साहित्य

लेखक, संजय नायक ‘शिल्प’ की====कहानी “मरीज़” अंतिम किश्त, पढ़िये!

संजय नायक ‘शिल्प’
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कहानी “मरीज” अंतिम किश्त
‘…………आज भी वो मुस्कान वैसी ही थी जैसे पांच साल पहले थी’ उसने मन ही मन सोचा और सीने से तस्वीर को लगा आँखें बंद कर ली । तभी दरवाजे पर जोर जोर से दस्तक हुई “दरवाजा खोलिए लेक्चरर साहब कब तक सोते रहेंगे ?” बाहर से किसी लड़की की आवाज आई । उसने झट से वो तस्वीर उस किताब में रख कर किताब को तकिये के निचे छुपा दिया ओर उठकर दरवाजा खोला ।

“क्या लेक्चरर साहब आप भी घोड़े बेचकर सो रहे थे क्या …मेरे हाथ में रखी चाय ठंडी होने को है और आप धीमी गति के समाचार की तरह उठकर आये हैं । हाँ और अब आपकी तबियत कैसी है ? आपका नाम तो गिनीज बुक में होना चाहिए जिन्हें बारिश में भीगते ही बुखार हो जाता है ।जल्दी से ठीक हो जाइये वर्ना कॉलेज की जाने कितनी लड़कियां आपके कॉलेज नहीं आने से बीमार पड़ जाएँगी । ” वो लड़की धड़ाधड़ बोले जा रही थी ।

सौरभ ने उसके हाथ से चाय लेकर उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया । “अरे ये क्या बात हुई हमारी इतनी बेज्जती करते हो ? हम तो चाय लाये हैं आपके लिए और आप हैं कि हमें दरवाजे से ही टरका दिया ! आप कालेज में होंगे हमारे मास्टरजी यहाँ तो गेस्ट हैं पेइंग गेस्ट समझे ? ” और लड़की भुनभुनाते हुए वहां से चली गई |

सौरभ ने चाय ख़त्म की ही थी की कि दरवाजे पर फिर दस्तक हुई “ सौरभ सोए हो कि जागे हो ?” बाहर से अवतार जी की आवाज़ आई । अवतार जी भी उसी कालेज में प्रोफेसर थे जिसमें सौरभ था । उन्होंने सौरभ को पेइंग गेस्ट रखा हुआ था। कहने को सौरभ उनका पेइंग गेस्ट था वैसे वो उसे अपने परिवार के सदस्य से कम न समझते थे । सौरभ ने दरवाजा खोला तो देखा अवतार जी के हाथ में कुछ रिपोर्ट्स व दवाइयां थी उनके चेहरे पर घबराहट थी ।
वो आकर सौरभ के बगल में बैठ गए बोले “अब कैसा लग रहा है तबियत में कुछ सुधार है? “

“रिपोर्ट्स आ गई क्या कहा डॉक्टर ने?” सौरभ ने पूछा।
“सौरभ यार मेरी बात मानेगा अपनी दीदी और जीजाजी को बता दे तेरी तबियत का। ” अवतार बोले
“क्यूँ क्या बात है अवतार सर रिपोर्ट्स में क्या आया है बताएँगे कुछ ? ” सौरभ ने पूछा ।

“तुम्हे टी.बी. हो गई है सौरभ और डॉक्टर कह रहा है कि तुम्हारे पास हमेशा कोई केयर टेकर रहना ज़रुरी है , जो तुम्हारी देखभाल कर सके और तुम्हारी दीदी और जीजाजी को सूचना देना बहुत जरुरी है|” अवतार बोले
“नहीं अवतार सर ! आप डॉक्टर से कह दीजिये वो किसी नर्स की व्यवस्था कर दें । मैं नहीं चाहता दीदी और जीजाजी को अभी खबर हो अगर मुझे लगा तो मैं बता दूंगा। ”सौरभ ने कहा ।

शाम को डॉक्टर अपने साथ एक नर्स को लेकर आये तो सौरभ सो रहा था शायद दवाइयों के असर से उसे गहरी नींद आ गई थी “सिस्टर अभी पेशेंट गहरी नींद में सोया है आपके रहने की व्यवस्था मिस कोमल के कमरे में करवा दी गई है । पेशेंट को दवा के साथ साथ सहानुभूति की भी जरूरत है वो जीवन से हार मान गया है या यूँ कहूँ कि वो जिन्दगी और मौत में से मौत को चुन रहा है । इस मरीज को ठीक करना हमारे लिए चुनौती भरा है और मुझे आशा है हम कामयाब होंगे। आपका सामान मिस कोमल के कमरे में रखवा दिया गया है कुछ देर बाद जाकर मरीज को संभाल आना ।”

डॉक्टर के जाने के कुछ देर बाद नर्स सौरभ के कमरे में उसे सँभालने गई । मरीज अभी भी सो रहा था उसने वहां रखी मरीज की फाइल उठाई और केस हिस्ट्री पढ़ने को फाइल खोली । मरीज का नाम लिखा था ‘सौरभ शेरगिल’। नाम पढ़ते ही नर्स ने चौंककर मरीज को देखा और देखते ही उसे झट से पहचान गई ,“ओह सौरभ !!” उसके पाँवों तले से जैसे जमीन खिसक गई । सौरभ की हालत उस से देखी न गई और वो दौड़कर अपने कमरे में आ गहरी गहरी साँसें भरने लगी ।

“देख आई मरीज को सिस्टर या कहूँ संजना ! ” कोमल बोली ।
उस नर्स ने चौंककर उसे देखा “आप मेरा नाम कैसे जानती हैं ?”
“आपका नाम ही नहीं बल्कि मैं आपकी और लेक्चरर साहब की सारी कहानी जानती हूँ । आपकी तस्वीर को मैंने उन्हें एक किताब में छिपाकर रखते हुए देखा है और चुपके से उनकी डायरी भी पढ़ी है जब वो कमरे से बाहर होते हैं तो सफाई के बहाने । मैं वो सबकुछ जानती हूँ जो आपके और उनके सिवा कोई नहीं जानता|’

“सौरभ ने डायरी लिखी है ? ” संजना बोली
“हाँ उसमें आपका और सिर्फ आपका जिक्र है । आपके कार एक्सीडेंट की खबर सुन उसी दिन से उन्होंने डायरी लिखना बंद कर दिया । ये कोई तीन साल पहले की घटना है । उस घटना ने इन्हें तोड़कर रख दिया है । पता है उन्होंने अपनी डायरी में आखिरी लाइन क्या लिखी है…. ‘संजना मैं तुमसे किया वादा न निभा सका तुम्हारी मौत से पहले शादी न कर सका । पर अब मैं वो वादा कभी न निभाऊंगा वो वादा तुम्हारी मौत के साथ टूट गया । मैं बहुत जल्द तुम्हारे पास आ रहा हूँ ।’ उसके बाद तो बस हर 15-20 दिन में बिस्तर पकड़ लेते हैं । ” कोमल बोली।

“हम बहुत कोशिश करते हैं कि लेक्चरर साहब ठीक हो जाएँ। पर वो तो बस उस मुई किताब में सुधा की मौत की कहानी पढ़ते रहते हैं कितनी बार मैंने सोये हुए उनके हाथ से किताब हटा कर रखी , तो वो ही पेज खुला हुआ देखा है । सच तो ये है कि लेक्चरर साहब ठीक होना ही नहीं चाहते । ” कोमल ने बताया।

“सुनो ! तुम आ गई हो तो मुझे जाने ऐसा क्यूँ लग रहा है लेक्चरर साहब ठीक हो जायेंगे । पर तुम्हारा तो एक्सीडेंट हो गया था फिर ये नर्स कैसे …और तुमने कभी लेक्चरर साहब की खैर खबर क्यूँ न ली ?” कोमल ने पूछा।

“जब हमारा एक्सीडेंट हुआ था तो रोहित यानी मेरे पति की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और मुझे भी मामूली चोट आई थी । उसके बाद उन्हें हमेशा ही बेड पर रहना था उनकी देखभाल के लिए एक नर्स रखी गई । उस नर्स के साथ रहकर मैंने भी बहुत कुछ सीखा और उनकी सेवा की । मैं जी जान से उन्हें ठीक करना चाहती थी पर ऐसा हो न सका और एकदिन मुझे छोडकर चले गए । मैंने अपने माता पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया । वो नर्स हमेशा मेरे पास मेरा दुःख दर्द बाँटने आती थी एक दिन बातों बातों में उसने कहा क्यों न मुझे भी नर्सिंग कोर्स कर लेना चाहिए इस से मेरा मन भी लगा रहेगा और और मरीजों की सेवा कर संतुष्टि भी मिलेगी ।

तो मैंने उसके कहने से इस शहर में नर्सिंग कोर्स किया और डॉक्टर शुक्ला के क्लिनिक में लग गई जिन्होंने आज मुझे यहाँ एक मरीज की देखभाल के लिए कहा जिसके लिए मैं राजी हो गई…और रही सौरभ से कांटेक्ट के बारे में तो मेरी शादी के कुछ महीनो बाद पापा का ट्रान्सफर मुम्बई हो गया । बाद में पता चला की सौरभ कहीं और जॉब करने चला गया और सौरभ के जीजाजी और दीदी का ट्रान्सफर हो गया है । सारे कांटेक्ट ख़त्म हो गए थे और मैंने इसे अपनी नियति मान लिया । ”संजना ने बताया ।

“चलिए लेक्चरर साहब को संभाल आते हैं ।” कोमल बोली दोनों जब सौरभ के कमरे के दरवाजे के पास पहुंची तो सौरभ अपने हाथ में संजना की तस्वीर पकड़े एकटक देख रहा था। आहट सुन उसने झट से तस्वीर किताब में रख कर तकिये के नीचे छुपाने का प्रयास किया इतने में छन्न से वो एक पायल बेड से गिर पड़ी और सौरभ झेंप गया ।
कोमल ने संजना को कमरे के बाहर खड़े रहने का इशारा किया और अंदर जा बोली “लेक्चरर साहब अब ये तस्वीर ताकना छोडिये और वो पायल गिर गई है उसे संभालिये । ”

“तुम इनके बारे में कैसे जानती हो? ” सौरभ ने चौंककर पूछा ।
“मैं ही नहीं कॉलेज की सारी लड़कियां जानती हैं आपकी संजना , उसकी पायल और इस गुनाहों के देवता उपन्यास को |”

“ओह तो ये तुम्हारी कारस्तानी है कोमल तभी कॉलेज की सारी लड़कियां मुझे अजीब नजरों से देखती है |” सौरभ बोला ।

“जी लेक्चरर साहब आप की कहानी सभी को रोमियो जूलियट की कहानी की तरह जुबानी याद है और अब ये कहानी जो अधूरी थी वो पूरी हो जाएगी , जिसके लिए हम सब लड़कियां दुआ करती थी । ” कोमल ने कहा
“क्या मतलब है तुम्हारा …ये क्या ऊल जुलूल बातें कर रही हो कोमल , मैं अवतार सर से तुम्हारी शिकायत लगाऊंगा। ” सौरभ ने चिढ़ते हुए कहा।

“लेक्चरर साहब अब आपकी बीमारी का इलाज हमने ढूंढ लिया है और आपके मर्ज की दवा बाहर खड़ी है । नर्स मैडम आइये आपका मरीज आपका इन्तजार कर रहा है। ” कहकर कोमल ने हाथ पकड़ कर संजना को सौरभ के सामने ला खड़ा किया।”

“संजना तुम जिन्दा हो और मैं आज तक अपने आप को दोष देता रहा कि तुम्हारी एक इच्छा भी पूरी न कर सका ।” सौरभ ने कहा।

“जानती हूँ चैम्पियन बाबू ये बीमारी भी इसलिए लगाई है ना कि मै आपको सँभालने आऊँ? याद है उस दिन कहा था कि मैं यूँ ही बीमार हो जाउं और तुम मिलने आओ तो हमने आपकी सुन ली हमारे मरीज बाबू …चलिए अब दवा लेने का वक्त हो आया है। ” कहकर संजना ने सौरभ को कुछ दवाइयां पकड़ा दी तीनों का ठहाका कमरे में गूंज गया ।

समाप्त।
अब से मेरी कहानियां सिर्फ मेरे वॉल पर ही पढने को मिलेंगी, अन्य किसी ग्रुप में मैं रचनाएं पोस्ट नहीं करूँगा।
संजय नायक”शिल्प”