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#धनिया….तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके

Pratibha Naithani
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तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके
श्रीनगर राज दरबार से अपने गांव मलेथा तक की अच्छी-खासी दूरी तय कर जब माधो सिंह भंडारी घर पहुंचे तो भाभी ने नमक के गारों के साथ मंडवे के टिक्कड़ परोस दिए। थके-मांदे माधो सिंह को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने भाभी से कहा कि अरे ! दाल सब्जी नहीं थी तो कम से कम चटनी तो बना देती। भाभी ने भी तमक कर जवाब दिया – कौन सी नदी बह रही है इस गांव में जो मैं धनिया की क्यारियां लगा कर तेरे लिए चटनी बनाऊं?

माधो सिंह के दिल में यह धनिया वाली बात चुभ गई, और फिर उन्होंने पहाड़ को काटकर गांव के नीचे से बह रही चंद्रभागा नदी को किस तरह अपने गांव की तरफ मोड़ा, यह एक इतिहास बना। एक धनिया के ताने ने मलेथा के रूखे-सूखे गांव को पूरे गढ़वाल में अन्न-धन और हरियाली की मिसाल बना दिया। चार सौ साल बाद भी लोग इस बात के गीत गाते हैं। हो भी क्यों ना ! धनिया चीज़ ही ऐसी है। अच्छे भले घर की औरतों को भी देखा ही है इसके लिए सब्जी वालों से झगड़ते हुए। बिरयानी, पुलाव, दाल,सब्जी, मांस-मछली,अंडे के बढ़िया से बढ़िया व्यंजन भी इसके ख़ुशबू बिना अधूरे से लगते हैं। कचौड़ी और पराठों की भरावन में इसे मिला लिया जाए तो स्वाद दुगना हो जाता है। कुछ लोग तो इसे रायते में भी मिला देते हैं। धनिया सिर्फ़ स्वाद और ख़ुशबू का ही नहीं, सेहत का भी खज़ाना है। इसकी हरी पत्तियां पाचन दुरुस्त करती हैं। देश के लगभग सभी प्रांतों में यह उगाया जाता है।

विदेशियों को भले ही इसके खाने का सही तरीका मालूम ना हो, मगर इसकी ख़ुशबू से वह भी अछूते नहीं। एक बात याद आई कि प्रसिद्ध लेखिका शिवानी जी को गुरुदेव की 125 वीं जयंती के अवसर पर रूस आमंत्रित किया गया था। वहां उन्हें किसी रूसी लेखक से मिलने साइबेरिया भी जाना था । परिवार में उनकी पत्नी और बेटी ने रशियन व्यंजनों के साथ लेखिका का ख़ूब गर्मजोशी से स्वागत किया। उनकी आवभगत से गदगद शिवानी जी ने उन्हें चांदी की एक डिबिया भेंट की। नाथद्वारा से खरीदी इस डिब्बी में संभवत: ज़र्दा था। तब इसकी ख़ुशबू से मदहोश हो रही मां-बेटी ने वापस लौट रही शिवानी जी को रोक कर कहा- ‘ठहरिए ! हम आपको आपके ही देश की कोई चीज़ खिलाना चाहते हैं । यह हमने अपने किचन गार्डन में उगाया है’ । उस बर्फीले इलाके में जहां कुछ उगना संभव नहीं, प्लेट में रखी धनिया पत्ती की ख़ुशबू चकित कर रही थी, और उससे ज्यादा उनका वह अनुरोध कि लीजिए ! खाइए !
अपने देश में धनिया पत्ती कौन इस तरह सीधे चबाता है?