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वैगनर ग्रुप क्या है, ये कैसे काम करता है, कौन हैं वेगनर चीफ़ प्रिगोज़िन, जानिये!

प्रिगोज़िन रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के मालिक हैं, बगावत के आरोप में प्रिगोज़िन को 20 साल की सजा हो सकती है।

यूक्रेन युद्ध में इस संगठन की क्या भूमिका रही है?
पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जे के दौरान वैगनर समूह के लड़ाके बड़े पैमाने पर सक्रिय थे। यूक्रेनी सैनिकों का दावा है कि वैगनर लड़ाकों को खुले मैदान में बड़े पैमाने पर हमले के लिए भेजा गया था, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए। युद्ध के शुरुआत में रूसी सेना ने वैगनर समूह के लड़ाई में शामिल होने की पुष्टि नहीं की थी। हालांकि, बाद में इन भाड़े के सैनिकों की साहस की प्रशंसा की थी।

https://www.youtube.com/watch?v=LPeqMyNPQRQ

वैगनर ग्रुप क्या है?
वैगनर समूह को आधिकारिक तौर पर PMC वैगनर कहा जाता है। यह समूह 2014 में पहली बार चर्चा में आया। तब यह समूह पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादियों की मदद कर रहा था। उस समय यह एक गुप्त संगठन था। इस संगठन पर दुनियाभर के अलग-अलग देशों में रूसी सरकार के लिए छद्म युद्ध लड़ने के आरोप लगे। कहा जाता है कि यह संगठन अफ्रीका और मध्य पूर्व में सक्रिय था। खासतौर पर लीबिया, सीरिया, मोजाम्बिक, माली, सूडान और मध्य अफ्रीका के देशों में इस समूह के गृह युद्ध में शामिल होने के आरोप लगे। 2015 से 2018 के बीच वैगनर ग्रुप रूस की सेना और बशर अल-असद की टुकड़ियों के साथ भी लड़ा है।

इस समूह को रूस की निजी सैन्य कंपनी के तौर पर जाना जाता है। पिछले साल युद्ध शुरू होने के बाद रूस की तरफ से इस ग्रुप को यूक्रेन के राष्ट्रपति को ही निशाना बनाने की सुपारी दी गई थी। बताया गया था कि रूस ने किराए पर काम करने वाले हत्यारों के समूह- वैगनर ग्रुप को जेलेंस्की की हत्या का जिम्मा सौंपा था।

https://www.youtube.com/watch?v=X1RiaRqQcUs

कैसे बढ़ा वैगनर समूह?
शुरुआत में इस संगठन के करीब पांच हजार लड़ाके थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती गई। इस वक्त इस समूह के करीब 50 हजार लड़ाके यूक्रेन में रूस की ओर से लड़ रहे हैं। जनवरी में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय की ओर से यह दावा किया गया था। इसमें कहा गया कि 2022 से इस संगठन ने बड़े पैमाने पर लड़ाकों की भर्ती शुरू की है, क्योंकि रूसी सेना में नियमित सैनिकों की भर्ती में मुश्किल हो रही थी।

इसी साल की शुरूआत में अमेरिकी नेशनल सिक्युरिटी काउंलिस ने दावा किया था कि करीब 80 फीसदी वैगनर लड़ाके यूक्रेन युद्ध में हिस्सा ले रहे हैं। दिलचस्प बात है कि रूस में भाड़े की सैनाएं गैर-कानूनी हैं। इसके बाद भी वैगनर समूह एक कंपनी में पंजीकृत है, इसका मुख्यालय सेंट पीटर्सबर्ग में है। इस कथित प्रतिबंध के बाद भी यह संगठन रूस के अलग-अलग शहरों में बड़े पैमाने पर भर्ती कर रहा है।

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किसने की वैगनर समूह की शुरुआत?
रूस के पूर्व सैन्य अधिकारी दिमित्री उत्किन को इस संगठन की शुरुआत करने वाला माना जाता है। रूसी सेना में लेफ्टिनेंट रह चुके उत्किन चेचेन्या युद्ध का भी हिस्सा रहे हैं। इसके साथ ही रूसी खुफिया एजेंसी-जीआरयू में वह काम कर चुके हैं। ऐसा माना जाता है कि उत्किन ने अपने पूर्व रेडियो कॉल साइन के नाम पर समूह का नाम रखा और क्रेमलिन के साथ संबंध बनाए रखा था। हालांकि, रूस की तरफ से इस संगठन से संबंध होने की बात हमेशा से नकारी जाती रही है।

प्रिगोझिन कौन हैं?
इस समूह के मौजूदा प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन एक अमीर व्यवसायी हैं। येवगेनी प्रिगोझिन का जन्म साल 1961 में लेनिनग्राड में हुआ था। लेनिनग्राड को आज हम सेंट पीट्सबर्ग के नाम से जानते हैं। साल 1981 में येवगेनी को मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी का दोषी पाए जाने पर 13 साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि सोवियत यूनियन के पतन के बाद येवगेनी को 9 साल की सजा के बाद ही रिहा कर दिया गया था।

जेल से बाहर आने के बाद येवगेनी ने एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया और हॉट डॉग का स्टॉल लगाया। इसके बाद येवगेनी ने एक रेस्तरां खोला। जल्द ही येवगेनी का रेस्तरां काफी प्रसिद्ध हो गए। येवगेनी के रेस्तरां की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन विदेशी मेहमानों को इस रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाने लगे। इस तरह येवगेनी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के करीब आए। पुतिन से करीबी का फायदा उठाकर येवगेनी प्रिगोझिन ने कैटरिंग का बिजनेस शुरू किया और वह रूसी सेना और स्कूली बच्चों को खाना खिलाने के सरकारी ठेके लेने लगे। इसी के चलते येवगेनी की पहचान पुतिन के रसोइए के रूप में हो गई।

क्या है वैगनर ग्रुप की ताकत?
2017 की ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो वैगनर ग्रुप अब तक रूस के समर्थन से 6000 किराए के हत्यारों की फौज खड़ी कर चुका है। अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक, कागजों पर वैगनर ग्रुप एक निजी संगठन है, लेकिन इसका प्रबंधन और अभियान रूसी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी के जरिए संचालित होने की बात सामने आ चुकी है। यह निजी सेना मिलिट्री के ही पूर्व अधिकारियों और जवानों से मिलकर बनती हैं और सुपारी लेकर लक्षित हत्याएं (टारगेटेड किलिंग) करती हैं। यानी कुल मिलाकर यह भाड़े के सैनिक होते हैं, जिनकी किसी सरकार के प्रति कोई खास जिम्मेदारी नहीं होती।