इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी नवाब साहिबज़ादा अब्दुल क़य्यूम ख़ान

Ataulla Pathan
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3 डिसेंम्बर पुण्यतिथी
स्वतंत्रता सेनानी नवाब साहिबज़ादा अब्दुल कय्यूम खान
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स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कय्यूम खान साहेब लोदी राजघराने से ताल्लुक रखते थे।आपकी पैदाइश 12 दिसम्बर सन् 1864 को स्वाबी तहसील के तोपी गांव (पेशावर) में हुई थी। आपके वालिद साहबज़ादा अब्दुल रऊफ़ साहब एक मशहूर इस्लामी स्कॉलर और बहुत अच्छे मुकर्रिर थे। वह जहां जाते, वहां आपको सुननेवालों की भीड़ लग जाया करती थी। मौलाना रऊफ़ साहब मज़हबी तकरीर के बाद अंग्रेज़ों के ज़रिये मुसलमानों पर हुए जुल्म की दास्तां बयान करते थे ।
आसपास के इलाके में उन्होंने काफ़ी मकबूलियत हासिल की थी । उनकी बढ़ती हुई शोहरत देखकर एक अंग्रेज़ अफ़सर ने सन् 1873 में अब्दुल रऊफ साहेब का कत्ल करा दिया। वालिद के इंतकाल के बाद अब्दुल कय्यूम साहब अपने चाचा के घर कोठा गांव आकर रहने लगे। यहीं अपनी दीनी और दुनियावी तालीम हासिल की साथ ही आपको खेलकूद और पहलवानी में भी दिलचस्पी पैदा हुई थी । उसके बाद ऊंची तालीम के लिए आपने कलकत्ता यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। ग्रेजुएशन की तालीम के बाद आपने तहसीलदार के ओहदे पर सरकारी नौकरी की। नौकरी के दौरान अंग्रेज़ अफसरों का हिन्दुस्तानियों के लिए भेदभाव और नफ़रत देखकर आपने बहुत जल्द सन् 1919 में ही नौकरी छोड़ दी ।दौराने नौकरी अंग्रेजों की जुल्मो ज्यादती से आप इतने बेज़ार हुए कि नौकरी छोड़ने के बाद जंगे आज़ादी और मुसलमानों में तालीम की बेदारी के नाम अपनी पूरी जिंदगी वक्फ़ करने की कसम खाकर घर से निकल पड़े। आपने ख़िलाफ़त आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया दौराने आंदोलन गिरफ्तार भी हुए। आपने कांग्रेस के हिजरत आंदोलन और सिविल नाफ़रमानी में भी हिस्सा लिया। इन्हीं आंदोलनों के दिनों में मुसलमानों में तालीम की कमी दूर करने के लिए आप जहां जाते स्कूल खोलने पर ज़ोर देते रहे और ख़ुद भी पेशावर में आपने एक इस्लामिया कॉलेज खोला।

नवाब अब्दुल कय्यूम साहेब सन् 1923 से 1932 तक लेजिसलेटिव एसेम्बली के मेम्बर बने और सन् 1927 के मुस्लिम कांफ्रेस में हिस्सा लिया। सन् 1930 में इंग्लैण्ड के राउंड टेबल कांफ्रेंस में गये जहां अंग्रेज़ हुकूमत के खिलाफ आपने बहुत ज़ोरदार तक्रीर की, जिसे इंग्लैण्ड के अख़बारों ने तब बहुत अहमियत देकर शाया किया। सन् 1932 में आप सूबे सरहद के वऱीरे-आला बने। 3 दिसम्बर सन् 1937 को आपका इंतकाल हो गया।

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संदर्भ- 1)THE IMMORTALS
– syed naseer ahamed
2)लहू बोलता भी है

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संकलन तथा अनुवादक लेखक- *अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर*
सेवानिवृत्त शिक्षक
टूनकी तालुका संग्रामपूर जिल्हा बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726