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Madhu Singh ================= मोहन गाँव से नौकरी के सिलसिले में मुंबई, अपने चाचा चाची के घर आया था। गाँव के माहौल में पला बढ़ा मोहन शहरी मिज़ाज से बिल्कुल अनभिज्ञ था। यहाँ का रहन-सहन, खानपान, चलना फिरना बोलना चालना कुछ भी उसे मालूम नहीं था। मोहन के चाचा के चार बच्चे थे, दो बेटे और […]
”कहीं समधी तुम्हारे साथ ही फेरे लेने की ज़िद न कर बैठें”
रंगबाज सेना ================== शादी के कुछ सालों बाद ही रंभा और आशुतोष का वैवाहिक जीवन टूटने की कगार पर पहुंच गया. आज सलोनी विदा हो गई. एअरपोर्ट से लौट कर रंभा दी ड्राइंगरूम में ही सोफे पर निढाल सी लेट गईं. 1 महीने की गहमागहमी, भागमभाग के बाद आज घर बिलकुल सूनासूना सा लग रहा […]
छड़ी की मार…..बस मुझे छूना नहीं कभी भी….कभी भी नहीं….।
संजय नायक ‘शिल्प’ ============= चन्द्ररूपायनम (छड़ी की मार…..) चन्द्र जैसे ही घर से साइकिल निकाल कर बाहर आया , वैसे ही मुहल्ले का आधा पागल लड़का गुल्लू वहाँ आ गया, वो चन्द्र से बहुत लगाव रखता था। गुल्लू का पिता ज्यादा शराब के सेवन से मर चुका था और उसकी माँ घरों में झाड़ू पोंछे […]