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स्वीडन में पवित्र क़ुराने मजीद की बेअदबी के बाद फूटा मुसलमानों का ग़ुस्सा, ‘स्वीडिश’ सामान के बहिष्कार का हुआ एलान!

स्वीडन की राजधानी में स्टॉकहोम में मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथ क़ुराने मजीद की बेअदबी के बाद, अरब और इस्लामी देशों में सोशल मीडिया पर स्वीडिश सामान को प्रतिबंधित करने करने लिए एक अभियान चलाया जा रहा है।

ग़ौरतलब है कि बुधवार को ऐसे वक़्त में जब दुनिया भर के मुसलमान या ईदुल अज़हा मना रहे थे या मनाने की तैयारी कर रहे थे, एक बार फिर स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथ क़ुराने मजीद को फाड़ा गया और फिर जलाया गया।

मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथ का अनादर करने वालों का दावा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उन्हें मुसलमानों के पवित्र धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने की अनुमति देती है।

स्वीडिश पुलिस ने 28 जून को मस्जिद के सामने प्रदर्शन के नाम पर एक बार फिर इस्लाम के ख़िलाफ़ इस तरह का अपराध करने की अनुमति दी थी।

मुसलमानों के पवित्र धार्मिक ग्रंथ के अनादर की इस घटना के बाद, दुनिया भर के अधिकांश देशों ने इसकी निंदा की और यूरोपीय देशों से इस तरह के कृत्यों पर लगाम लगाने की मांग की।

ओमान के मुफ़्ती अहमद बिन हमद अल-ख़लीली ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए दुनिया भर के मुसलमानों से स्वीडिश सामान का बहिष्कार करने की अपील की है।