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यूक्रेन युद्ध में रूस की जीत की संभावना से डरा हुआ है अमरीका : दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूक्रेन पहुंचे-रिपोर्ट

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन युद्ध को जारी रखने के लिए कीव को हथियारों की आपूर्ति जारी रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके बावजूद अमरीका में बाइडन प्रशासन की नीतियों का विरोध बढ़ता जा रहा है।

कीव के प्रति वाशिंगटन की वर्तमान नीति पर लगाम लगाने के लिए, अमरीकी कांग्रेस में उपाय किए जा रहे हैं, हालांकि इस तरह के सभी प्रयास अब तक विफल रहे हैं। गुरुवार को, अमरीकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा बजट विधेयक में संशोधन के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया, जिसे अगर मंज़ूरी मिल जाती, तो यूक्रेन को क्लस्टर युद्ध सामग्री भेजने पर रोक लग जाती।

इससे पहले भी अमरीकी प्रतिनिधि सभा ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रीय रक्षा विधेयक में कई सिनेटरों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को ख़ारिज कर दिया था, जिसके अनुसार यूक्रेन को अमरीकी सैन्य सहायता कम कर दी जाती या पूरी तरह से बंद कर दी जाती। हालांकि इन प्रस्तावों को कांग्रेस के सदस्यों ने बहुमत से रद्द कर दिया है, लेकिन इससे पता चलता है यूक्रेन में युद्ध के प्रति बाइडन प्रशासन की नीति का विरोध बढ़ता जा रहा है।

दरअसल, बाइडन प्रशासन यूक्रेन में ख़ूनी युद्ध को जारी रखने के लिए भरपूर कोशिश कर रहा है। यूक्रेन को क्लस्टर हथियार भेजने का ज़िक्र करते हुए, अमरीकी डेमोक्रेटिक सिनेटर और बाइडन के समर्थकों में से एक बेन कार्डिन कहते हैः मुझे नहीं लगता कि यह एक ऐसा हथियार है, जिसका इस्तेमाल आज किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति के इस क़दम को लेकर मुझे गंभीर चिंता है।

रिपब्लिकन प्रतिनिधियों के बीच यूक्रेन को लेकर बाइडन प्रशासन की नीतियों का विरोध भी बढ़ रहा है। इसके अलावा, लगभग 70 रिपब्लिकन प्रतिनिधियों ने यूक्रेन में क्लस्टर युद्ध सामग्री भेजने का विरोध किया। अमरीकी रिपब्लिकन प्रतिनिधि मार्जोरी टेलर ग्रीन ने यूक्रेन के प्रति जो बाइडन के डेमोक्रेटिक प्रशासन की नीतियों की आलोचना करते हुए व्यंग्यात्मक ढंग से कहा कि यूक्रेन नेटो का सदस्य या अमरीका का 51वां राज्य नहीं है। टेलर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अमरीका को यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ प्रॉक्सी वार में नहीं कूदना चाहिए। बाइडन प्रशासन के आलोचक अमरीकी सांसद यूक्रेन को हथियार भेजने की आलोचना करते हुए कहते हैः इस देश को शांति की ज़रूरत है, युद्ध की नहीं।

दर असल, बाइडन प्रशासन का मानना है कि यूक्रेन युद्ध में रूस की जीत से नेटो की साख ख़राब हो जाएगी और क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस का दबदबा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, यूरोप में सामरिक और सुरक्षा समीकरण, अमरीका के ख़िलाफ़ और रूस के पक्ष में बदल जाएंगे। इसी लिए वह हर क़ीमत पर इस युद्ध में रूस को जीत हासिल करने से रोकना चाहता है।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूक्रेन पहुंचे

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सोक यूल पूर्व घोषणा के बिना यूक्रेनी अधिकारियों से मुलाकात के लक्ष्य से कीव पहुंच गये हैं।

समाचार एजेन्सी फार्स प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह यात्रा एसे समय में हो रही है जब रूसी अधिकारियों ने इस देश के दृष्टिकोणों के खिलाफ दक्षिण कोरिया को बारबार चेतावनी दी है और उस पर यूक्रेन के समर्थन का आरोप लगाया है।

दक्षिण कोरिया के सरकारी संचार माध्यमों ने सिओल में राष्ट्रपति कार्यालय के हवाले से राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के यूक्रेन यात्रा की सूचना दी है। समाचारों में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी पोलैंड के रास्ते यूक्रेन पहुंचे हैं। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने यूक्रेन की राजधानी कीव के समीप बूचा क्षेत्र का निरीक्षण किया। बूचा वह क्षेत्र है जिसके बारे में यूक्रेन और उसके पश्चिमी समर्थकों ने दावा किया था कि रूसी सैनिकों ने वहां पर सामूहिक नरसंहार किया है जबकि रूस ने बारमबार कड़ाई से इस आरोप का खंडन किया है।

अपेक्षा है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति अपने यूक्रेनी समकक्ष से मुलाकात और परस्पर रूचि के विषयों के बारे में बातचीत करेंगे। नाटो नेताओं की हालिया बैठक लिथवानिया में हुई थी जिसमें दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मौजूद थे और इस बैठक के बाद वह आधिकारिक यात्रा पर पोलैंड गये जहां से वह यूक्रेन पहुंचे हैं। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की यूक्रेन यात्रा को रूस- यूक्रेन जंग में यूक्रेन के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।

यूक्रेन के संबंध में दक्षिण कोरिया के समर्थन में वृद्धि एसे समय में हो रही है जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने दक्षिण कोरिया का आह्वान किया था कि वह कीव के प्रति अपने समर्थन में वृद्धि करे। ज्ञात रहे कि पिछले वर्ष नाटो के महासचिव जब दक्षिण कोरिया की यात्रा पर गये थे तब उन्होंने सिओल द्वारा यूक्रेन के समर्थन का मुद्दा उठाया था।

दक्षिण कोरिया ने यूक्रेन के संबंध में जो दृष्टिकोण अपनाया है उस पर रूस ने प्रतिक्रिया जताई है। इसी संबंध में राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन हाउस के प्रवक्ता दिमित्री पिस्कोफ ने दक्षिण कोरिया के दृष्टिकोण पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा है कि दक्षिण कोरिया भी रूस के खिलाफ युद्ध में विरोधी देशों की पंक्ति में शामिल हो गया है।