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भारत ने बांग्लादेश के आम चुनावों के मद्देनज़र अमेरिका को सतर्क किया, भारत की चिंता?

हिन्दुस्तान टाइम्स ने आज भारत, बांग्लादेश, अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर एक ख़बर प्रकाशित की है.

बांग्लादेश में आम चुनाव होना है और इसे लेकर अमेरिका, चीन और भारत की अपनी-अपनी रणनीति है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत ने बांग्लादेश के आम चुनावों के मद्देनज़र अमेरिका को सतर्क किया था कि बांग्लादेश पर अधिक दबाव बनाने से चरमपंथी ताक़तें मज़बूत होंगी और क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित होगी.

अख़बार ने इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से ये ख़बर प्रकाशित की है.

रिपोर्ट के मुताबिक़ हाल के महीनों में कई वार्ताओं के दौरान भारत ने अमेरिका के समक्ष अपनी ये चिंता ज़ाहिर की है.

भारत ये भी मानता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के मुद्दे पर अमेरिका का दबाव बांग्लादेश को चीन के क़रीब धकेल सकता है और इसका क्षेत्र पर असर पड़ेगा.

भारत ने भी स्पष्ट किया कि वह भी बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहता है

भारत ने अमेरिका को बताया है कि इस संबंध में अगर बांग्लादेश पर बहुत अधिक दबाव बनाया गया तो बांग्लादेश में चरमपंथी और कट्टरपंथी ताक़तें ही मज़बूत होंगी.

इस मामले से संबंधित लोगों ने अख़बार को बताया है कि भारत मानता है कि बांग्लादेश में शेख़ हसीना की सरकार ने अभी तक इन ताक़तों को नियंत्रित रखा है.

दिसंबर 2021 में अमेरिका ने बांग्लादेश के अर्धसैनिक बल रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और इसके कई वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे.

मई 2023 में अमेरिका ने बांग्लादेश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करने वाले लोगों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी थी.

अमेरिका ने कहा था कि राजनीतिक दलों, नागरिक समूहों या मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करने पर ये क़दम उठाये जा सकते हैं.

जोहानिसबर्ग में हाल ही में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना से मुलाक़ात हुई थी.

दोनों नेताओं की मुलाक़ात के चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन बाहरी ताक़तों के दख़ल के विरोध में बांग्लादेश का समर्थन करता है और चीन और बांग्लादेश अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे.

इसी बयान में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना का वक्तव्य भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘बांग्लादेश-चीन संबंध “आपसी सम्मान और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने” पर आधारित हैं.’

भारत की चिंता

शेख़ हसीना साल 2009 से सत्ता में हैं और लगातार चौथी पर प्रधानमंत्री पद हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं.

भारत के पड़ोस में शेख़ हसीना को भारत के सबसे भरोसेमंद सहयोगी के रूप में भी देखा जाता है.

अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़ शेख हसीना की सरकार ने भारत विरोधी चरमपंथी समूहों पर कार्रवाई की है और ऊर्जा और कारोबार के क्षेत्र में भारत के साथ संपर्क को और मज़बूत किया है.

इसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए सामान ले जाने के लिए कई अहम बंदरगाहों को खोलना भी शामिल हैं.

बांग्लादेश में जनवरी 2024 में आम चुनाव होने हैं. अमेरिका और यूरोपीय संघ के देश बांग्लादेश सरकार पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए दबाव बना रहे हैं. इससे विपक्ष की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को बल मिल रहा है.

हाल के महीनों में बीएनपी ने बांग्लादेश में कई बड़ी राजनीतिक रैलियां की हैं.

बीएनपी ने साल 2014 के आम चुनावों का बहिष्कार किया था और 2019 के चुनावों में उसे सिर्फ़ सात सीटों पर ही जीत मिली थी.

हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से लिखा है कि इस बार के चुनाव में बीएनपी को कई सीटों पर जीत मिल सकती है.

भारत की चिंता ये है कि अगर बांग्लादेश में जमात मज़बूत होती है तो वहाँ चरमपंथी समूहों को बल मिलेगा, जिसका असर भारत के सीमावर्ती इलाक़ों पर पड़ सकता है.

हाल ही में शेख़ हसीना की पार्टी के नेताओं ने बीजेपी के आमंत्रण पर भारत का दौरा भी किया था और बांग्लादेश के चुनावों के महत्व का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि आगामी चुनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं.