छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले 50 सामाजिक और राजनीतिक संगठन हसदेव अरण्य के जंगलों के अंदर पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं.
संघर्ष समिति ने रविवार को एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था.
इस प्रदर्शन के चलते इस इलाक़े की चारों तरफ़ से नाकेबंदी कर दी गई. हसदेव अरण्य और इसके अंदर मदनपुर, जहां धरना चल रहा है, उधर आने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए गए थे और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था.
इसकी वजह से लोगों को धरना स्थल तक पहुंचने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
हसदेव मामला म गिरफ़्तारी घर से उठा लिस पुलिस प्रशासन
हज़ारों के संख्या म हसदेव अरण्य निकलने वाला रहिस क़ाफ़िला।#हसदेव_बचाओ_आदिवासी_बचाओ #हसदेव_जंगल_बचाओ pic.twitter.com/aKimKLcrW8
— Jaydas Manikpuri (@JayManikpuri2) January 7, 2024
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक आलोक शुक्ला ने आरोप लगाया कि उनके कार्यकर्ताओं को पुलिस ने जगह जगह रोक दिया और टोल नाकों से आगे नहीं बढ़ने दिया गया. बहुत सारे लोग दूसरे रास्तों से पैदल चलकर धरनास्थल पर पहुंचे.
धरने पर कई वक्ताओं ने कहा कि हसदेव बचाओ आंदोलन को छत्तीसगढ़ से बाहर दिल्ली तक ले जाएंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने चेतावनी दी कि छत्तीसगढ़ से कोयले को राज्य से बाहर नहीं ले जाने देंगे और बॉर्डर सील करेंगे जिस तरह किसान आंदोलन के समय दिल्ली में किया गया था.
ये आंदोलन पिछले दो सालों, यानी 675 दिनों से ज़्यादा समय से चल रहा है. साल 2022 में सबसे पहले पेड़ों की कटाई शुरू हुई थी, इसके एक हिस्से में कोयला खनन के लिए एक निजी कंपनी को अनुमति दी गई थी.
हसदेव अरण्य में लंबे समय से आदिवासी खदान और विस्थापन के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं.
छत्तीसगढ़ की सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट में खुद पिछले साल हलफ़नामा दिया कि हसदेव में किसी नये खदान की जरुरत नहीं है.
लेकिन नई खदानों पर अब तक कोई रोक नहीं लगाई गई. pic.twitter.com/DJPFXS29Rt
— Alok Putul (@thealokputul) January 5, 2024
उस समय 40 हेक्टेयर में ये पेड़ काटे गए थे. इस बार 2023 के अंत में यानी बीते दिसम्बर में पेड़ों की फिर से कटाई शुरू हुई और इसका विरोध गांव के लोग कर रहे हैं.
कोयला खनन के दूसरे चरण के लिए यरह इलाक़ा खाली कराया जा रहा है.
इस प्रदर्शन में गोंडवाना गनतंत्र पार्टी समेत आदिवासियों के तमाम संगठन शामिल हुए. सात ही आम आदमी पार्टी और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े राकेश टिकैत के कार्यकर्ता भी पुहंचे हैं.
इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज भी शामिल हुए लेकिन उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि पिछले पांच साल तक कांग्रेस का शासन रहा.
आदिवासियों का आरोप है कि उस दौरान फर्ज़ी ग्राम सभाएं आयोजित कराई गई थीं और कांग्रेस ने बाद में इन्हें रद्द करने का भरोसा दिलाया था. लेकिन उस पर कुछ नहीं किया गया.
दीपक बैज ने भी स्वीकार किया कि उनकी पार्टी के शासन के दौरान कुछ ग़लतियां हुईं.
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सलमान रावी
बीबीसी संवाददाता
हसदेव मामला म गिरफ़्तारी घर से उठा लिस पुलिस प्रशासन
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देखिए प्रदर्शन की तस्वीरें