमुम बाइक बहुत कम देखी जाती थीं
मैंने पूछा के: आप हमारे घर के सामने घण्टों क्यों खड़े रहते हो ??
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