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….मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा!
Sukhpal Gurjar ==================== सेठ ताराचंद किराना के व्यापारी थे। छोटा सा गाँव था, और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद, माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था। […]
ठिकाने ग़म भी मिरा अब मिरे सिवाय लगे।। मैं चाहता भी यही हूँ कि तेरी हाय लगे।। – दाग़ अलीगढ़ी की चंद ग़ज़लें पढ़िये!
दाग़ अलीगढ़ी ============= आह में बदलती हैं सिसकियाँ भी खुलती हैं।। देखना दिसम्बर में सर्दियाँ भी खुलती हैं।। रफ़्ता रफ़्ता बनता है इश्क़ कीमती मोती, चाहतों की चोटों से सीपियाँ भी खुलती हैं।। जब सियासी रक़्क़सा हुक़्म दे तो क़दमों में, तख्तों-ताज गिरते हैं पगड़ियाँ भी खुलती हैं।। राज़ भी बहुत दिन तक राज़ रह […]
कभी-कभी सोचती हूं कि यदि प्रेम एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति होती तो नहीं छुपाना पड़ता….By-Vanita Banerjee
Vanita Banerjee ============== कभी कभी सोचती हूं कि यदि प्रेम एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति होती तो नहीं छुपाना पड़ता किसी प्रेम में पड़े व्यक्ति को अपनी भावनाएं अपनी इच्छाएं किताबों में छुपा कर रखे उन सूखे फूलों को नहीं छुपा कर रखना पड़ता प्रेम से दो शब्द लिखे हुए खतों को जिन्हें सबकी नजरों से छिपा […]