Tajinder Singh
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सेलेक्टिव पीड़ा….
बुलबुल का एक नन्हा बच्चा अपनी पहली उड़ान में किसी तरह गिरते पड़ते हुए हमारे कमरे में आ पहुंचा। परेशान और सहमा हुआ वो एक कोने में बैठ गया और काफी देर तक वहीं बैठा रहा। लेकिन इस बीच वो बीच बीच एक ऐसी आवाज में चहक रहा था जैसे मां को पुकार रहा हो।
कुछ देर बाद मां पंख फड़फड़ाती हुई कमरे में आ पहुंची। और आकर बच्चे के पास बैठ अपनी चोंच से उसे सहलाने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे मां बच्चे को फिर से उड़ान भरने के लिए हौसला दे रही हो। और बच्चा हौसला जुटा न पा रहा हो।
आखिर माँ कमरे में इधर उधर फुदक कर बच्चे को लाइव डेमोंस्ट्रेशन देने लगी। लेकिन बच्चे ने मां का अनुसरण करने की कोई कोशिश नही की। इस बीच बढ़ती गर्मी के बावजूद हम कमरे का पंखा बंद कर सारा नजारा ले रहे थे। आखिर गर्मी ज्यादा लगी तो हम कमरे से बाहर निकल आये।
https://www.youtube.com/watch?v=tvibVOofwTw
मैंने पत्नी से कह कर थोड़ा पानी और उबले चावल कमरे में रखवा दिए। लेकिन बच्चे ने इनमें कोई रुचि नही दिखाई। शायद बच्चा इस खाने से परिचित ही नही था। अब काफी देर से बच्चे की मां भी गायब थी। और बच्चे ने फिर कातर स्वर में पुकारना शुरू कर दिया था। छोटे बच्चे की ये आवाज काफी दूर तक जा रही थी।
आखिर बहुत देर बाद उसकी माँ कमरे की खिड़की पर फिर नजर आयी। इस बार उसके मुंह मे एक कीड़ा था। माँ के करीब आते ही बच्चे ने अपना मुंह खोल दिया। एक पल को कीड़ा बच्चे के मुंह मे था और दूसरे ही पल उसके पेट के अंदर। बच्चा अब दुबारा मुंह खोल चिल्ला रहा था।
बच्चा शायद बहुत भूखा था। और लगातार मुंह खोल चिल्लाए जा रहा था। माँ फिर फुर्र से उड़ गई और काफी देर बाद एक दूसरा कीड़ा मुंह मे दबाए आ पहुंची। ये देख हमने काफी राहत महसूस की कि चलो अब बच्चा भूखा नही रहेगा। खाकर शायद उड़ने की हिम्मत आ जाये।
कीड़ों का लंच देने के बाद मां ने फिर उसे उड़ने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। मां कमरे में ही इधर से उधर फुदक रही थी। आखिर उसके देखा देखी बच्चे ने भी छोटी छोटी छलांगे लगानी शुरू कर दी। हालांकि ठीक से उड़ वो अभी भी नही पा रहा था। आखिर शाम तक मां की मेहनत और कीड़ों के भोजन ने रंग दिखाया। अब बच्चा छोटी छोटी उड़ान भर रहा था।
https://www.youtube.com/watch?v=rwO_jhDcYX0