इतिहास

शहीदे वतन : नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा संचालित आज़ाद हिन्द फ़ौज के 150 शहीद मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास, जानिये!

Ataulla Pathan
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नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा संचालित आज़ाद हिन्द फ़ौज के मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी शहीदे वतन
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नेता जी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा मुल्क को आज़ाद कराने के लिए सिंगापुर में गठित आज़ाद हिन्द फ़ौज ने क्रांतिकारी आन्दोलन में बड़ा योगदान दिया है। असल में बड़ी संख्या में देशवासी ब्रिटिश सेना में काम तो कर रहे थे परन्तु उनके दिलों में देश को आज़ाद कराने और देश से मुहब्बत का जज़्बा पल रहा था। हुआ यही कि जब सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फ़िरंगियों से संघर्ष करके देश को आज़ाद कराने के लिए फ़ौज का गठन किया गया तो वे हिन्दुस्तानी जो कि ब्रिटिश सेना में अलग अलग पदों पर कार्यरत थे बड़ी संख्या में नौकरियां छोड़ कर नेता जी की इंडियन नेशनल आर्मी (Indian National Army-INA) शामिल हो गए। ब्रिटिश सेना में भर्ती हज़ारों मुसलमान सैनिक भी वतन परस्ती और देश को आज़ाद कराने के सच्चे जज़्बे को अपने दिलों में बसाए ब्रिटिश सेना की नौकरियां छोड़ कर आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। चूँकि वे सभी सैनिक अनुभवी थे और लड़ाई के सभी गुर-घाट से पहले से ही वाक़िफ़ थे, इस कारण उन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में जमकर हिस्सा लिया। यहां तक कि बड़ी संख्या में मुसलमान अनुभवी फ़ौजियों ने देश की ख़ातिर लड़ते हुए अपनी जानें क़ुर्बान कर अपना नाम अमर शहीदों में लिखवा लिया।

राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय के रिकार्ड में आज़ाद हिन्द फ़ौज के कुछ ऐसे मुसलमानों के नाम दिए हैं जिन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष कर देश पर अपनी जानें क़ुर्बान की हैं।

इस पुस्तक में आज़ाद हिन्द फ़ौज के सभी मुसलमान शहीदों के नाम लिखा जाना तो संभव नहीं था। फिर भी यहां आज़ाद हिन्द फ़ौज के मुसलमान देश प्रेमी शहीदों के नाम अंकित किए जा रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी उन शहीदों के नामों से परिचित हो सकें। कुछ जांबाज़

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1. अब्दुल अज़ीज़ – ज़िला गुजरात पंजाब में पैदा हुए। पहले ब्रिटिश सेना में थे। आज़ाद हिन्द फ़ौज की गोरिल्ला रेजीमेंट में बतौर हवलदार शामिल हो गए थे। इम्फाल में लड़ते हुए शहीद हो गए।

2. अब्दुर्रहमान ख़ां ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में हवलदार हुए। लड़ते हुए शहीद हो गए।

3. अहमद खां जिला गुजरात पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी रेजीमेंट में हवलदार हुए। इम्फाल के क़रीब लड़ाई के मैदान में शहीद हुए।

4. अख़तर अली- आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रंजीमेंट में कैप्टिन के पद पर हुए। मैदाने जंग में ही शहीद हुए।

5. अल्लाह दीन वल्द मौला बख़्श-ग्राम तला जिला रोहतक में पैदा आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हुए। मैदाने जंग में ही शहीद हुए।

6. अलताफ़ हुसैन जिला अमृतसर में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में शामिल हुए। बर्मा में मैदाने जंग में शहीद हुए।

7. बाबू खां जिला जालन्धर में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो कर जंग में शहीद हुए।

8. बरकत— ग्राम भदरन जिला कांगड़ा में पैदा हुए, आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। देश के दुश्मनों से लड़ते हुए बर्मा में मैदाने जंग में शहीद हुए।

9. बशीर अहमद — ग्राम बहली ज़िला रोहतक में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में लेफ़्टिनेंट थे। कैसवा के क़रीब मैदाने जंग में शहीद हुए।

10. बशीर अहमद— ग्राम टार्च ज़िला सियालकोट में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली रेजीमेंट में शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

11. छोटू खां – ज़िला करनाल में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी रेजीमेंट में सिपाही हुए। मैदाने जंग में काम आए।

12. चिराग़ दीन—जिला लुधयाना में पैदा हुए। बर्मा में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद हो गए। 13. चिराग़ ख़ां—ज़िला कपूरथला में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में सिंगापुर में शामिल हो गए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

14. दिलावर ख़ां ग्राम झाली ज़िला झेलम में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में सिंगापुर में शामिल हो गए। 1942 में मैदाने जंग में शहीद हो गए।

15. फ़तह अली – ग्राम बिछाली ज़िला झेलम में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में सिंगापुर में शामिल हो गए। 1942 में मैदाने जंग में ही शहीद हुए।

16. फ़तह ख़ां जिला झेलम में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में सिंगापुर में शामिल हो गए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

17. फ़तह मुहम्मद रोहतक पंजाब में पैदा हुए। सिंगापुर में आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हो गए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए जंगार कार्चा के स्थान पर शहीद हो गए।

18. फ़तह मुहम्मद शेरपुर जिला होशियारपुर में पैदा हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद हुए। हुए। मलाया में आज़ाद 19. फ़ज़ल दादा–ग्राम संथाल ज़िला झेलम में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

20. फ़ज़ल ख़ां – ज़िला रावलपिंडी में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रंजीमेंट मे हवलदार हुए। 15 अप्रैल 1945 को शहीद हुए।

21. फ़ीरोज़ ख़ां – ग्राम हज़ारमल ज़िला झेलम में पैदा हुए। सिंगापुर में आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरिल्ला रेजीमेंट में बतौर लांस नायक शामिल थे।
मैदाने जंग में शहीद हुए।

22. ग़ुलाम नबी — ग्राम हरमाबाद ज़िला गुरदासपुर पंजाब में पैदा हुए। बर्मा में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। अंग्रेज़ ने गिरफ़्तार कर लिया।कैम्प में फ़रवरी 1944 में इन्तिक़ाल हो गया।

23. हफ़ीज़ुल्लाह — ग्राम गुलमांडा ज़िला हरिपुर हज़ारा में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरीला रेजीमेंट में लेफ़्टिनेंट हुए। सितम्बर 1944 को शहीद कर दिये गए।

24. इरशाद अली—बनगाना ज़िला रोहतक में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरीला रेजीमेंट में शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद कर दिये गए।

25. जहां दाद जिला रावलपिंडी में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। 22 जनवरी 1943 को गोली लगने के कारण शहीद हो गए।

26. जलालुद्दीन कपूरथला पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरे रेजीमेंट में शामिल हो गए। इम्फाल के पास शहीद कर दिये गए।

27. क़ासिम अली वल्द फ़रीदा खां ज़िला यबाना हरियाण में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हुए। मैदाने जंग में
शहीद हुए।

28. खान मुहम्मद जिला झेलम पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में लांस नायक हुए। रंगून में 11 जनवरी 1945 को लड़ाई में शरीक हुए।

29. ख़ुदा बख़्श — ग्राम ताजक ज़िला केमलपुर पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। नामू स्थान पर लड़ाई में शहीद हुए।

31. खुशी मुहम्मद ज़िला लुधियाना पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज के एस.एस. ग्रुप में शामिल हो गए। बर्मा के मोर्चे पर शहीद हुए।

32. लाल ख़ां – ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शरीक हो गए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

33. मेहरबान ख़ां— ग्राम रम्भा ज़िला करनाल में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हो गए। केलवा स्थान पर अंग्रेज़ों की बमबारी में 24 अक्टूबर 1944 को शहीद हो गए।

34. मुहम्मद अब्बास – ग्राम कुरार ज़िला रावलपिंडी पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। लड़ाई में ही शहीद हुए।

35. मुहम्मद अफ़जाल-ग्राम रमन ज़िला रावलपिंडी पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली डिवीज़न में बतौर लेफ़्टीनेंट सिंगापुर में शामिल हुए। बर्मा में एक लड़ाई के मौक़े पर शहीद हुए।

36. मुहम्मद अनवार—क़सबा नवापुर पंजाब में पैदा हुए। 1942 में सिंगापुर में बतौर लेफ़्टीनेंट दूसरे बहादुर ग्रुप में शामिल हो गए। अराकान (बर्मा) की पहड़ियों पर जनवरी 1943 में शहीद हुए।

37. मुहम्मद नियारस – ग्राम बसाली ज़िला रावलपिंडी में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर लेफ़्टीनेंट दूसरी गोरिल्ला रेजिमेंट में शामिल हुए। दुश्मन लड़ते हुए शहीद हो गए।

38. मुहम्मद शफ़ी ग्राम पानी जिला लाहौर पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज मलाया में शामिल हुए। मैदान जंगे में दुश्मन अंग्रेज़ से लड़ते हुए शहीद हो गए।

39. मुहम्मद शफ़ी— ग्राम सुहाल जिला जालन्धर पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर हवलदार दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हुए। इम्फाल के क़रीब दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हो गए।

40. मुहम्मद याकूब – ग्राम कासर हज़ारा सूबा सरहद में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

41. मुहम्मद याकूब वल्द नज़र मुहम्मद आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरीला रेजिमेंट में बतौर हवलदार सिंगापुर में शामिल हुए। देश के दुश्मनों से लड़ते हुए मैदाने जंग में अपनी जान दे दी।

42. मुहम्मद यूसुफ़—ग्राम इब्राहीम ज़ेर ज़िला कोहाट में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में 1942 में शामिल हुए। इम्फाल के क़रीब फ़िरंगियों से मुक़ाबला करते हुए शहीद हुए।

43. नबी बख़्श ग्राम मियाँवाली ज़िला कपूरथला पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के दूसरे गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हुए। 1942 में इम्फाल के क़रीब मैदाने जंग में ही शहीद हो गए।

44. नूर हसन–ग्राम काफ़ी ज़िला केम्बलपुर पंजाब में पैदा हुए। 1942 में मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। सिंगापुर में नवम्बर 1944 में शहीद हो गए।

45. सोगंद अली—ज़िला रोहतक हरियाणा में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरिल्ला रेजीमेंट में सिंगापुर में 1942 में शामिल हुए। मैदाने जंग में ही शहादत पाई।

46. ताज मुहम्मद ग्राम गूजर गढ़ ज़िला मर्दान में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले ग्रुप में लेफ़्टीनेंट थे। ब्रिटिश शासन ने गिरफ़्तार कर लिया।लखनऊ में कैद की हालत में 1946 में शहीद हुए।

47. जहूर अहमद जिला शैखपुरा पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। बर्मा में अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए गिरफ़्तार हुए। कोर्ट मार्शल के बाद 23 अगस्त 1943 को फांसी पर चढ़ा दिए गए।

48. अब्दुल अज़ीज़ वल्द अब्दुल कय्यूम ग्राम बरोली जिला बुलन्दशहर में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। मैदाने जंग में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ते हुए शहीद हुए।

49. अब्दुल ग़नी—मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। यूनिट न. 451 में भर्ती हुए। 16 मार्च 1945 को अंग्रेज़ी फ़ौज से बर्मा में
मुक़ाबला किया। शहीद हुए।

50. मुहम्मद अब्दुल क़ादिर – ग्राम वाकम ज़िला त्रिवेंन्द्रम केरल में 25 मार्च 1917 को पैदा हुए। मलाया में 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। अंग्रेज़ी हुकूमत ‘ने गिरफ़्तार कर जासूसी का इलज़ाम लगाया। 15 सितम्बर 1942 को मद्रास में फांसी दे दी गई।

51. अब्दुर्रशीद ख़ां आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में बतौर अफ़सर शामिल हुए। मैदाने जंग में ही शहादत पाई।

52. अब्दुर्रज़्ज़ाक़ वल्द मुन्शी ख़ां ग्राम सेम्बल ज़िला रोहतक में पैदा हुए।1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में शामिल हुए।अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए कल्योरा बर्मा में शहीद हुए।

53. अहमद ख़ां वल्द श्री हातिम ख़ां ग्राम करला जामन ज़िला डेरा ग़ाज़ी ख़ां सूबा सरहद में पैदा हुए। 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में बतौर हवलदार शामिल हो गए। अंग्रेज़ी फ़ौज से हुए। मैव अस्पताल बर्मा में अंतिम सांस ली।

54. सय्यिद अख़तर अली वल्द सय्यिद इफ़तिख़ार अली हकीम आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में बतौर कैप्टन शामिल हुए। मैदाने जंग में शहीद हुए।

55. अख़तर महमूद–जर्मनी में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। इटली में मोर्चे पर शहीद हुए।

56. अली अकबर-ग्राम बदाई ज़िला गुजरात पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में जर्मनी में शामिल हुए। फ़्रांस में मोर्चे पर शहीद हुए।

57. अली ख़ां जर्मनी में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हुए। फ्रांस में मोर्चे पर शहीद हुए।

58. अली मुहम्मद जिला लायलपुर पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर हवलदार शामिल हुए। बर्मा में अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए। लखनऊ अस्पताल में 1945 में इन्तिक़ाल हुआ। हुए ज़ख्मी

59. अली मुहम्मद – 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर लांस नायक भर्ती हुए। इम्फाल के क़रीब अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

60. अल्लाह दाद–आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर ख़ुफ़िया नायक भर्ती हुए। मोर्चे पर शहीद हुए।

61. सय्यद आदिल मलाया में बतौर नायक यूनिट न. 50 में भर्ती हुए।अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए 1 मई 1944 को बर्मा में शहीद हुए।

62. अहमदुल्लाह—कपूरथला इनफैंट्री में नायक यूनिट न.50 में भर्ती हुए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए 1 मई 1944 को बर्मा में शहीद हुए।

63. अमरी वली- आज़ाद हिन्द फ़ौज गोरीला रेजीमेंट में बतौर सिपाही 1942 में भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

64. अमीर हयात वल्द करीम बादशाह- आज़ाद हिन्द फ़ौज में लांस नायक भर्ती हुए।अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

65. अय्यूब ख़ां— ग्राम नाहर ज़िला पूंछ जम्मू कश्मीर में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में लेफ़्टीनेंट पद पर भर्ती हुए। अंग्रेज़
फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

66. बुद्दन–मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में सिपाहियों में यूनिट न.154 में भर्ती हुए। बर्मा में 16 मार्च 1945 को अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

67. बदरुद्दीन— आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में हवलदार पद पर भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए। 68. बैगा ख़ां—आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरिल्ला रेजीमेंट में सिपाही भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

69. बाक़र अली मलाया में आज़ाद हिन्द की फ़ौज यूनिट न.50 में सिपाही भर्ती हुए। 25 मार्च 1944 को अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

70. बेहराम ख़ां मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज की यूनिट न.67 में सिपाही भर्ती हुए। 11 फ़रवरी 1945 को अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

71. मुहम्मद यूसुफ भट्टी मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। 1944 में बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

72. मनसब दार ग्राम नाहर ज़िला पूंछ जम्मू-कश्मीर में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरीला रेजीमेंट में सिपाही भर्ती हुए। 1942 में अंग्रेजी फ़ौज से लड़ते हुए इम्फाल में शहीद हुए।

73 शैख़ दस्तगीर—मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के बहादुर ग्रुप में नायक थे। दुश्मन के हवाई हमले में 30 मार्च 1944 को शहीद हुए।

74. दीन मुहम्मद – आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में 1942 में सिपाही भर्ती हुए। इम्फाल जंग के मैदान में शहीद हुए।

75. फ़तह अली— आज़ाद हिन्द फ़ौज जर्मनी में भर्ती हुए। फ्रांस के मोर्चे पर शहीद हुए।

76. फ़रज़न्द अली- 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। बर्मा की सरहद पर अंग्रेज़ फ़ौज से मुक़ाबले में शहीद हुए।

77. फ़तह ख़ां 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरिल्ला रेजीमेंट में बतौर हवलदार भर्ती हुए। हाका स्थान पर बर्मा मोर्चे पर शहीद हुए।

78. फ़ज़ल दाद- 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज जर्मनी में भर्ती हुये। इटली मे जुलाई 1944 में जंग के मोर्चे पर शहीद हुए।

79. फ़ज़ल करीम – 1942 में बतौर सिपाही आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए।इम्फाल के क़रीब मोर्चे पर शहीद हुए।

80. फ़ज़ल मुहम्मद -आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में सिपाही भर्ती हुए। मलाया में शहीद हुए।

81. ग़ुलाम हैदर शाह–1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज में हवलदार भर्ती हुए। बड़ी बहादुरी से लड़े। बहादुरी का मेडल भी हासिल किया। 18 मार्च 1944 को बर्मा में मोर्चे पर शहीद हो गए।

82. ग़ुलाम ख़ां वल्द हुसैन फ़क़ीर – आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में भर्ती हुए। इम्फाल के क़रीब मोर्चे पर शहीद हुए।

83. गुलाम नबी – ग्राम धर्मा आबाद जिला गुरुदासपुर पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर लांसनायक भर्ती हुए। बदाधरी कैम्प में फ़रवरी 1944 में शहीद हुए।

84. गुलाम पंजतन- मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप शामिल हुए। बर्मा में इन्तिकाल हुआ।

85. गुलाम कादिर-ग्राम अल्लाह आबाद भालपुर रियासत में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में हवलदार भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से मुक़ाबले में शहीद हुए।

86. गुलाम मुहम्मद – आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में नायक भर्ती हुए। 26 मई 1944 में नामू बर्मा में शहीद हुए।

87. गुलाम नबी- आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में 1942 में •बतौर लेफ़्टीनेंट शामिल हुए। कलीवा बर्मा में 1944 में मोर्चे पर शहीद हो गए।

88. गुलाम रसूल – आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में सिपाही भर्ती हुए। बर्मा में दरया सीनांग के पास शहीद हुए।

89. गोरे ख़ां –आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरे ट्रेनिंग सेंटर में हवलदार भर्ती हुए।मोर्चे पर ही शहीद हुए।

90. गुलाब नूर वल्द अजाइब नूर– जिला मर्दान, सूबा सरहद में पैदा हुए। 1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। रंगून पर दुश्मन की बम्बारी में शहीद हो गए।

91. गुलज़ार ख़ां – आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर सिपाही डिवीज़नल हेड क्वाटर्स में भर्ती हुए। सिंगापुर में शहीद हुए।

92. ए.ए. हमीद — आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहले बहादुर ग्रुप में बतौर लेफ़्टीनेंट भर्ती हुए। मार्च 1945 में रंगून में शहीद हुए।

93. यूसुफ़ हमज़ा— मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज यूनिट न. 122 में लांस नायक भर्ती हुए। 5 जून 1944 को अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

94. हातिम अली- मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ों ने गिरफ़्तार कर लिया। सेंट्रल अस्पताल लखनऊ में 1 नवम्बर 1946 को इन्तिक़ाल हुआ।

95. हिदायतुल्लाह – आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर लांसनायक 1942 में भर्ती हुए। मोर्चे पर ही शहीद हुए।

96. हुसैन अली- मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर नायक भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़े बर्मा अस्पताल में अक्टूबर 1943 में इंतिक़ाल हुआ।
97. इब्राहीम आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरीला रेजीमेंट में भर्ती इम्फाल के क़रीब मोर्चे पर शहीद हुए।

98. इमामदीन ग्राम काबल गढ़ ज़िला मीरपुर कश्मीर में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

99. इस्माईल – आज़ाद हिन्द फ़ौज में 1942 में भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए ज़ख़्मी हुए। गिरफ़्तार हुए। बर्मा में अस्पताल में इंतिक़ाल हुआ।

100. असमतुल्लाह– आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। फ्रांस में मोर्चे पर शहीद हुये।

101. जलालुद्दीन— मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए ज़ख़्मी हुए। बर्मा में इंतिक़ाल हुआ।

102. जलाल ख़ां वल्द बहादुर खां आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरीला रेजीमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए। बर्मा मे 1944 में इंतिक़ाल हुआ।

103. ख़ालिस खां – ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। मलाया आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए बुरी तरह जख्मी हुए।जखमो की तकलीफ़ के कारण बर्मा अस्पताल में 1944 में शहादत पाई।

104. ख़ान बाज़— ज़िला केम्बल में पैदा हुए। जर्मनी में आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो गए। फ्रांस में 1944 में मोर्चे पर शहीद हुए।

105. ख़ान बेग—1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज के ख़ुफ़िया ग्रुप में लांस नायक भर्ती हुए। अराकान की पहाड़ियों पर अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद

106. खान मुहम्मद ग्राम भाली जिला हिसार हरियाणा में पैदा हुए। 1942 आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में हवलदार भर्ती हुए। बर्मा के मोर्चे पर शहीद हुए।

107. ख़ाजिन शाह- 1942 को आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली इंजीनियरिंग कम्पनी में लांसनायक भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए बर्मा के मोर्चे पर शहीद हुए।

108. लाल हुसैन जर्मनी में आज़ाद हिन्द फ़ौज में लांस नायक भर्ती हुए। जर्मनी में इंतिक़ाल हुआ।

109. लाल ख़ां आज़ाद हिन्द फ़ौज में पहली बटालियन में लांस नायक भर्ती हुए। फ्रांस में शहीद हुए।

110. मज़हर अली खां – आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली बटालियन में जर्मनी में भर्ती हुए। सितम्बर 1944 में फ्रांस में मोर्चे पर शहीद हुए।

111. महबूब अली— मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के ख़ुफिया ग्रुप में लांस नायक भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए 1944 में बर्मा में शहीद हुए।

112. महबूब बख़्श – खानी ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में लांस नायक भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए ज़ख़्मी हुए। बर्मा अस्पताल में इंतिक़ाल हुआ।

113. मजनूं पठान—मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली गोरीला रेजीमेंट में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

114. मजनू हुसैन– ग्राम अंतर ज़ई ज़िला कोहाट में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। लड़ाई में ज़ख़्मी हुए। बर्मा के अस्पताल में इंतिक़ाल हुआ।

115. मीर गुल-मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली इंजीनियरिंग कम्पनी में नायक भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

116. मुहम्मद अफ़ज़ाल–आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में हवलदार हुए। देश के दुश्मनों से लड़ाई में ज़ख़्मी हुए। रंगून बर्मा के अस्पताल में 1944 में इंतिक़ाल हुआ।

117. मुहम्मद अकबर – ग्राम बसारत ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए ज़ख़्मी हुए। 1944 मे बर्मा के अस्पताल में ही इंतिक़ाल हो गया।

118. मुहम्मद अकरम 1944 में आज़ाद हिन्द फ़ौज में कैप्टन के पद पर भर्ती हुए। इंडिया इंडिपेन्डेंट आन्दोलन में विशेष हिस्सा लिया। जापान जाते. समय हवाई दुर्घटना में ख़त्म हो गए।

119. मुहम्मद अली वल्द मीर दाद- ग्राम संभाला जिला रोहतक में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में हवलदार हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहादत पाई।

120. मुहम्मद असलम आज़ाद हिन्द फ़ौज में जर्मनी में भर्ती हुए। दूसरी •बटालियन में 24 दिसम्बर 1944 को फ्रांस के मोर्चे पर शहीद हुए।

• 121. मुहम्मद अय्यूब ग्राम नेहर जिला पूंछ में पैदा हुए। मलाया में • हिन्द फ़ौज में लेफ़्टीनेंट भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए ।

122. मुहम्मद अता — आजाद हिंद के खुफिया ग्रुप मलाया मे भर्ती हुए। ख़ुफ़िया काम की ट्रेनिंग पाई। क्रांतिकारियों से सम्पर्क करने के लिए हिन्दुस्तान भेजे गए ताकि मुल्क के अन्दर आज़ादी की गतिविधियों को तेज़ किया जाए। अंग्रेज़ों द्वारा गिरफ़्तार कर लिए गए। बहुत तकलीफ़े दी गई। मुक़द्दमा क़ायम हुआ। 1942 में फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिए गए।

123. मुहम्मद दीन- आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में हवलदार भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए मोर्चे पर ही शहीद हुए।

124. मुहम्मद फज़ल – आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में हवलदार भर्ती हुए। मैदाने जंग में ज़ख़्मी हुए। बर्मा के अस्पताल में इंतिक़ाल किया।

125. मुहम्मद गुलाम आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजमेंट में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए जुलाई 1944 को मैदाने जंग में शहीद हुए।

126. मुहम्मद हुसैन– मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के ख़ुफ़िया ग्रुप में लांस नायक भर्ती हुए। अराकान की पहाड़ियों पर अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए जनवरी 1942 में शहीद हुए।

127. मुहम्मद हुसैन वल्द अब्दुल्लाह ख़ां – सियालकोट में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

128. मुहम्मद इलाही—मलाया में लांसनायक तैनात हुए। मनाबग दरिया, बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

129. मुहम्मद ख़ां—ग्राम सैठी ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में लांस नायक भर्ती हुए। मैदाने जंग में ज़ख़्मी हुए। 1944 में अस्पताल में इंन्तिक़ाल हुआ।

130. मुहम्मद ख़ां-मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए बर्मा में 15 जुलाई 1944 को शहीद हुए।

131. मुहम्मद वसी-मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी रेजीमेंट में शामिल थे। अंग्रेज़ों से लड़ते हुए इम्फाल में शहीद हुए।

132. मुहम्मद सरवर मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली इंजीनियरिंग कम्पनी में हवलदार भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद

133. मुहम्मद शफ़ी मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के ख़ुफ़िया ग्रुप में लांस नायक भर्ती हुए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए 1945 में अराकान की पहाड़ी पर शहीद हुए।

134. मुहम्मद याफ़ील– ज़िला रावलपिंडी में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए ज़ख्मी हुए। जुलाई 1944 में बर्मा अस्पताल में इंतिक़ाल हुआ।

135. मुहम्मद याक़ूब वल्द नवाब ख़ां ग्राम कासर जिला हज़ारा सूबा सरहद में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए, अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए बर्मा में शहीद हुए।

136. मुहम्मद यूसुफ़- आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी बटालियन में भर्ती 24 दिसम्बर 1944 को फ्रांस में जंग में शहीद हुए।

137. मुहम्मद ज़मां वल्द उमर दराज़ ख़ां – ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर अंडर ऑफ़ीसर जर्मनी में भर्ती हुए। अंग्रेज़ों के हवाई हमले में शहीद हुए।

138. मुबारक अली–1942 में आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजमेंट में नाइक भर्ती हुए। इम्फाल के क़रीब मोर्चे पर शहीद हुए।

139. मूसा ख़ां—आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रूप में हवलदार भर्ती हुए। 1943 में अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

140. मुमताज़ अली—ग्राम बहली जिला हिसार में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

141. नासिर अहमद आज़ाद हिन्द फ़ौज में बतौर लेफ़्टीनेंट शामिल हुए। नामू बर्मा में अंग्रेज़ों से लड़ते हुए शहीद हुए।

142. नासिर अली मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में लेफ़्टीनेंट शामिल हुए। बलगर के मक़ाम पर बर्मा में अंग्रेज़ी हवाई हमले में शहीद हुए।

143. नेक मुहम्मद – ग्राम बबल ज़िला रोहतक में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में भर्ती हुए। अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए बर्मा में शहीद हुए।

144. नूर मुहम्मद ग्राम कनवल ज़िला झेलम पंजाब में पैदा हुए। मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए बर्मा में शहीद हुए।

145. नूर मुहम्मद आज़ाद हिन्द फ़ौज की दूसरी गोरिल्ला रेजीमेंट में लेफ़्टीनेंट पद पर भर्ती हुए। अंग्रेज़ी हवाई हमले में बर्मा में शहीद हुए।

146. पंजतन- हैदराबाद में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज के पहले बहादुर ग्रुप में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

147. रब रवा ख़ां – जर्मनी में आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

148. रफ़ी मुहम्मद ग्राम बलिया ज़िला हिसार में पैदा हुए। आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए। बर्मा में अंग्रेज़ी फ़ौज से लड़ते हुए शहीद हुए।

149. एम. ए.रहीम मलाया में आज़ाद हिन्द फ़ौज के बहादुर ग्रुप में लेफ़्टीनेंट भर्ती हुए। बर्मा में मोर्चे पर शहीद हुए।

150. ग़ुलाम ईसा ख़ां जर्मनी में आज़ाद हिन्द फ़ौज की पहली बटालियन में शामिल हुए। सितम्बर 1944 में फ़्रांस में शहीद हुए।

*आज़ाद हिन्द फ़ौज के मुसलमान शहीदों की संख्या बहुत ज़्यादा है। सब का यहां उल्लेख किया जाना संभव नहीं है, फिर भी आज़ाद हिन्द फ़ौज के कुछ मुसलमान शहीदों के नाम उपर्युक्त सूची में दिये गए हैं।*

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संदर्भ – फखरे वतन
लेखक फारूक अर्गली
पृष्ठ 480- 496

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संकलन -अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर,टूनकी,संग्रामपूर, बुलडाणा महाराष्ट्र
423338726

 

Ataulla Pathan
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23 जानेवारी जयंती विशेष
*नेताजी’ सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी ज़िन्दगी के आख़री पांच सालो (1941 – 45) मे तीन बड़े सफ़र किये हैं..*.
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पहला सफ़र ➡️1941 को मुहम्मद ज़ियाउद्दीन बन कर कोलकात से काबुल के लिए किया….

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16 जनवरी 1941 कोे सुभाष बाबु पुलिस को चकमा देते हुए एक पठान मोहम्मद ज़ियाउद्दीन के वेश में अपने घर से निकलते हैं जो एक बीमा एजेंट है। रात एक बज कर पैंतीस मिनट पर 38/2, एलगिन रोड, कोलकाता पर एक जर्मन वांडरर कार आ कर रुकी. कार का नंबर था बीएलए 7169. लंबी शेरवानी, ढीली सलवार और सोने की कमानी वाला चश्मा पहने बीमा एजेंट मोहम्मद ज़ियाउद्दीन ने कार का पिछला दरवाज़ा खोला. ड्राइवर की सीट पर उनके भतीजे शिशिर बोस बैठे हुए थे.

सुभाष बाबु ने जानबूझ कर अपने कमरे की लाइट बंद नहीं की. चंद घंटों में ही वो गहरी नींद में सोए कोलकाता की सरहद पार कर चंदरनागोर की तरफ़ बढ़ निकले. वहाँ भी उन्होंने अपनी कार नहीं रोकी. शिशिर बाबु ने उन्हे अपनी गाड़ी से कोलकाता से दूर धनबाद के पास गोमो स्टेशन तक पहुँचाया। गोमोह रेलवे स्टेशन पर कोलकाता की तरफ़ से दिल्ली कालका मेल आती दिखाई दी. वो पहले दिल्ली उतरे. फिर वहां से फ्रण्टियर मेल पकड़कर वे पेशावर पहुँचे। पेशावर में उनका इंतज़ार फॉरवर्ड ब्लॉक के ही मियाँ अकबर शाह कर रहे थे। मियाँ अकबर शाह ने उनकी मेहमान नवाज़ी अपने सबसे क़रीबी दोस्त अबद ख़ान के घर पर की और फिर वहीं उनकी मुलाक़ात मोहम्मद शाह, और किर्ती किसान पार्टी के भगतराम तलवार से करा दी। 26 जनवरी 1941 को भगतराम तलवार के साथ सुभाष बाबु पेशावर से अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल की ओर निकल पड़े। इस सफ़र में भगतराम तलवार रहमत ख़ान नाम के पठान और सुभाष बाबु उनके गूँगे-बहरे चाचा बने थे। पहाड़ियों में पैदल चलते हुए उन्होंने यह सफ़र पूरा किया और आग़ा ख़ान के मुरीदों की मदद से सरहद पार कर काबुल पहुंचे.. काबुल में सुभाष बाबु उत्तमचन्द मल्होत्रा नाम के एक हिन्दुस्तानी ताजिर (व्यापारी) के यहां रहे… रूसी सिफ़ारतख़ाना (दूतावास) मे पनाह नही मिलने के वजह कर उन्होने जर्मन और इटालियन सिफ़ारतख़ानो का दौरा किया और इटालियन सिफ़ारतख़ाने में उनकी कोशिश कामयाब रही। जर्मन और इटालियन ने मिलकर उनकी मदद की। आखिर में आरलैण्डो मैजोन्टा नाम के इटालियन बनकर सुभाष बाबु काबुल से निकलकर रूस की राजधानी मास्को होते हुए जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुँच गए।

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*दुसरा सफ़र➡️ सुभाष बाबु ने 1943 मे आबिद हसन साफ़रानी के साथ जर्मनी से सुमात्रा के लिए पंडुब्बी के ज़रिये तय किया ..*.
हिटलर से मुलाक़ात के बाद 8 फ़रवरी 1943 को जर्मनी के कील बन्दरगाह में वे अपने साथी आबिद हसन सफ़रानी के साथ एक जर्मन पनडुब्बी (U-180) में सवार हो कर पूर्वी एशिया की ओर निकल गये। वह जर्मन पनडुब्बी (U-180) उन्हें हिन्द महासागर में मैडागास्कर के किनारे तक लेकर गयी। वहाँ से वे दोनों 21 अप्रील 1943 को पास मे ही खड़ी जापानी पनडुब्बी (I-29) तक राफ़्ट के ज़रिया पहुँचे। दुसरी जंग ए अज़ीम (द्वितीय विश्वयुद्ध) के दौरान किसी भी दो मुल्कों की नौसेनाओं की पनडुब्बियों के ज़रिया अवाम (नागरिकों) की यह एकलौती अदला-बदली हुई थी। यह जापानी पनडुब्बी (I-29) उन्हें सुमात्रा (इंडोनेशिया) के पेनांग बन्दरगाह तक पहुँचाकर आयी। फिर वहाँ से सुभाष बाबु आबिद हसन के साथ 16 मई 1943 को जापान की राजधानी टोक्यो पहुँचे।

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➡ बोस ने अपना तीसरा और आख़री सफ़र 17 अगस्त 1945 को कर्नल राजा हबीब उर रहमान के साथ सिंगापुर से शुरु किया … इसके बाद उनके साथ क्या हुआ नही पता …

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*कहा जाता है 18 अगस्त 1945 को सुभाष बोस का विमान ईंधन लेने के लिए ताइपे हवाई अड्डे पर रुका था..*
दोबारा उड़ान भरते ही एक ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी थी. बोस के साथ चल रहे उनके साथी कर्नल हबीब उर रहमान को लगा था कि कहीं दुश्मन की विमानभेदी तोप का गोला तो उनके विमान को नहीं लगा है.
बाद में पता चला था कि विमान के इंजन का एक प्रोपेलर टूट गया था. विमान नाक के बल ज़मीन से आ टकराया था और हबीब की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था.
जब उन्हें होश आया तो उन्होंने देखा कि विमान के पीछे का बाहर निकलने का रास्ता सामान से पूरी तरह रुका हुआ है और आगे के हिस्से में आग लगी हुई है. हबीब ने सुभाष बाबु को आवाज़ दी थी, “आगे से निकलिए नेताजी.”

बाद में हबीब ने याद किया था कि जब विमान गिरा था तो नेताजी की ख़ाकी वर्दी पेट्रोल से सराबोर हो गई थी. जब उन्होंने आग से घिरे दरवाज़े से निकलने की कोशिश की तो उनके शरीर में आग लग गई थी. आग बुझाने के प्रयास में हबीब के हाथ भी बुरी तरह जल गए थे.

उन दोनों को अस्पताल ले जाया गया था. अगले छह घंटों तक नेता जी को कभी होश आता तो कभी वो बेहोशी में चले जाते. उसी हालत में उन्होंने आबिद हसन को आवाज़ दी थी.

“आबिद नहीं है साहब, मैं हूँ हबीब.” उन्होंने लड़खड़ाती आवाज़ में हबीब से कहा था कि उनका अंत आ रहा है. हिन्दुस्तान जा कर लोगों से कहो कि आज़ादी की लड़ाई जारी रखें. हिन्दुस्तान जरुर आज़ाद होगा उसे कोई गुलाम बनाये नही रख सकता।

उसी रात लगभग नौ बजे नेता जी ने अंतिम सांस ली थी. 20 अगस्त को नेता जी का अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के पच्चीस दिन बाद हबीबुररहमान नेता जी की अस्थियों को लेकर जापान पहुंचे.
1945 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी का पता लगाने के लिए एक जाँच दल भी बनाया जिसे ये आदेश देकर भेजा गया की अगर बोस जिन्दा मिल जाये तो उन्हें गिरफ्तार करके लाया जाये पर जाँच दल सिर्फ हादसे की खबर लेकर ही वापस लौटा और तबसे लेकर आज तक नेताजी के जिन्दा होने या मर जाने की खबर दुनिया के लिए पहेली बनी हुयी है ।।

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Source -heritage times
Md Umar Ashraf

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Others sources-
https://en.m.wikipedia.org/…/Netaji_Subhas_Chandra_Bose…
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Subhas_Chandra_Bose
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Abid_Hasan
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Raja_Habib_ur_Rahman_Khan
https://en.m.wikipedia.org/wiki/German_submarine_U-180
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Japanese_submarine_I-29
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Death_of_Subhas_Chandra_Bose
http://m.hindustantimes.com/…/story…
http://m.timesofindia.com/…/articleshow/56612114.cms
http://www.cartoq.com/netaji-subashchandra-boses…/
http://narendralutherarchives.blogspot.in/…/jai-hind…
https://scroll.in/…/how-netaji-boses-aide-coined-the…
http://www.thebetterindia.com/…/subhash-chandra-bose…/
http://www.bbc.com/…/150418_subhash_chandra_bose…
https://hubpages.com/…/The-Submarine-Adventure-of…
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संकलन- अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर टूनकी तालुका संग्रामपुर बुलढाणा महाराष्ट्र
9423338726