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मणिपुर : कांगपोकपी ज़िले में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत!

मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले में सोमवार सुबह क़रीब 10 बजे हुए एक हमले में कुकी-ज़ो जनजाति के दो लोगों की मौत हो गई है.

यह हमला ज़िले के हराओथेल और कोबशा गांव में किया गया.

हमले में मारे गए दोनों व्यक्तियों की पहचान लीमाखोंग मिशन वेंग के हेनमिनलेन वैफेई और खुंखो गांव के थांगमिनलुन हैंगसिंग के रूप में की गई है.

इस घटना के बाद जनजातीय एकता कमेटी ने सर्वसम्मति से ज़िले में बंद का एलान किया है.

जनजातीय कमेटी का कहना है कि केंद्र सरकार को ये बताने के लिए बंद की अपील की गई है कि राज्य सरकार उनके साथ पक्षपात कर रही है और ऐसे माहौल में जनजातीय लोग सुरक्षित नहीं हैं.

इस हमले की पुष्टि करते हुए कांगपोकपी ज़िले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (क़ानून-व्यवस्था) थोलू रॉकी ने बीबीसी को बताया, “हमारे ज़िले में गोलीबारी की यह घटना आज सुबह हुई है. इसमें दो लोगों की जान गई है. शुरुआती जांच में ऐसा संदेह है कि इस हमले के पीछे घाटी आधारित चरमपंथी समूह का हाथ है. मरने वाले दोनों लोगों के शव की शिनाख़्त कर ली गई है. दोनों मृतक कुकी जनजाति के थे.”

इस घटना के बाद जनजातीय एकता कमेटी द्वारा बुलाए गए बंद के बारे में पुलिस अधिकारी ने बताया, “इलाके में बंद का असर है और फ़िलहाल स्थिति नियंत्रण में है.”

मणिपुर में पिछले छह महीने से रुक-रुक कर हो रही हिंसा के बाद जनजातीय लोग सरकार से अलग प्रशासन की माँग कर रहे है.

जनजातीय एकता कमेटी ने आज बुलाई गई एक बैठक में मणिपुर से अलग होने की मांग को जल्द से जल्द लागू करने की अपील की है.

कांगपोकपी ज़िले के कुकी-ज़ो नागरिक संस्था ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुकी-ज़ो समुदाय की बार-बार की गई अपीलों को सुना होता, तो इस तरह की हिंसक घटनाओं को टाला जा सकता था.

मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस हिंसा की वजह से करीब 60 हज़ार लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.

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दिलीप कुमार शर्मा

गुवाहाटी से, बीबीसी हिंदी के लिए