साहित्य

* सासु मां बुरा मान जाएंगी *…… By – लक्ष्मी कुमावत

Laxmi Kumawat
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* सासु मां बुरा मान जाएंगी *
वृंदा की शादी हुए अभी तीन महीने ही हुए थे, पर बहुत जल्दी ही उसने घर को और घरवालों को अपना लिया था। साथ ही साथ वह घर के लोगों की नई-नई आदतों से भी वाकिफ हो रही थी।

वृंदा के ससुराल में उसके साथ कमला जी, जेठ जेठानी, उनका एक बेटा प्रतीक, वृंदा का पति सोमेश और वृंदा थी।
वृंदा को अपने परिवार में कोई परेशानी नहीं थी। काफी अच्छा और प्यारा परिवार मिला था उसे। बस एक चीज थी कि वृंदा अपनी सास से बहुत डरती थी। कारण जेठानी जी का तकिया कलाम सासू मां बुरा मान जाएंगी।

जिसे तीन महीने में इतनी बार सुन चुकी है कि उसे लगता था कि सासू मां वाकई खडूस किस्म की हैं, इसीलिए जेठानी जी इतना डरती हैं। आखिरकार उनके पास सासू मां के पास रहने का पाँच साल का एक्सपीरियंस है। पर इन तीन महीनों में उसने कभी भी अपनी सास को लड़ते झगड़ते नहीं देखा। ना ही कभी ऊंची आवाज में बात करते देखा। वृंदा हमेशा कंफ्यूज ही रहती।
जब वृंदा शादी होकर आई थी तब भी जेठानी जी बस सासू मां की बुराई ही करती रहती थीं, जिससे वृंदा को भी लगने लगा था कि सासू मां तेजतर्रार और गुस्से वाली हैं। कोई काम वृंदा से गलत हो जाता तो जेठानी जी सासूमां की धमकी देती थी कि उन्हें पता चल गया तो वह तुम्हें छोड़ेगी नहीं। और खुद की भलमनसाहत दिखाने के लिए कहती कि कोई बात नहीं। मैं कह दूंगी कि मुझसे गलती हुई है।

अभी कल ही की बात है। दोनों देवरानी जेठानी बाजार शॉपिंग करने गई थीं। जब घर लौट रही थीं तो रास्ते में पड़ोसन मिल गई, जिससे बात करते करते ही काफी टाइम निकल गया। जब दोनों चलने को हुई तो जेठानी जी ने अपने तकिया कलाम छोड़ा,

” हां हां, अब ज्यादा देर रुके तो हमें देर हो जाएगी और फिर हम लेट पहुंचे तो सासू माँ बुरा मान जाएंगी। हे भगवान! आज तो पक्का डांट पड़ेगी”

शॉपिंग करके दोनों जब घर पहुंची तो देखा सासू मां तो जेठानी जी के बेटे को उपमा खिला रही थीं, जो शायद उन्होंने ही बनाया था। उन्हें देखते ही बोलीं,

” आ गई तुम दोनों। मैंने तुम दोनों के लिए भी उपमा तैयार करके रखा है। फटाफट हाथ मुंह धो कर पहले नाश्ता कर लो”
ऐसा कहकर वो फिर अपने काम में मग्न हो गई। वृंदा और जेठानी जी सामान रखकर हाथ मुंह धो कर उपमा खाने बैठ गई। उपमा खाते ही वृंदा ने कहा,

” मम्मी जी, आपने तो वाकई बहुत अच्छा उपमा बनाया है”

” अच्छा! तुम्हें पसंद आया। चलो जब तुम्हारी इच्छा हो, बता देना मैं बनाकर खिला दिया करूंगी “

वृंदा उनकी बात सुनकर हैरान रह गई। क्या वाकई सासू मां इतनी गुस्सैल हैं कि जेठानी जी हर बात में सासू माँ बुरा मान जाएगी कहती रहती हैं। उसके मन में यही उधेड़बुन चल रही थी।

रात को जब वह अपने कमरे में सोने गई तो उसने अपने पति सोमेश से कहा,

” सोमेश जी मुझे एक बात समझ में नहीं आती। मैंने तीन महीनों में कभी भी मम्मी जी को गुस्सा करते नहीं देखा, ना ही ऊंची आवाज में बात करते देखा। फिर भाभी मम्मी जी से इतना ज्यादा डरती क्यों है”

” तुम्हें किसने कहा कि भाभी मम्मी से डरती हैं”

” अच्छा। जब भी कोई गलती होती है तो वो मुझसे हमेशा कहती हैं कि सासू माँ बुरा मान जाएगी”

” लेकिन क्या तुमने मम्मी को गुस्सा होते देखा”

” नहीं”

” ये तो भाभी की आदत है। वो हर बात में यही कहती हैं कि सासू माँ बुरा मान जाएगी। लेकिन वास्तव में मम्मी गुस्सा बहुत कम करती हैं। वह तो भाभी को कभी किसी काम पर टोकती भी नहीं। लेकिन कुछ लोगों की आदत होती है खुद को बेचारी और दूसरे को अत्याचारी बनाने की। इसका कोई सोल्यूशन नहीं है। शुरू शुरू में हमने बहुत समझाया था पर बात का बतंगड़ बन जाता था। इसलिए सब ने कहना ही छोड़ दिया। वैसे भी जो लोग हमें जानते हैं वो अच्छी तरह से जानते ही है कि कौन कैसा है। तुम भी दिल से यह बात निकाल दो कि मम्मी हर बात में बुरा मानती हैं। तुम उनसे बेहिचक अपने दिल की बात कह सकती हो”

सोमेश के समझाने पर वृंदा को समझ में आया कि सासू मां बुरी नहीं है। वह तो बस बहू के बोल वचन की मारी हैं। कुछ लोगों को जानबूझकर खुद को प्रताड़ित दिखाने में मजा आता है। शायद जेठानी जी भी उन्हीं में से है। और ऐसे लोगों की आदत छुड़ाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।

मौलिक व स्वरचित
✍️लक्ष्मी कुमावत