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‘ग़ज़ा पट्टी में परमाणु हथियार के इस्तेमाल’ की बात से गुस्से में अरब देश, पक्षिमी देशों में सड़कों पर उतरे लोग : रिपोर्ट

हमास से संघर्ष के बीच इसराइल के एक मंत्री एक बयान पर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है.

दक्षिणपंथी पार्टी के सदस्य और इसराइली सरकार में मंत्री एमिचाई एलियाहू ने हमास के ख़िलाफ़ ‘ग़ज़ा पट्टी में परमाणु हथियार के इस्तेमाल’ की बात की है.

एलियाहू इसराइल के हेरिटेज़ मिनिस्टर हैं. वो ओत्ज़्मा यहूदित (यहूदी शक्ति) पार्टी के नेता हैं.

इसे लेकर अरब जगत के कई देशों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु हथियारों की निगरानी करने वाली संस्था आईएईए से ‘दखल देने’ को कहा है.सीरिया, लेबनान और सऊदी अरब जैसे देशों ने बयान की कड़ी आलोचना की है और इसराइल की सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.

इसराइल सरकार ने मंत्री एलियाहू पर कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लेने से रोक लगा दी है और ख़ुद को उनके बयान से अलग कर लिया है.

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सीरिया ‘इसराइली सरकार के एक आतंकवादी’ के उस बयान की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग़ज़ा पर ‘परमाणु बम गिराया जा सकता है.’

सरकारी न्यूज़ एजेंसी सना के मुताबिक बयान में आगे कहा गया है कि ये ‘सरकार की ओर से किए जाने वाले आतंकवाद का सबूत’ और ‘नस्लभेद का चरम है.’

वो बयान जिस पर हो रहा है विवाद
इसराइल के मंत्री एलियाहू ने कहा कि फ़लस्तीनी चरमपंथी समूह हमास के ख़िलाफ़ इसराइल की जंग में ‘एक रास्ता’ ग़ज़ा पट्टी पर परमाणु गिराने का है.

बयान सामने आने के बाद से एलियाहू के इसराइली कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेने पर अनिश्चित काल के लिए रोक लगा दी गई है.

समाचार एजेंसियों के मुताबिक एक रेडियो इंटरव्यू में इसराइल के मंत्री एलियाहू से पूछा गया कि क्या उनकी राय में ग़ज़ा पट्टी पर परमाणु हमला भी ‘एक विकल्प’ है.

एलियाहू ने जवाब दिया, “ये भी एक रास्ता है.”

ये बयान सामने आने के बाद सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष दोनों की ओर से उनकी आलोचना शुरू हो गई. उन्हें सरकार से बर्खास्त करने की मांग भी उठने लगीं.

बयान की आलोचना करने वालों में प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट शामिल हैं.

नेतन्याहू ने दी सफ़ाई
इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया, “(मंत्री) एलियाहू युद्ध के वक़्त फ़ैसले लेने वाली सिक्योरिटी कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं. वो हमास के ख़िलाफ़ जंग में निर्देश दे रही कैबिनेट में भी कोई अधिकार नहीं रखते हैं.”

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने उनके बयान को वास्तविकता से परे बताया.

वहीं, विवाद बढ़ने के बाद मंत्री एलियाहू ने कदम पीछे खींचे. एलियाहू ने कहा कि उन्होंने अपने बयान को एक ‘रूपक’ बताया.

उन्होंने कहा, “जिस किसी के पास दिमाग है, वो समझ सकता है कि परमाणु को लेकर दिया गया बयान एक रूपक है. ”

उन्होंने कहा, “हमें आंतकवाद का ताक़त के साथ जवाब देना चाहिए जिससे नाज़ियों और उनके समर्थकों को जानकारी हो सके कि आंतकवाद का रास्ता सही नहीं है.”

मंत्री एलियाहू ने कहा, “ लोकतांत्रिक देशों के पास आंतकवाद से निपटने का ये इकलौता फॉर्मूला है.”

‘बेनक़ाब हो इसराइल का परमाणु कार्यक्रम’

इसराइल सरकार और विवादों में घिरे मंत्री एलियाहू की सफ़ाई को ज़्यादातर अरब देशों ने गंभीरता से नहीं लिया है. ग़ज़ा पर हमले को लेकर लगातार इसराइल पर हमलावर सीरिया सबसे ज़्यादा मुखर है.

सीरिया की समाचार एजेंसी सना से सीरियाई विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, “इन बयानों से पुष्टि होती है कि इसराइल तथ्य छुपा रहा है. अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण प्रणाली के इतर उसके पास ये हथियार हैं. ये उसे अमेरिकी प्रशासन और पश्चिम के औपनिवेशवादी देशों में मौजूद अपने सहयोगियों से हासिल हुए हैं. ”

प्रवक्ता ने आगे कहा, “इन बयानों से इलाके की सुरक्षा, स्थिरता और यहां के लोगों की ज़िंदगी को गंभीर ख़तरा पैदा हो गया है. ”

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) से अपील की है कि वो तमाम उपाय करें और ‘इसराइल के परमाणु कार्यक्रम को सामने लाने की अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं और इस बेलगाम सत्ता को समग्र सुरक्षित प्रकिया के तहत लाए.’

एलियाहू के बयान की गूंज पूरे अरब जगत में सुनाई दी. ये बयान लेबनान के हिज़बुल्लाह ग्रुप के अल मनार टीवी चैनल पर भी प्रसारित हुआ.


दो परमाणु बम के बराबर गिराया विस्फ़ोटक
लेबनान के हिज़बुल्लाह समूह और इसराइल की सेना के बीच भी हाल में संघर्ष हुआ है. हिज़बुल्लाह के साथ ईरान का समर्थन माना जाता है.

लेबनान के अल मयादीन टीवी ने भी इसराइल के मंत्री एलियाहू के बयान को लेकर रिपोर्ट की.

टीवी चैनल ने कहा, “ये बयान कब्ज़ा करने वालों (इसराइल) की ओर से आजमाए जाने वाली अभूतपूर्व आतंकवादी गतिविधि को जाहिर करता है. ”

टीवी रिपोर्ट में कहा गया, “ये बयान पूरे इलाक़े और पूरी दुनिया के लिए ख़तरा पैदा कर रहा है. ”

चैनल ने फ़लस्तीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान की भी जानकारी दी.

चैनल के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने इसराइल के मंत्री की कही बात की निंदा की है और इसे ‘बर्बर नस्लभेदी बयान’ बताया है.

अल मयादीन टीवी ने यूरो मेडिटेरियन ह्यूमन राइट्स मॉनिटर की ओर से जारी आंकड़ों की जानकारी दी गई है.

2 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी पर 25 हज़ार टन से ज़्यादा विस्फोटक गिराया है, ‘जो दो परमाणु बम के बराबर है.’

हालिया हफ़्तों के दौरान लेबनान के सीनियर नेताओं ने इसराइल के नेताओं और सैन्य अधिकारियों से बार-बार अपील की है कि वो अपनी ‘आक्रामक को आग लगाने वाली भाषा’ पर काबू करें.

सऊदी अरब ने क्या कहा?

सऊदी अरब ने भी इसराइल के मंत्री एलियाहू के बयान की निंदा की है. वहां ये बयान सऊदी अरब के स्वामित्व वाले अल अरबिया टीवी पर दिखाया गया.

द टाइम्स ऑफ़ इसराइल न्यूज़ पेपर ने सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा है, “मंत्री के बयान से जाहिर है कि इसराइल की सरकार में किस हद तक अतिवाद और बर्बरता मौजूद है. ”

रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “एलियाहू को सिर्फ़ निलंबित किया गया. उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त नहीं किया गया. इससे जाहिर है कि इसराइल की सरकार मानवता, नैतिकता और क़ानून के तमाम मूल्यों के प्रति कोई सम्मान नहीं रखती. ”

पाकिस्तान ने भी दर्ज की आपत्ति

पाकिस्तान ने भी इसराइली मंत्री के बयान पर आपत्ति दर्ज की है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक्स पर अपना बयान जारी करते हुए कहा, “हम फ़लस्तीन के विरुद्ध परमाणु हमले की धमकी देने वाले इसरायली मंत्री के बयान से स्तब्ध हैं. “

“ये नरसंहार के इरादे को दर्शाता है. ये बयान क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए इसरायली आक्रामकता से उत्पन्न खतरे के प्रति दुनिया के लिए एक चेतावनी है.”

संस्था ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो इसराइल के संस्कृति मंत्री अमिचाई एलियाहू के ग़ज़ा पट्टी पर परमाणु बम गिराने के नस्लीय भेदभाव वाले कॉमेंट की आलोचना करते हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर संस्था ने लिखा, ” ओआईसी इस घृणित भाषण को आतंकवादी नस्लवादी विचारधारा के विस्तार के रूप में देखता है. अंतराष्ट्रीय समुदाया को इसकी आलोचना करनी चाहिए. साथ ही दुनिया को इसरायली हमले और नरसंहार को रोकने के लिए प्रभावी उपायों का आह्वान भी करना चाहिए. “