भारत सरकार हमेशा से कहती आयी है कि वो किसी भी देश के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देती है, इसीलिए दुनियां के देशों को भी भारत के अंदरूनी मामलों में दख़ल नहीं देना चाहिए, वैसे कहने में जो बात कही जाती हैं उनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं होता है, इंसान की आदात है कि ”हर फटे” में अपना पैर घुसा देता है, भारत कहता है कि हम किसी अन्य देश के मामलों में दखल नहीं देते हैं वहीँ हमारे नेता सीना ठोक कर कहते हैं कि ”हमने” भारत ने पाकिस्तान के दो दुकड़े कर दिए और बांग्लादेश बनवा दिया, श्रीलंका की सिविल वॉर के समय में साउथ के राज्यों से खुलेआम चंदा जमा कर श्रीलंका में लट्टे के आतंकवादियों को भेजा जाता था
मणिपुर में हिंसा होते हुए तीसरा महिना शुरू हो गया है, भारत के प्रधानमंत्री ने अभी तक एक शब्द भी इस मामले में नहीं बोला है, शायद मणिपुर को वो चीन समझ बैठे हों, अब ख़बर आ रही है कि मणिपुर की हिंसा पर यूरोपीय यूनियन में चर्चा होगी
मणिपुर में जातीय हिंसा पर बुधवार को यूरोपीय संसद में बहस होने से पहले भारत ने ईयू को साफ संदेश दिया है और कहा कि यूरोपीय संघ सांसदों को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह देश का बिल्कुल आंतरिक मामला है। मणिपुर की स्थिति पर एक प्रस्ताव ब्रुसेल्स स्थित यूरोपीय संघ की संसद में पेश किया गया था और जिस पर बुधवार को बहस की जानी है।
Pu B Lalthlengliana chanting Hlado -(a chant or cry raised by Mizo hunters upon returning from a successful raid) during the Solidarity Demonstration organised by ZORO Headquarters in support of kindred Zo ethnic tribals of #Manipur today on the lawns of Vanapa Hall, Aizawl. pic.twitter.com/BNjaj76Y4X
— miZO zEITGEIST (@mizozeitgeist) July 12, 2023
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि संबंधित यूरोपीय संघ के सांसदों से संपर्क किया और उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह भारत का बिल्कुल आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को पता है कि ब्रुसेल्स में ईयू संसद में क्या हो रहा है। बता दें कि मणिपुर में करीब दो महीने से खासकर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। विपक्षी दल सरकार पर हिंसा रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगा रहे हैं।
https://twitter.com/i/status/1679160412452065280
मणिपुर में तीन मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय झड़पें देखी जा रही हैं। हिंसा और आगजनी की व्यापक घटनाओं से राज्य में संकट गहराता जा रहा है। 140 से अधिक लोग मारे गए हैं और लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हुए हैं। विपक्षी दलों ने राज्यों में हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए केंद्र और मणिपुर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारों की आलोचना की है। उन्होंने राज्य का दौरा नहीं करने या वहां की स्थिति पर टिप्पणी नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की है।
#Manipur – Now meiteis mobs are gathering for fresh violence don't know where they are heading but it's going to be more worse than ever before. #MeiteisMobs #MeiteiTerrorist #ManipurUnrest @rashtrapatibhvn@CNNnews18@IndiaToday@hemantakrnath pic.twitter.com/axmqyOcfVr
— Ratu Munda (@Ratu_Talks) July 11, 2023