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अमेरिका-इस्राईल का वास्तविक चेहरा…जो बाइडेन अब युद्ध विराम की बात क्यों कर रहे हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज शुक्रवार की सुबह दावा किया है कि जायोनी सरकार ने मानवता के आधार पर युद्ध विराम के प्रति सहमति जताई है।

अलजज़ीरा के अनुसार बाइडेन ने कहा है कि यह सही दिशा में एक कदम है और इससे आम नागरिकों को युद्ध से भागने में मदद मिलेगी और अधिक सहायतायें प्रभावित क्षेत्रों में भेजी जा सकेंगी। यह दावा ऐसी स्थिति में किया जा रहा है जब जायोनी सरकार के प्रधानमंत्री ने एलान किया है कि बंदियों की रिहाई के बिना ग़ज्ज़ा पट्टी में कोई युद्ध विराम नहीं होगा।

फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों के खिलाफ इस्राईल के पाश्विक हमले कब बंद होंगे यह तो समय बतायेगा पर इस मध्य सवाल यह है कि जो बाइडेन अब युद्ध विराम की बात क्यों कर रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वह किसी रणनीति के तहत युद्ध विराम की बात कर रहे हैं? इस संबंध में जानकार हल्कों का मानना है कि जो बाइडेन का दावा राजनीति से खाली नहीं हो सकता। 35 दिनों का समय बीत गया मगर जायोनी शासन अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका।

उसने आरंभ में दावा किया था कि वह हमास को खत्म कर देगा परंतु आज तक वह न तो हमास को खत्म कर सका और न ही कर सकेगा। इसी प्रकार का दावा उसने लेबनान के इस्लामी आंदोलन हिज्बुल्लाह के बारे में भी किया था पर वह न केवल हिज्बुल्लाह को खत्म नहीं कर सका बल्कि हर समय से अधिक मज़बूती के साथ हिज़्बुल्लाह मौजूद है और हिज्बुल्लाह की मात्र मौजूदगी ही इस्राईल के लिए बहुत बड़ा दबाव और उसकी हार है और अब वही बात हमास के बारे में भी कही जा रही है।

इस्राईल 35 दिनों से भीषण बमबारी व जघन्य अपराध कर रहा है और इस दौरान 300 से अधिक जायोनी सैनिक मारे गये और 50 से अधिक आधुनिकतम मिरकावा टैंक तबाह हो गये। कहने का तात्पर्य यह है कि जायोनी सरकार की ताकत की कलई खोल गयी और दक्षिणी लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की वह बात पूरी तरह सच है जिसमें उन्होंने कहा है कि इस्राईल मकड़ी के जाले से भी कमज़ोर है।

इस्राईल ने गत 35 दिनों में किसी प्रकार के अपराध में संकोच से काम नहीं लिया। मस्जिदों, गिरजाघरों, अस्पतालों, स्कूलों, शरणार्थी शिविरों और आवासीय क्षेत्रों पर भीषण बमबारी की और अमेरिका और मानवाधिकार की रक्षा का राग अलापने वाले किसी भी देश ने एक बार भी इस्राईल की बर्बरता व क्रूरता की भर्त्सना तक नहीं की। पूरी दुनिया में इस्राईल की बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और पूरी दुनिया अमेरिका, पश्चिमी व यूरोपीय देशों के मानवाधिकार की वास्तविकता देख रही है।

यह वही अमेरिका है जो एक तरफ मानवाधिकार की रक्षा की बात करता है और दूसरी ओर फिलिस्तीनी लोगों के जनसंहार के लिए इस्राईल को हथियार और बम देता है और पूरी निर्लज्जता के साथ कहता है कि इस्राईल को जिस हथियार की ज़रूरत होगी हम उसे देंगे। दूसरे शब्दों में अमेरिका यह कह रहा है कि फिलिस्तीनी लोगों की हत्या के लिए हम हथियार देने के लिए तैयार हैं और अमेरिका ने विभिन्न प्रकार के हथियारों की खेप इस्राईल पहुंचा कर अपना वास्तविक चेहरा दिखा दिया दिया।

साराशं यह कि अमेरिका और उसकी हां में हां मिलाने वालों ने इस्राईल की बर्बरता का समर्थन करके अपनी वास्तविकता का परिचय दे दिया और अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों ने मानवाधिकार की रक्षा जो नकाब अपने चेहरों पर डाल रखा था उसकी भी सच्चाई जगज़ाहिर हो गयी।