Syrian Girl 🇸🇾🎗
@Partisangirl
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Dec 22
Israel has used what appears to be a tactical nuclear bomb on #Gaza blowing up 56 buildings at the same time.
ग़ज़ा के बारे में सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की मंज़ूरी, ज़रूरी लेकिन अपर्याप्त क़दम
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने 22 दिसम्बर को ग़ज़ा के लिए मानवीय सहायता भेजने का प्रस्ताव मंज़ूर किया लेकिन इसमें संघर्ष विराम की कोई बात नहीं की।
सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्यों अमरीका और रूस ने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। शेष 13 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र संघ में संयुक्त अरब इमारात के राजदूत ने इस प्रस्ताव का ब्योरा देते हुए कहा कि इसका मसौदा इमारात ने पेश किया है जिसमें ग़ज़ा के लिए मानवीय सहायता की मात्रा बढ़ाने क मांग की गई है और एक समन्वयक नियुक्त किए जाने की बात है जो ग़ज़ा में लोगों तक सहायता पहुंचाए जाने की प्रक्रिया की निगरानी करे।
संघर्ष विराम को भी इस प्रस्ताव में शामिल करने की रूस की मांग का अमरीका ने विरोध किया जिस पर रूस ने कहा कि अमरीका के इस क़दम का मतलब फ़िलिस्तीन में इस्राईल के हाथों नरसंहार को जारी रखने की गैरेंटी देना है। रूस के राजदूत वासीली नेबेन्ज़िया ने कहा कि वाशिंग्टन इस समय इस्राईल के हाथों फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार का लाइसेंस प्रस्ताव में शामिल करने के लिए दुष्ट हरकते कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में ज़ायोनी शासन के राजदूत गीलाद अरदान ने कहा इस प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ग़ज़ा मे मानवीय सहायता के मेकैनिज़्म पर संयुक्त राष्ट्र संघ का ध्यान केन्द्रित करना ग़ैर ज़रूरी है और यथार्थ से दूर भी है।
दूसरी तरफ़ हमास आंदोलन ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को अपर्याप्त क़दम बताया है। हमास ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा परिषद की ज़िम्मेदारी है कि ग़ज़ा पट्टी के सारे भागों विशेष रूप से उत्तरी भागों तक मानवीय सहायता पहुंचाए जाने को सुनिश्चित करे। हमास ने कहा कि इस प्रस्ताव में तत्काल संघर्ष विराम की मांग की जानी चाहिए थी।
इससे पहले चार बार इस प्रस्ताव पर मतदान टल गया। आख़िरकार अमरीकी राजदूत ने शुक्रवार को कहा कि वह संशोधित मसौदे का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमले शुरू होने के समय से ही वाशिंग्टन आम नागरिकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों में भरपूर साथ दे रहा है। सामरिक मदद के साथ ही राजनैतिक और कूटनैतिक मदद में उसने हर नैतिकता को किनारे रख दिया है। संघर्ष विराम की मांग पर आधारित कई प्रस्ताव अमरीका ने वीटो कर दिए और इस्राईल के सेल्फ़ डिफ़ेंस की रट लगाकर उसने दरअस्ल ज़ायोनी शासन को क़त्ले आम जारी रखने का ग्रीन सिग्नल दिया।
हालांकि इस्राईल के अपराध इतने गंभीर और भयावह थे कि ख़ुद अमरीकी विदेश मंत्रालय और अमरीकी होम लैंड सेक्युरिटी यहां तक कि वाइट हाउस के अधिकारियों ने अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मांग की कि वे इस्राईल के हाथों जारी क़त्लेआम को रुकवाए।
इस बार ग़ज़ा के बारे में प्रस्ताव पारित हो गया लेकिन फिर भी ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के पाश्विक हमलों को बंद करने पर तेल अबीब को मजबूर करना बाक़ी है। अमरीका ने दबाव डालकर प्रस्ताव से इस भाग को निकलवाया और कहा कि केवल उसी स्थिति में अमरीका इस प्रस्ताव को पास होने देगा।
अमरीका के इस रवैए की सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार संगठनों में निंदा की जा रही है मगर अमरीका इन आलोचनाओं पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है।
इराक़ी संगठनों ने भूमध्य सागर में महत्वपूर्ण इस्राईली टारगेट को ध्वस्त कर दिया
इराक़ी संगठनों ने पहली बार एलान किया है कि उन्होंने भूमध्यसागर में इस्राईल के महत्वपूर्ण टारगेट ध्वस्त कर दिए हैं।
पश्चिमी एशिया में मज़बूती के साथ सक्रिय रेज़िस्टेंस नेटवर्क का हिस्सा इराक़ी संगठनों ने शुक्रवार को बयान दिया कि उन्होंने भूमध्यसागर में इस्राईल का बहुत महत्वपूर्ण टारगेट ध्वस्त कर दिया।
इराक़ी संगठनों ने एक बयान जारी करके कहा है कि इस हमले के लिए उचित हथियारों का इस्तेमाल किया गया जो बिल्कुल सटीक रूप से अपने निशाने पर लगे और यह क़दम फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इस्राईल के जघन्य अपराधों के जवाब में उठाया गया है।
इराक़ी संगठनों से जुड़े एकसूत्र ने अलजज़ीरा टीवी चैनल को बताया कि हमारे निशाने पर भूमध्य सागर में इस्राईल के नियंत्रण वाली कारीश गैस फ़ील्ड थी। इसके अलावा इराक़ी संगठनों ने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के ईलात शहर को भी निशाना बनाया है। यह ग़ज़ा में आम नागरिकों पर इस्राईल के हमलों के जवाब में किया गया।
इराक़ी संगठनों ने अपने बयान में कहा है कि हम ने ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े के विरोध के अपने मिशन के तहत और ग़ज़ा में अपने भाइयों की मदद के लिए ईलात में एक टारगेट को उचित हथियारों के ज़रिए निशाना बनाया है।
इस्राईली सेना के साथ ग़ज़ा में लड़ रहे हज़ारों फ़्रांसीसियों पर युद्ध अपराध का मुक़द्दमा चलाने की मांग
फ़्रांस की एक बड़ी फ़ज़ीहत सामने आई है कि वहां कि हज़ारों नागरिक और दोहरी नागरिकता वाले लोग ग़ज़ा में इस्राईली सेना के साथ मिलकर फ़िलिस्तीनियों पर हमले कर रहे हैं।
फ़्रांस के सांसद थामस पोर्ट्स ने कहा कि इस्राईली सेना में इस समय 4185 फ़्रांसीसी शामिल हैं। इस ख़ुलासे के बाद फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुलए मैक्रां पर हमले तेज़ हो गए हैं जो ग़ज़ा में जारी युद्ध रोके जाने की वकालत करते रहे हैं।
ग़ज़ा में हो रहे बड़े पैमाने पर युद्ध अपराधों को देखते हुए अब मांग शुरू हो गई है कि फ़्रांसीसियों पर मुक़द्दमा चलाया जाए जो इस्राईली सेना के साथ शामिल हैं। यह बात पहले भी हो रही था कि फ़्रांस और इस्राईल की दोहरी नागरिकता रखने वाले कुछ लोग इस्राईली सेना का हिस्सा हैं।
अब फ़्रांस की कई संस्थाओं में यह मांग उठ रही है कि इन फ़्रांसीसियों पर युद्ध अपराध का मुक़द्दमा चलाया जाए।
फ़्रांसीसी टीवी चैनल यूरोप-1 के अध्ययन के नतीजों के आधार पर पोर्ट्स ने कहा कि ग़ज़ा के मोर्चे पर लड़ने वाले फ़्रांसीसियों पर मुक़द्दमा चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फ़्रांसीसी सांसद होने की हैसियत से मैं ख़ामोश नहीं रह सकता और न ही फ्रांस को इस पर ख़ामोश रहना चाहिए।
फ्रांसीसी सांसद ने कहाकि हमने न्याय मंत्री को पत्र लिखा है और मांग की है कि वे ग़ज़ा के मोर्चे पर मौजूद हज़ारों फ़्रांसीसियों के ख़िलाफ़ जांच शुरू करने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें।
इस्राईली सेना कई साल से विदेशियों की भर्ती करने की कोशिश कर रही है और उनके लिए समर कैंप लगाती है जहां उन्हें सैनिक ट्रेनिंग दी जाती है। इस प्रोग्राम का नाम सारईआ रखा गया है जिसका मतलब है इस्राईल की सेवा।
इस्राईल इस कार्यक्रम के तहत 40 हज़ार से अधिक फ़्रांसीसियों को ट्रेनिंग दे चुका है। यह सिलसिला 1983 से चल रहा है। जिन लोगों को ट्रेनिंग दी जा रहा है उनमें कुछ की उम्र 16 साल और 18 साल से कम है
इस तरह के सैनिकों को अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के तहत किराए के सैनिक कहा जाता है।
हमासः रेज़िस्टेंस फ़ोर्स के नेताओं और कमांडरों की हत्या की गालांट की धमकियों में कोई दम नहीं
फ़िलिस्तीन के हमास आंदोलन ने कहा कि ज़ायोनी शासन के युद्ध मंत्री युवाफ़ गालांट की धमकियों में कोई दम नहीं है जिसमें उन्होंने कहा कि ज़ायोनी सेना हमास के नेताओं और कमांडरों के क़रीब पहुंच चुकी है और जल्द ही उन्हें ख़त्म कर दिया जाएगा।
हमास नेएक बयान में कहा कि युद्ध अपराधी गालांट की धमकियां ख़याली विजय हासिल करने जैसी कोशिश है। यह धमकियां बताती हैं कि ग़ज़ा में इस्रईल अपने एजेंडे में बुरी तरह नाकाम हो गया, उसे बेगुनाह नागरिकों और बच्चों को क़त्ल करने और नागरिक प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुंचाने के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ।
इस्राईल की सरकारी प्रसारण संस्था ने हाल ही में फ़ेसबुक पर एक पोस्ट डाली है जिसके अनुसार युद्ध मंत्री गालांट ने कहा है कि हमास के नेता यहया सिनवार ग़ज़ा में हैं और बहुत जल्द इस्राईली सेना की बंदूक़ें उनके पास तक पहुंच जाएगी।
इस्राईल के टीवी चैनल 13 ने गालांट का यह बयान प्रसारित किया है कि सेना उस जगह पहुंच गई जहां थोड़ी देर पहले तक सिनवार थे, दक्षिणी ग़ज़ा में, विशेष रूप से ख़ान युनुस के इलाक़े में सेना की कार्यवाही जारी रहेगी और हमास के नेताओं तक हम पहुंचेंगे।