नागोर्नो-काराबाख़ क्षेत्र में रहने वाले अर्मेनियाई नागरिक आज़रबाइजान के साथ युद्धविराम के रूसी प्रस्ताव पर सहमत हो गए हैं।
इससे एक दिन पहले ही आज़रबाइजान ने इस एन्क्लेव पर नियंत्रण के लिए आक्रामक अभियान शुरू किया था।
आज़रबाइजान के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि वह अर्मेनियाई आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्र में युद्धविराम पर सहमति बन गई है।
अर्मेनियाई प्रधान मंत्री निकोल पशिनियान ने कहा है कि नागोर्नो कराबाख़ में अलगाववादियों और आज़रबाइजान के बीच, संघर्ष विराम होना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विवादित क्षेत्र में रूसी शांति सैनिकों द्वारा इसे सुनिश्चित किया जाएगा।
पशिनियन ने एक टीवी संबोधन में कहाः हमें उम्मीद है कि सैन्य तनाव जारी नहीं रहेगा, क्योंकि मौजूदा परिस्थितियों में स्थिरता सुनिश्चित करना और युद्धक कार्यवाहियों को रोकना बहुत महत्वपूर्ण है।
आज़रबाइजान मीडिया के अनुसार, रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आज़री सेना ने नागोर्नो-काराबाख़ में 90 फ़ीसद से अधिक क्षेत्र और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकानों पर नियंत्रण कर लिया है।

क़राबाग़ पर आज़रबाइजान ने क्यों कर दिया हमला?
आर्मीनिया और आज़रबाइजान की सेनाओं के बीच फ़्रंटलाइन पर तनाव तो जारी है और दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर दुश्मनी के भावना से गतिविधियां करने के आरोप लगा रहे हैं।
आज़रबाइजान की सरकारी समाचार एजेंसी आज़रताज ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से लिखा कि सीमा पर आर्मीनिया की सेना की ओर से बारूदी सुरंग बिछाए जाने के जवाब में मंगलवार 19 सितम्बर को आर्मीनिया की सेना के ठिकानों पर हमला किया गया। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आर्मीनिया की सेना का बारूदी सुरंगें बिछाना मास्को में हुए तीन पक्षीय समझौते का उल्लंघन है और इस कार्यवाही में दो आज़री सैनिक मारे गए।
बयान में कहा गया कि आर्मीनिया की सेना द्वारा की गई कार्यवाही के जवाब में आज़री सेना ने क़राबाग़ के इलाक़े में आप्रेशन शुरू किया है जिसका लक्ष्य इस इलाक़े में आर्मीनिया की सेना के ठिकानों को ख़त्म करना है। बयान में यह भी कहा गया है कि रूस की शांति फ़ोर्स को इस पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है।
आज़रबाइजान के आरोप के जवाब में आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि क़राबाग़ में हमारा कोई सैनिक अड्डा नहीं है, इस बारे में आज़रबाइजान के रक्षा मंत्रालय का बयान भ्रांति पैदा करने वाला है। आर्मीनिया के विदेश मंत्रलय ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद और रूसी शांति बल से मांग की कि क़राबाग़ में आज़रबाइजान की सेना के हमलों पर अंकुश लगाएं।
क्षेत्रीय और वैश्विक संस्थाओं और सरकारों के हस्तक्षेप के बावजूद दोनों देशों का विवाद हल नहीं हो पा रहा है। आर्मीनिया ने क़राबाग़ के इलाक़े को आज़रबाइजान के इलाक़े के रूप में मान्यता दे दी है लेकिन इसके बावजूद हमले हो रहे हैं।
आज़रबाइजान की इलहाम अलीयोफ़ सरकार के अधिकारियों का कहना है कि वो अपने इलाक़े में किसी भी तरह की सैनिक तैनाती और अभ्यास कर सकते हैं। मगर आर्मीनिया की सरकार का कहना है कि आज़रबाइजान की सरकार क़राबाग़ में बसने वाले अरमनी जाति के लोगों के बारे में ज़रूरी आश्वासन दे।
ज़ाहिर है कि इन हालात में आर्मीनिया और आज़रबाइजान के बीच विवाद को समाप्त करवाना कठिन है। आर्मीनिया और अमरीका के संयुक्त सैन्य अभ्यास की वजह से भी जटिलताएं पैदा कर दी हैं। आर्मीनिया के राजनैतिक टीककार मिकाइल ज़ूलियान कहते हैं कि मुझे लगता है कि आर्मीनिया की सरकार को पश्चिम से कुछ इशारे मिले हैं जिसकी वजह से रूस से अपने संबंधों के बारे में आर्मीनिया का स्वर कठोर हो गया है।
रूस के विदेशी मामलों के विशेषज्ञ निकोलाय सीलाएफ़ का कहना है कि आर्मीनिया के प्रधानमंत्री पाशीनियान यह समझ रहे हैं कि उन्हें पश्चिम से संबंध अच्छे करने के लिए कुछ एसा करना चाहिए जिससे रूस नाराज़ हो।
आर्मीनिया ने हाल ही में अमरीका के साथ संयुक्त अभ्यास किया जिस पर रूस को भी काफ़ी चिंता है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूस क़राबाग़ के मामले में आज़रबाइजान और आर्मीनिया दोनों से संपर्क कर रहा है।
रूसी विदेश मंत्रलय ने कहा कि क़राबाग़ के बारे में हुए समझौते के आधार पर इस मसले को हल किया जाना चाहिए। हम दोनों ही देशों से चाहते हैं कि एक दूसरे पर हमले बंद करें और कूटनयिक मार्ग अपनाएं।
आर्मीनिया और आज़रबाइजान दोनों ही पड़ोसी देश हैं और बाहरी शक्तियों की लालची निगाहें दोनों देशों पर लगी हैं। दोनों देश आपसी बातचीत और समझदारी से मसले को हल कर सकते हैं।
NEXTA
@nexta_tv
The conflict, which had been simmering for more than 30 years, ended in two days with #Azerbaijan’s victory and restoration of control over its internationally recognised territory.
The Azerbaijani Defence Ministry said an agreement had been reached in #Karabakh:
📍The formations of the Armenian armed forces and illegal armed formations stationed in the Karabakh region are laying down their weapons. They leave their combat positions and military posts and fully disarm and leave the territory of Azerbaijan. Illegal formations will be disbanded. At the same time, all weapons and heavy equipment are to be surrendered.
📍The implementation of these processes is ensured in coordination with #Russian “peacekeepers”.
In Karabakh, 32 people have been killed and more than 200 wounded since the beginning of the escalation. Armenia’s Investigative Committee has opened criminal cases on genocide related to Azerbaijan’s actions to block the Lachin corridor.
The Azeri Times
@AzeriTimes
Today, 7 Azerbaijani police officers tragically lost their lives due to a recently-placed landmine, by #Armenian forces on the highway in #Karabakh controlled by #Azerbaijan. In retaliation, the Azerbaijan Defense Ministry announced the start of a counter-terrorism operation against armed militants within its borders.
Dr. Elman Muradov
@elman_murad
If the #Armenian government sends those who gathered to the rally demanding intervention in #Azerbaijan to #Karabakh, they will dress in women’s clothes and desert after 1 day.
Kornelij
@Kornelij
Azerbaijan dictatorship massively shelling #Artsakh / #Karabakh, using heavy artillery
Emilio Cricchio
@EmilioCricchio
If #Azerbaijan is successful in cleansing #Karabakh of Armenians, the US and EU will have made it loud and clear – if you are a fledgling democracy, you will get mauled, and we won’t come to your aid, unlike godless autocracies who will sacrifice a great deal for their allies.