इतिहास

निज़ाम हैदराबद को भारतीय संघ के साथ विलय करने का मसौंदा तैयार करने वाले स्वतंत्रता सेनानी बाकर अली मिर्जा!

Ataulla Pathan
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7 मार्च यौमे पैदायिश
निजाम नवाब को भारतीय संघ के साथ विलय करने का ऐतेहासिक मसौंदा तयार करने वाले स्वतंत्रता सेनानी बाकर अली मिर्जा

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बाकर अली मिर्ज़ा, जिन्होंने निज़ाम के नवाब को भारतीय संघ के साथ विलय करने की सलाह देने वाले ऐतिहासिक बयान का मसौदा तैयार किया था, उनका जन्म 7 मार्च 1900 को हैद्राबाद

अन्धप्रदेश की राजधानी मे हुवा था।
उन्होंने अपने छात्र काल से साम्राज्यवादी ताकतों का कड़ा विरोध किया। जब वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे, उस वक्त वे छात्र संघ के अध्यक्ष थे। जिसका गठन राष्ट्रवादी विचारधारा वाले छात्रों के एक समूह के साथ किया गया था।बी.ए.(ऑनर्स) खत्म करने के बाद वह फॉरेस्ट सहायक संरक्षक के रूप में निज़ाम सरकार की सेवा में शामिल हुए। उन्हें एक घोषणा पत्र देने के लिए कहा गया की किसी भी ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में भाग नहीं लेगे?

उन्होने नौकरी से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि ये घोषणा पत्र देना उनकी स्वतंत्रता के खिलाफ है। बाद में उन्होंने जनता की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने ट्रेड यूनियन आंदोलन में प्रवेश किया और जूट मिल लेबर यूनियन को मजबूत किया। जिसमें तीन लाख से अधिक सदस्य थे। उन्होंने जूट मिल कर्मचारियों की हड़ताल का नेतृत्व किया और सफलतापूर्वक अपनी मांगों को प्राप्त किया। लेकिन उन्हें हड़ताल के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया और इसलीये उन्हे सलाखों के पीछे काफी लंबी अवधि बितानी पडी। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता से देश की मुक्ति के लिए जोरदार प्रयास किया और 1947 में भारतीय संघ के साथ निजाम राज्य के विलय के लिए सार्वजनिक समर्थन प्राप्त किया। अपने मित्र फरीद मिर्ज़ा,

की सलाह के अनुसार उन्होंने निज़ाम के नवाब को एक खुले पत्र का मसौदा तैयार किया जिसमें भारतीय संघ के साथ विलय की मांग की गई थी। इसे लेटर टू निज़ाम फ्रॉम सेवन रेनोवेड मुस्लिम ’शीर्षक दिया गया था। उसे मिली धमकियों की परवाह किए बिना उर्दू समाचार पत्रों पय्याम और इमरोज़ में प्रकाशित पत्र किया।निज़ाम सरकार, पत्र से चिढ़ गई , उसने उन्हे नज़रबंद कर दिया। सितंबर 1948 में पुलिस की कार्रवाई के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। बकर अली मिर्ज़ा, बाद में-प्रांतीय संसद के सदस्य बने, और 1950 से 1952 तक उस पद पर बने रहे। उन्होंने तुर्की में इस्तांबुल में आयोजित अंतर संसदीय संघ शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 1953 में ननाल नगर में राष्ट्रीय कांग्रेस सत्र मे भारतीय महासचिव के रूप में काम किया।

उन्होंने अफगानिस्तान सरकार के प्रेस सलाहकार के रूप में भी काम किया। बाकर अली मिर्ज़ा, जो 1962-1972 की अवधि के दौरान लोक सभा के सदस्य थे।
ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी ने 1 जनवरी, 1973 को अंतिम सांस ली।

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संदर्भ- 1)THE IMMORTALS
लेखक syed naseer ahmed
2) heritage times

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संकलन तथा अनुवादक लेखक *अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर टूनकी तालुका संग्रामपूर जिल्हा बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726