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मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ…क्या पता हम खुद किसके भाग्य से खा रहे हैँ!
Apna mohalla-अपना मोहल्ला ======== एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का […]
उसके ससुर ने उसकी जेठानी को….ये काजल है लिपस्टिक न समझ लेना…
“अरी कर्मजली ! कहाँ मर गई ? सो गई क्या ? तुझे पता नहीं तेरी लल्ला के उठने का टाइम हो गया है। ढूध लेकर आ।अभी तक चाय नहीं बनी। चूल्हे ने पकड़ लिया क्या ?” चाची की आवाज़ सुनकर ग्लास में चाय डालती छवि के हाथ हल्के से कांपे चाय उसके हाथ पर […]
लघुकथा….*क्या हम अपने बच्चों को कुछ भी नहीं कह सकते*…By-लक्ष्मी कुमावत
Laxmi Kumawat ============= लघुकथा *क्या हम अपने बच्चों को कुछ भी नहीं कह सकते* दो दिन पहले एक बड़ा ही दुखद वाक्या हुआ। परीक्षाओं का सीजन चल रहा है। बच्चों को पढ़ाई पर पूरा ध्यान हो, इस कारण एक पिता ने ऑफिस जाने से पहले अपनी दोनों बेटियों से कहा, ” बेटा अब तुम्हारे एग्जाम्स […]