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ग़रीबी का भूत चारों तरफ़ नाच रहा था और वो था कि दौड़े चला जा रहा था….
Nitin Thakur ================== बचपन से उसे मेहनत करने की आदत थी। ना करता तो ज़िंदा बच पाना मुश्किल था। वो अपना देश और शहर छोड़कर परदेस में इसलिए जान खपा रहा था ताकि गरीबी के अभिशाप से जान छुड़ा सके। पांच महीने की जी तोड़ मेहनत के बाद वो फिलाडेल्फिया से ऊबने लगा था। एक […]
वह महज़ 14 साल की थी जब पहली बार घर से भागी…
नज़रबट्टू (अपना अपना नजरिया ) रवि हाल में ही एक ढाबे में मैनेजर की जगह नियुक्त हुआ था | अच्छा खासा ढाबा था और यह नौकरी में बड़ी मुश्किल से उसे मिली थी | जब कोई चीज़ मुश्किल से मिलती है तो उसकी कीमत भी पता चलती है |वो बड़ी सतर्कता से काम में जुटा […]
पुरुष के पैरों की ज़ंज़ीर क्या है?
Sarvesh Kumar Tiwari ================= · पुरुष के पैरों की जंजीर क्या है? दायित्वों का बोझ! परिवार और समाज की उम्मीदों का दबाव! स्वयं से जुड़े हर व्यक्ति की आवश्यक्ताओं को पूरा करने की सहज मासूम जिद्द … मजा यह कि पुरुष अपने पैरों में यह जंजीर स्वयं बांधता है। जीवन भर बंधा रहता है, कभी […]