धर्म

एक बंदे के लिए नेक अमल के बाद दुआ ही का सहारा होता…By-फ़ारूक़ रशीद फ़ारुक़ी है

Farooque Rasheed Farooquee

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. कोई शय हो तुझसे ऐ मालिक-ए-हाजात माॅंगी है
समन्दर ने किसी दरिया से कब ख़ैरात माॅंगी है

एक बंदे के लिए नेक अमल के बाद दुआ ही का सहारा होता है। दिल में गुज़रने वाला हर ख़्याल दुआ है। अल्लाह से ख़ामोश फ़रियाद, आसमान की तरफ़ उठती बेबस निगाहें और आंखों से बहते आंसू दुआ हैं। दुआ आह है, अंधेरी रात में गिरने वाला आंसू है, अल्लाह के सामने सर झुक जाना और बेक़रार दिल की धड़कन दुआ है। किसी दूर रहने वाले को मोहब्बत से याद करना दुआ है, दिल की हर आरज़ू दुआ है। दुआ देने वाले के दर पर कभी हम सवाली बनकर जाते हैं और कभी दुआ देने वाला हमारे दर पर दस्तक देता है। हम किसी की दुआ का असर हैं और हमारी दुआएं किसी और ज़माने को असर देंगी।

जो बातें किसी से कही नहीं जा सकतीं वह भी दुआ बनकर उभरती हैं। अल्लाह बंदे के दिल में गुज़रने वाला हर ख़्याल जानता है। अल्लाह बंदे के मामलात और उसकी ज़िंदगी के लम्हात से उतना वाक़िफ़ है जितना बंदा भी वाक़िफ़ नहीं। बंदा अपना गुज़रा हुआ वक़्त भूल जाता है, वह अपनी बहुत-सी बुराइयां और भलाइयां भुला देता है, अपने और दूसरों के ज़ुल्म भूल जाता है। इंसान आने वाले वक़्त के बारे में नहीं जानता। अल्लाह कुछ नहीं भूलता और न उससे चूक होती है।

हर दुआ जो क़ुबूल होती है अल्लाह की रहमत से क़ुबूल होती है। दुआ करने से पहले अपनी ज़िन्दगी और अपने आमाल पर ग़ौर करना चाहिए। अमल को दुआ के ख़िलाफ़ नहीं होना चाहिए। दुआ का ताल्लुक़ नेक नीयत और नेक अमल से होता है। जिस मक़सद के लिए दुआ करें उसके लिए हर मुमकिन कोशिश करें, हर गुनाह से बचने की कोशिश करें, दुआओं को दिल की गहराइयों में जगह दें और किसी का दिल न दुखाएं। अल्लाह हम सबकी जायज़ दुआओं को क़ुबूल फ़रमाएं। आमीन सुम्मा आमीन!

(फ़ारूक़ रशीद फ़ारुक़ी)