जयपुर।अजमेर के अढ़ाई दिन का झोपड़ा (मस्जिद) को लेकर भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ने पहले विवादित बयान दिया और अब इसे लेकर केंद्र सरकर को पत्र भी लिख दिया है। जिसमें सरकार से इसे मूल स्वरूप में परिवर्तित करने की मांग की गई है। बोहरा ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा (Adhai Din Ka Jhopra) वेद पुराणों के प्रसारक का केंद्र रहा है, जिसे मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़ दिया था। इस्लामिक दासता यह चिह्न आज भी भारतीय समाज के लिए कलंक है।
झलकती है गुलामी की मानसिकता
इससे पहले सांसद बोहरा ने राजस्थान विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम इसे लेकर बयान भी दिया था। उन्होंने कहा था- अढ़ाई दिन के झोपड़े से गुलामी की मानसिकता झलकती है। अब इससे मुक्ति पाने के दिन आ गए हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब इस इमारत में फिर से संस्कृत के मंत्र गूंजेंगे और संस्कृत के मंत्रों का पाठ किया जाएगा। इस कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र भी मौजूद थे।
क्या है अढ़ाई दिन के झोपड़े का इतिहास?
1192 ईस्वी में अफगान सेनापति मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ बनवाया था। इससे पहले यहां संस्कृत विद्यालय और मंदिर थे, जिन्हें तोड़कर मस्जिद में बदल दिया गया था। इस झोपड़े के मुख्य द्वार पर संगमरमर से बना एक शिलालेख भी है, जिस पर संस्कृत विद्यालय का जिक्र किया गया है।