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#UttarPradesh मे मदरसों की जाँच का जिन्न फिर निकला बोतल से बाहर…योगी सरकार के अफ़सर मदरसों मे जाकर करेंगे जांच!

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UP मे मदरसों की जाँच का जिन्न फिर निकला बोतल से बाहर… योगी सरकार के अफसर मदरसों मे जाकर करेंगे जांच

मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने इस फैसले पर जताई नाराज़गी… बोले :- मदरसों की जांच अब एक ‘नियमित प्रक्रिया’ बन गयी है और बार-बार जांच होने से मदरसों में शिक्षण कार्य तथा अन्य गतिविधियों में व्यवधान होता हैं…

UP : योगी सरकार ने सरकारी अनुदान प्राप्त प्रदेश के सभी मदरसों के शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता और वहां उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं की स्थिति की जांच करने के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने इस पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि मदरसों की जांच अब एक ‘नियमित प्रक्रिया’ बन गयी है और बार-बार जांच होने से मदरसों में शिक्षण कार्य तथा अन्य गतिविधियों में व्यवधान पड़ता है।
प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक जे. रीभा ने राज्य के सभी विभागीय मंडलीय उपनिदेशकों और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजा था। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि मदरसों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए गुणवत्ता परक शिक्षा सुनिश्चित करने और उनमें अन्वेषणात्मक, रुचि पूर्ण एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किए जाने तथा समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए मदरसों में आधारभूत सुविधाएं एवं योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना नितांत आवश्यक है। पत्र में उन्होंने इसको सुनिश्चित करने के लिए सबसे पहले प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त मदरसों के भवनों, आधारभूत सुविधाओं एवं कार्यरत शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच करा ली जाए।’’ पत्र में यह जांच पूरी करके 30 दिसंबर तक मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

सूबे मे हैं 25K मदरसे…

उत्तर प्रदेश में इस वक्त लगभग 25,000 मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित किये जा रहे हैं। इनमें से 560 को राज्य सरकार से अनुदान मिलता है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक ने पत्र में यह भी लिखा कि प्रदेश में स्थित मदरसों में अब भी आधारभूत सुविधाओं का अभाव है और वहां पढ़ रहे बच्चों को गुणवत्ता परक वैज्ञानिक एवं आधुनिक शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है जिसके कारण छात्रों को रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।