https://www.youtube.com/watch?v=Gy4rpjFEw-s
Shikha Singh
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विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में
तो उतनी ही प्रेम में होती हैं
जितनी होती हैं कुँवारी लड़कियां
प्रेम कुँवारेपन और विवाह को नहीं जानता
केवल मन के दर्पण को देखता
मन के राग को सुनता है
विवाहित स्त्रियाँ भी समाज से डरते हुए
करती जाती हैं प्रेम
किसी अमर बेल की तरह৯
क्योंकि ©प्रेम के बीज बोये नहीं जाते
वे स्वत ही हृदय की नम सतह पाकर
कभी भी कहीं भी किसी क्षण
प्रेम बनकर अंकुरित हो उठते हैं
प्रेम में हो जाती हैं वे भी
सोलह सत्रह बरस की कोई नयी सी उमंग
ललक उठता है उनका भी मन
प्रेमी की एक झलक पाने को
दैहिक लालसा से परे होता है उसका प्रेम
वे आलिंगन के स्पर्श से ही मात्र
आत्मा के सुख में प्रवेश कर जाती है
वे भी बिसरा देती है अपना हर एक दुख
प्रेमी की आँखों में डूबकर
उसकी हर आहट से हो जाती है वो मीरा
तार तार बज उठता है उसके मन का संगीत
प्रेमी की एक आवाज से
सोलहवें सावन सा मचल उठता है
भावनाओं का बादल
खिल उठती है वह पलाश के चटक रंगों की तरह
लहरा उठती है उसकी खुशियां
बसंत के पीले फूलों की फसलों की तरह
नहीं चाहतीं वह अपने प्रेम पर
समाज का कोई भी लांछन
नहीं चाहती कोई कुल्टा कहकर
उसके प्रेम का करे अपमान
बनी रहना चाहती है अपने बच्चों सबसे अच्छी माँ
और पति की कर्तव्यनिष्ठ पत्नी
वह विवाह के सामाजिक बंधनों के दायित्वों से
नहीं फेरना चाहती अपने कदम
वह बनी रहना चाहती है
अपनी इच्छाओं के समर्पण से एक सुंदर मन की स्त्री
जैसे बनी रहना चाहती है कुँवारी लड़कियाँ
अपने भाई की लाडली बहन
और माँ बाप की समझदार बेटी
अपने प्रेमी की होने के सपनों के साथ
विवाहित स्त्रियाँ भी अपने प्रेमी का हर दुख
अपने आँचल में छुपा लेना चाहती है
अपनी हर प्रार्थना में करती हैं
उनके सुख की कामना के लिए आचमन
परन्तु कुँवारी प्रेमिकाओं की तरह
उसके सपनों की कोई मंजिल नहीं होती
वह अपने सपनों में जीना चाहती है
अपने प्रेमी के साथ एक पूरा जीवन
गाड़ी के दो पहिए की तरह चलता है
उसका प्रेम और उसकी गृहस्थी
रात के बैराग्य मठ पर नितांत अकेले
वे पति की पीठ पर देखती हैं प्रेमी का चेहरा
पाना चाहती है प्रेमी৯ की भावनाओं में
अपनेपन की छाँव और जीवन की विषमताओं में
उसकी सरलता का साथ
कुँवारी लड़कियाँ प्रेमी के संग
बंधना चाहती है परिणय सूत्र में
जबकि विवाहिता৯ स्त्रियाँ प्रेमी को नहीं चाहती खोना
बंध जाना चाहती है विश्वास के अटूट बंधन में
वे विवाहिता होने की ग्लानि में
प्रेम की आहूति नहीं देती
बल्कि संसार की सारी प्रेमिकाओं की तरह
अपने प्रेमी को मन प्राण से करती जाती है प्रेम।
#अनामिका_चक्रवर्तीअनु
AnamikaChakraborty
@sahitya_tak
https://www.youtube.com/watch?v=6qPI_b3kI-o
Ravindra Kant Tyagi
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कई साल पहले एक फिल्म आई थी “हैदर”। इस फिल्म को देखकर मैं कई रात सो नहीं पाया था।
क्या किसी देश में ऐसी फिल्म भी बन सकती है जो सीधे सीधे उस देश की सेना को निर्दयी, तानाशाह और निर्दोषों पर नाजायज अत्याचार करने वाला दिखाये। भारतीय सेना पर अंधेरी कोठरियों में निर्दोषों पर अत्याचार करते हुए दिखाकर भारत की सेना को ही कटघरे में खड़ा कर दे और देश और सरकार शांति के साथ तमाशा देखती रहे।
एक रूहदार नामक आदमी बोलता है कि जब अत्याचार की इंतेहा हो जाती है तो इंसान की रूह निकल जाती है और शरीर को सेना के लोग रात को झेलम में फेंक देते हैं।
एक डॉक्टर है जो पुलिस और सेना को सूचना दिये बिना आतंकियों का अपने घर में छिपाकर इलाज करता है। उसे इनोसेंट दिखाने और उसके प्रति सहानुभूति पैदा करने का पूरा प्रयास किया गया। नायिका कहती है कि हम अनंतनाग को इस्लामाबाद कहते हैं। नायक सरकार के अत्याचारों से विक्षिप्त सा हो जाता है किन्तु …..
उसके उपरांत भी हम भारतवासियों ने फिल्म को खूब देखा और निर्माता विशाल भारतद्वाज को मलमाल कर दिया था।
आज देश में सत्तर सालों के इतिहास में लाल सिंह चड्ढा के बोयकौट के बहाने ही सही पहली बार जनता में ये चेतना पैदा हुई है कि अब हम न देश का अपमान बर्दाश्त करेंगे और न ही अपने आरध्यों का।
किसको श्रेय देंगे आप इस जागरूकता का?
https://www.youtube.com/watch?v=CsM2kfr3bOI