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बिहार सरकार की मंत्री अनीता देवी ने अक्षत वितरण पर सवाल खड़ा करते हुए कहा-अक्षत वितरण के नाम पर ग़रीबों का शोषण किया जा रहा है!

पटना।डेहरी के राजद के विधायक फतेह बहादुर सिंह और शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर के बाद अब सत्तारूढ़ पार्टी के अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ने बयान दिया है। बिहार सरकार की मंत्री अनीता देवी ने भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अक्षत वितरण पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि अक्षत वितरण के नाम पर गरीबों का शोषण किया जा रहा है। घर-घर में अक्षत पहुंचाने के नाम पर गरीबों से उगाही की जा रही है। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गरीबों के घर आज अक्षत देने की जरूरत नहीं है। उसके जगह पर संविधान की कॉपी देनी चाहिए। ताकि गरीब-पिछड़े लोग अपना अधिकार को समझें तथा उसकी लड़ाई लड़े।

अक्षत वितरण के नाम पर गरीबों का किया जा रहा शोषण

बिहार सरकार की अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनीता देवी ने डेहरी में सावित्रीबाई फुले के जयंती समारोह में भाषण देते हुए कहा कि पूरे देश में प्रचार किया जा रहा है कि 22 जनवरी को भगवान श्री राम आएंगे। ऐसा लग रहा है कि इससे पहले भगवान श्री राम धरती लोक पर कभी नहीं आए थे। अब 22 जनवरी को भगवान श्री राम पहली बार आ रहे हैं। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर अक्षत वितरण को पाखंड बताया। अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनीता देवी ने कहा कि अक्षत की जगह पर संविधान का वितरण होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अक्षत वितरण के नाम पर गरीबों का शोषण हो रहा है।

क्या कहा था राजद मंत्री फतेह बहादुर ने
राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह ने सात दिन पहले विवादित बयान दिया था। उन्होंने अयोध्या मंदिर को लेकर कहा कि उस मंदिर से सिर्फ पाखंडी और मनुवादी समाज का ही विकास हो सकता है। उस मंदिर से रोजगार किसको मिलेगा। अयोध्या के अस्तित्व को लेकर उन्होंने कहा था कि वह जगह साकेत थी, अयोध्या वहां थी ही नहीं। साकेत गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक की धरती है। साकेत की धरती पर विश्वविद्यालय, कॉलेज और अस्पताल बनने चाहिए थे।

शिक्षा मंत्री ने राजद मंत्री फतेह बहादुर का ऐसे किया था समर्थन
राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह का समर्थन करते हुए शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर ने कहा था कि फतेह बहादुर सिंह ने मंदिर और अस्पताल में से चुनने की बात कही थी। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा था कि फतेह बहादुर की जीभ और गले की कीमत घोषित करने वाले यह जान लें कि अब एकलव्य की तरह आहुति देंगे नहीं, लेंगे।