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तसवूफ़ एक बदनाम लफ़्ज़ होकर रह गया है….तसवूफ़ क्या है? : Part-6
Razi Chishti ================== · (6) नबी करीम saw फ़रमाते हैं कि “जिसने पहचाना अपनी ज़ात(नफ़्स) को उसने पहचाना अपने रब को” हज़रत अबू बक़र ra ने फ़रमाया है कि “पाक है वो ज़ात जिसने अपनी पचान का ज़रिया इंसान के सिवा कुछ बनाया ही नहीं”. इसी पहचान की बिनाअ पर नेजाते ख़ास मिलेगी. अल्लाह […]
तौहीद और शिर्क : सूरए साद आयतें 20-25 : पार्ट-50
सूरए साद आयतें 20-25 وَشَدَدْنَا مُلْكَهُ وَآَتَيْنَاهُ الْحِكْمَةَ وَفَصْلَ الْخِطَابِ (20) इस आयत का अनुवाद हैः हमने उनकी सलतनत को मज़बूत किया और उन्हें तत्वदर्शिता, न्यायपूर्ण और निर्णायक संवाद शक्ति प्रदान की। [38:20] पिछले कार्यक्रम में हमने हज़रत दाऊद के बारे में बात की। वह पैग़म्बर जो अल्लाह की बारगाह में बहुत दुआ और प्रार्थना […]
हे ईमान लाने वालों, आत्महत्या न करो, ईश्वर तुम्हारे प्रति दयालु है
जीवन दो प्रकार का है, भौतिक एवं आध्यत्मिक। भौतिक जीवन शरीर से संबंधित सांसारिक जीवन है। आध्यात्मिक जीवन का इंसान की आत्मा से मज़बूत संबंध है। इस्लाम दोनों प्रकार के जीवन को अत्यधिक महत्व देता है और इंसान अपने इस हक़ को ख़ुद से या किसी दूसरे से नहीं छीन सकता। इसी प्रकार हमने उल्लेख […]