भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित किया.
भारतीय मीडिया सुबह से ही इस उम्मीद में यह ख़बर को ज़ोर-शोर से चल रही थी कि विदेश मंत्री अपने भाषण में कनाडा के आरोपों पर ‘मुंहतोड़’ जवाब देंगे.
लेकिन अपने 25 मिनट के भाषण में जयशंकर ने कनाडा का ना तो नाम लिया और न ही उसके आरोपों पर सीधे तौर पर कोई टिपण्णी की.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर को ख़ालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ होने का इल्ज़ाम लगाया था.
उन्होंने ये इल्ज़ाम कनाडा की संसद में सार्वजनिक तौर पर लगाए थे. इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते लगातार ख़राब होते जा रहे हैं. इस साल जून में कनाडा के वैंकूवर में निज्जर की हत्या कर दी गई थी.
जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर भारत का जवाब
भारत ने कनाडा से अपने राजनयिकों की संख्या कम करने को कहा है. इस समय कनाडा में भारत के 35 राजनयिक हैं, जबकि भारत में कनाडा के राजनयिकों की संख्या तीन गुना ज़्यादा है.
भारत ने जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है. उसने कनाडा पर भारत में वॉन्टेड लोगों को अपने यहां पनाह देने का आरोप लगाया है.
भारत का यह भी कहना है कि इन ‘अपराधियों’ के ख़िलाफ़ कार्रवाई या उनके प्रत्यर्पण को लेकर कनाडा की तरफ़ से कोई मदद नहीं मिली है.
इस राजनयिक संकट के बीच दोनों देश एक-दूसरे के राजनयिकों को अपने यहां से निष्कासित कर चुके हैं. अपने नागरिकों के लिए प्रतिकूल ट्रैवेल एडवाइज़री जारी कर चुके हैं. भारत ने कनाडा में वीज़ा सेवाओं को भी बंद कर दिया है.
इसे देखते हुए भारत में लोगों को आशा थी कि विदेश मंत्री मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के अपने भाषण में कनाडा को आड़े हाथों लेंगे.
कनाडा पर कोई बयान क्यों नहीं?
कनाडा का भाषण में ज़िक्र क्यों नहीं आया? इस सवाल के जवाब में दक्षिणपंथी विचारक और विदेशी मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर सुवरोकमल दत्ता कहते हैं, ”जयशंकर का भाषण एक स्टेट्समैन वाला भाषण था. उन्होंने नमस्ते करके अपना भाषण शुरू किया.”
दत्ता के मुताबिक विदेश मंत्री के भाषण में दो-तीन बातें अहम थीं. वो कहते हैं, “पहली बात ये कही कि जिन दो-चार बड़े देशों की पूरी दुनिया में चलती थी. जो अपने एजेंडे को दुनिया पर थोपते थे अब उनकी नहीं चलेगी. दुनिया का समीकरण बदल गया है. अब ग्लोबल साउथ की आवाज़ें सुनी जाएंगी.”
डॉ दत्ता कहते हैं, “दूसरी अहम बात जो उन्होंने कही वो यह कि भारत ने बहुत कामयाबी से जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया. नई दिल्ली घोषणापत्र ऐतिहासिक था, जिसे हमेशा के लिए याद रखा जाएगा. भारत की पहल की वजह से अफ़्रीकन यूनियन को G20 में शामिल किया गया. भारत हमेशा विकासशील कहे जाने वाले देशों या ग्लोबल साउथ की आवाज़ बना रहेगा.”
विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि नई दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन से जो कुछ हासिल हुआ, उसकी गूंज आने वाले कई सालों तक सुनाई देगी. उनका कहना था भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन के दौर से बाहर निकल चुका है. हम विश्व मित्र के तौर पर उभरे हैं.
कनाडा का परोक्ष रूप से ज़िक्र
कनाडा के टोरंटो शहर में विदेश मंत्री का भाषण को सुन रहे वरिष्ठ पत्रकार और ‘द राइज ऑफ़ सिख्स अब्रॉड ‘ किताब के लेखक गुरमुख सिंह ने कहा कि परोक्ष रूप से डॉ जयशंकर ने भारत-कनाडा तनाव का ज़िक्र किया.
विदेश मंत्री के भाषण पर वो कहते हैं, “उन्होंने कनाडा-भारत तनाव का जो संदर्भ दिया वह अप्रत्यक्ष था. जब उन्होंने कहा कि आप अपनी सुविधा के लिए मुद्दों का चयन नहीं कर सकते. तनाव का एक और परोक्ष संदर्भ यह था कि कैसे कुछ राष्ट्र आज वैश्विक एजेंडा निर्धारित करते हैं. उन्होंने कहा कि इसे अब चुनौती दिए बिना नहीं रहा जा सकता.”
भारत के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि वो दिन ख़त्म हो गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उसके अनुरूप चलने की उम्मीद करते थे.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के हेडक्वार्टर में उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण इतना तीव्र है और उत्तर-दक्षिण विभाजन इतना गहरा है, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन भी इस बात की पुष्टि करता है कि कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं.”
भारत-कनाडा राजनयिक विवाद
कनाडा और पाकिस्तान के एक अन्य परोक्ष संदर्भ में डॉ जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि ‘राजनीतिक सुविधा’ आतंकवाद या उग्रवाद की प्रतिक्रिया का आधार नहीं हो सकती है.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नियम-आधारित व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करने की अपील की.
किसी देश का नाम लिए बिना जयशंकर ने उन देशों को भी आड़े हाथों लिया जो दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं.
जयशंकर की यह टिप्पणी कनाडा के साथ जारी राजनयिक विवाद के बीच आई है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया है कि जून में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में ‘दिल्ली के एजेंट’ शामिल थे.
निज्जर एक कनाडाई नागरिक थे, लेकिन भारत में एक हत्याकांड में वॉन्टेड थे. भारत ने कनाडा के इल्ज़ाम पर पहले ही अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कनाडा ने निज्जर की हत्या में उसकी कथित भूमिका से जुड़े कोई सबूत साझा नहीं किया है.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन के बाद जयशंकर अब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से वाशिंगटन में मुलाक़ात करने वाले हैं.
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ज़ुबैर अहमद
पदनाम,बीबीसी संवाददाता
Sep 26, 2023 UNITED NATIONS HEADQUARTERS
Subrahmanyam Jaishankar, Minister for External Affairs of the Republic of India, addresses the general debate of the 78th Session of the General Assembly of the United Nations (New York, 19 – 26 September 2023).
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India’s Minister for External Affairs Subrahmanyam Jaishankar said that pursuing national interests is not “being in contradiction with global good,” adding that when India “aspires to be a leading power,” this means to “take on greater responsibility and make more contributions.”
The Minister for External Affairs today (26 Sep) spoke at the General Assembly’s annual general debate.
The Indian diplomat said, “As the United Nations itself symbolizes, finding common ground is an imperative, to listen to others and to respect their viewpoints.”
“This is not weakness. It is the basics of cooperation. Only then, can collective efforts on global issues be successful,” Jaishankar continued.
Speaking about the African Union becoming a permanent member of the G20, the Indian diplomat said, “This significant step in reform should inspire the United Nations – a much older organization – to also make the Security Council contemporary.”
He reiterated, “Broad representation is after all, a prerequisite for both effectiveness and credibility