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झारखंड : तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में सभी 10 अभियुक्तों को 10–10 साल की सज़ा सुनाई गयी!

झारखंड के चर्चित तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में झारखंड की एक कोर्ट ने दोषी ठहराए गए सभी अभियुक्तों को 10 साल की सज़ा सुनाई है.

झारखंड के सरायकेला ज़िले की कोर्ट ने इससे पहले पिछले हफ़्ते 10 अभियुक्तों को दोषी ठहराया था और दो अभियुक्तों को पर्याप्त सबूत नहीं मिलने पर रिहा कर दिया था.

ये मामला करीब चार साल पुराना है. तब तबरेज़ की चोरी के आरोप में पिटाई की गई थी और बाद में उनकी मौत हो गई थी.

सरायकेला के फर्स्ट एडिशनल सेशन जज अमित शेखर ने सज़ा सुनाई.

कोर्ट ने दोषी ठहराए गए लोगों को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत सज़ा सुनाई.

तबरेज़ अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन ने कहा है कि वो दोषियों को सुनाई गई सज़ा से खुश नहीं हैं और हाई कोर्ट में अपील करेंगी.

वहीं बचाव पक्ष के वकील ने भी कहा है कि वो हाई कोर्ट में अपील करेंगे.

तबरेज़ अंसारी के वकील अलताफ़ अंसारी ने बताया, “जजमेंट में 304 पार्ट वन में दस साल, 325 में तीन साल, 323 में आठ महीने और 295 में एक साल सज़ा दी गई है. इसके साथ दोषियों पर कुछ फाइन भी लगा है. चूंकि इसमें इंटेंशन का एविडेंस नहीं पाया गया, जज साहब का ऑबजर्वेशन है कि मौत चार दिन बाद हुई है इस लिए मारने का इंटेंशन साबित नहीं हुआ.”

चार साल पुराना मामला
इस मामले में तबरेज़ की पत्नी शाइस्ता परवीन ने पुलिस रिपोर्ट दर्ज करायी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला 17 जून 2019 का है. तब जमशेदपुर से अपने गाँव वापस लौट रहे 24 साल के तबरेज़ अंसारी को सरायकेला इलाक़े के धातकीडीह गाँव के कुछ लोगों ने चोरी के आरोप में पकड़ लिया था.

उसके बाद बिजली के खंबे में बाँधकर उनकी पिटाई की गई.

‘जय श्री राम’ के नारे लगवाए गए. फिर अगली सुबह पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस ने उन्हें चोरी के आरोप में जेल भेजा.

वहीं उनकी तबीयत बिगड़ गई और 22 जून को अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी.

सरायकेला झारखंड की राजधानी रांची से करीब 130 किलोमीटर दूर है.

तबरेज़ अंसारी और शाइस्ता की शादी उसी साल अप्रैल मे हुई थी.

बीबीसी के सहयोगी पत्रकार आनंद दत्त को शाइस्ता ने बताया था कि 18 जून की सुबह उन्हें एक फोन आया.

तब दूसरी ओर से उन्हें अपने पति तबरेज़ अंसारी उर्फ़ सोनू की कांपती आवाज़ सुनाई दी, “शाइस्ता मुझे बचा लो. ये लोग मुझे बहुत मार रहा है. रात भर पिटाई किया है.”

ये घटना ज़िले के धातकीडीह गाँव में हुई थी. तबरेज़ कदमडीहा गाँव के रहने वाले थे जहाँ लगभग 1000 घर हैं. इसमें आठ घर हिंदू, बाक़ी सब मुसलमान हैं. दोनों गाँवों में दूरी चार किलोमीटर की है.

इन लोगों को मिली सज़ा

प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल
भीम सिंह मुंडा
कमल महतो
मदन नायक
अतुल महाली
सुनामो प्रधान
विक्रम मंडल
चामू नायक
प्रेमचंद महाली
महेश महाली

दोषियों को मिली सज़ा से खुश नहीं तबरेज़ की पत्नी

मामले के मुख्य अभियुक्त प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल पहले से ही जेल में थे. केस में अभियुक्त बनाए गए कुल 13 लोगों में से एक कौशल महाली की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी.

बाक़ी दो लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

तबरेज़ अंसारी की पत्नी शाइस्ता को इस बात का सुकून है कि उनके पति को इंसाफ़ मिला लेकिन वो सज़ा की अवधि से खुश नहीं हैं.

उन्होंने कहा, “अब मैं हाई कोर्ट जाऊंगी, ज़रूरत पड़ने पर मैं सुप्रीम कोर्ट भी जाने को तैयार हूं. जीवन का एक ही मकसद है कि मेरे पति को इंसाफ़ मिले.”

पिछले चार साल से मामले की पैरवी कर रहीं शाइस्ता ने कहा, “इन चार साल में अपने हसबेंड को इंसाफ दिलाने के लिए मैंने बहुत मेहनत की, जहां भी जाना पड़ा मैं वहां गई. दुनिया भर का सपोर्ट मुझे मिला. लेकिन अपने आप में जो परेशानी है उसे तो मुझे ही झेलना पड़ा है.”

बचाव पक्ष के वकील ने क्या कहा
बचाव पक्ष के वकील एस सी हाज़रा ने कहा, “बचाव पक्ष वकील के तौर पर मैं अदालत के फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हूं. इसलिए मैं भी हाईकोर्ट जाऊंगा.”

प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल की मां की आंखों से सिर्फ़ आंसू बह रहे थे.

वो बमुश्किल इतना कह सकीं कि उनका ‘बेटा निर्दोष है’

वहीं, पप्पू के पिता रामचंद्र मंडल कोर्ट में बहुत नर्वस दिखे. उन्होंने बीबीसी से कहा, “अदालत ने जो भी बोला हम उससे खुश हैं.

शाइस्ता का संघर्ष
तबरेज़ के पुश्तैनी घर से लगभग एक किलोमीटर दूर बेहरासाई गांव में शाइस्ता परवीन का मायाका है. शाइस्ता पति की मौत के बाद से अपने भाई, तीन बहनों और मां-पिता के साथ यहीं रह रही हैं.

शाइस्ता बताती हैं, “घर की आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं थी. पापा पहले टेलर का काम करते थे, लेकिन अब कुछ नहीं करते. लेकिन इस दौरान बहुत से लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए, जिससे आर्थिक मदद मिलती गई.”

ससुराल से कैसे संबंध हैं, इस सवाल पर शाइस्ता कहती हैं, “मुझे ससुराल से कभी कोई सहयोग नहीं मिला. मेरी ये लड़ाई मुझे चार साल ख़ुद लड़नी पड़ी.”

तबरेज़ अंसारी के मामा शोएब खान ने फ़ैसले पर खुशी जाहिर की है.

झारखंड विधानसभा में 21 दिसंबर 2021 को ‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक- 2021’ पारित किया गया.

इस बिल में जुर्माने के साथ संपत्ति की कुर्की और तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान था. लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जाहिर करते हुए इसे संशोधन के लिए वापस झारखंड सरकार के पास भेज दिया. इस वजह से इस विधेयक को कानून के तौर पर आज तक मंज़ूरी नहीं मिली है.

शाइस्ता कहती हैं, “जिस तरह से मॉब लिंचिंग हो रही है, मेरे पति ही नहीं और भी कई लोग हैं जिन्हें मॉब लिंचिंग का शिकार बनाया गया. इसलिए मॉब लिंचिंग पर कानून बनना ज़रूरी है.”

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मोहम्मद सरताज आलम

बीबीसी हिंदी के लिए, सरायकेला झारखंड से

Sadaf Afreen صدف
@s_afreen7
17 जून 2019, तबरेज अंसारी को भीड़ ने चोरी का आरोप लगा कर खम्बे से बांध कर बेरहमी से पीटा था!
JSR के नारे भी लगवाएं थे!

पुलिस जब तबरेज को थाने ले गई, तब वह अधमरी हालत मे था, लेकिन पुलिस ने इलाज न कराया, लॉकप में बंद कर दिया और तबरेज की मौत हो गई!

4 साल बाद तबरेज अंसारी के हत्या मामले मे सरायकेला कोर्ट ने सभी 10 आरोपियों को 10–10 साल की सज़ा सुनाई है!

यह इतना आसान नही था!
तबरेज के हत्यारों को बचाने की कोशिश बहुत हुई थी!

इतना कुछ होने के बाद भी मरहूम तबरेज अंसारी की पत्नी शाईस्ता परवीन ने हार नही मानी, वो लड़ती रही!

और आज कोर्ट ने सभी आरोपियों को सज़ा भी सुना दिया!
लेकिन 10 साल बहुत कम सज़ा है!

ऐसे अपराधियों को उम्रकैद होना चाहिए था!