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2002 गुजरात के नरोदा गाम दंगा मामले में बाबू बजरंगी, माया कोडनानी समेत सभी 68 आरोपी बरी कर दिया : 11 मुस्लिमों की हत्या आसमानी शक्तियों ने की थी? : रिपोर्ट

गुजरात के नरोदा गाम दंगा मामले में अहमदाबाद की कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है। अदालत ने 68 आरोपियों को बरी कर दिया है। गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी आरोपियों में शामिल थे, जिनको बरी किया गया है। माया कोडनानी गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं।

Prabhakar Kr Mishra
@PMishra_Journo
गोधरा कांड के बाद नरोदा गाम में हुए नरसंहार में 11 लोगों को मार दिया गया था.. कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

दोषी कौन ? जाँच अधिकारी या फैसला लिखने वाले जज ? न्याय कौन देगा ?


नरोदा गाम दंगा मामले में अभी क्या हुआ है?
नरोदा गाम दंगा मामले में गुरुवार को फैसला आया। एसआईटी मामलों के विशेष जज एसके बक्शी की अदालत 68 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। बरी होने वालों में गुजरात की पूर्व मंत्री और भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल हैं।

बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि 8 फरवरी 2002 को नरोदा गाम में कुछ हादसे हुए जिसमें 11 लोगों की जान गई थी और कुछ घरों को जलाया गया था। कोर्ट ने 2009 में 86 आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किया था। आज कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

Milind Khandekar
@milindkhandekar
28 फ़रवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाँव में 11 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था. आज विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इनमें माया कोडनानी भी शामिल है जो उस समय गुजरात सरकार में मंत्री थीं. क़ानून की नज़र में उन 11 लोगों की हत्यारा कोई नहीं निकला.

Swati Mishra
@swati_mishr
गुजरात के नरोदा गाम दंगे में स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. यहां 11 मुस्लिमों की हत्या की गई थी. 86 आरोपी थे. इसमें से कुछ की मौत हो चुकी है. आरोपियों में पूर्व मंत्री व भाजपा नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के बाबू बजरंगी, विश्व हिंदू परिषद के जयदीप पटेल भी थे.


क्या है नरोदा गाम दंगा मामला?
27 फरवरी 2002 को कारसेवकों से भरी एक ट्रेन अयोध्या से लौट रही थी, जिसपर हमला कर दिया गया था। गोधरा ट्रेन कांड में 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके एक दिन बाद अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में हिंसा हो गई थी।

28 फरवरी, 2002 को हुई सांप्रदायिक हिंसा में 11 लोग मारे गए थे। इस मामले में 86 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। हालांकि, 86 में से अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। भाजपा नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी 86 आरोपियों में शामिल थे, जिन पर मुकदमा चल रहा था।

दंगे के बाद सरकार ने इस पूरे मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए थे। पूरे केस की जांच करने के बाद एसआईटी की टीम ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था।

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
गुजरात दंगे (2002) के दौरान नरोदा पाटिया में हुए नरसंहार में 97 लोगों की जान गई थी। इस नरसंहार में 36 महिलाएं 35 बच्चे और 26 पुरुषों को दंगाईयों ने बेरहमी से क़त्ल किया था।इस नरसंहार में माया कोडनानी और बाबू बजरंगी भी आरोपी थे, आज अहमदाबाद की विशेष अदालत ने सभी आरोपी बरी कर दिए।

क्या थे आरोप जिनसे बरी हुईं भाजपा नेता कोडनानी?
भाजपा नेता कोडनानी पर गोधरा ट्रेन कांड में मारे गए कारसेवकों की मौत का बदला लेने के लिए नरोदा गाम में भीड़ का नेतृत्व करने और भड़काने का आरोप था। यह घटना 2002 के नौ प्रमुख सांप्रदायिक दंगों के मामलों में से एक है, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी ने की थी।

मामले में कोडनानी पर दंगा और हत्या के अलावा आपराधिक साजिश रचने और हत्या के प्रयास का भी आरोप लगाया गया था। हालांकि, कोडनानी अब सभी आरोपों से बरी हो गई हैं।

बतौर गवाह अदालत में पेश हुए थे अमित शाह
विशेष अभियोजक सुरेश शाह के मुताबिक, अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान क्रमशः 187 और 57 गवाहों का परीक्षण किया और लगभग 13 साल तक चले इस मामले में छह न्यायाधीश सुनवाई कर चुके हैं।

सितंबर 2017 में, भाजपा के वरिष्ठ नेता (अब केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह भाजपा नेता माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में अदालत के समक्ष पेश हुए थे। कोडनानी का दावा है कि वह हिंसा के दौरान गुजरात विधानसभा और सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं न कि नरोदा गाम में जहां नरसंहार हुआ था।

कोडनानी ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि उन्हें यह तथ्य साबित करने का मौका दिया जाए। अभियोजन पक्ष ने पत्रकार आशीष खेतान के एक स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो के अलावा कोडनानी, बजरंगी और एक अन्य व्यक्ति के कॉल डिटेल सबूत के रूप में अदालत में जमा किए थे।

अदालत के समक्ष गवाही के दौरान, शाह ने अदालत को बताया था कि वह 28 फरवरी, 2002 को कोडनानी से गुजरात विधानसभा में गांधीनगर में सुबह करीब 8.30 बजे और उसके बाद अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में सुबह 11 बजे से 11.30 बजे के बीच मिले थे, जिस दिन नरोदा गाम दंगा हुआ था।

हालांकि, चार्जशीट में एसआईटी ने आरोप लगाया था कि कोडनानी सुबह 8.40 बजे विधानसभा से निकलीं और लगभग 9.30 बजे नरोदा गाम पहुंचीं। जांच दल ने यह भी दावा किया था कि कोडनानी के मोबाइल फोन के संकेतों से पता चला कि वह सुबह 10.30 बजे तक मौके पर थीं।

13 साल चला मुकादमा
मामले में 2010 में मुकदमा शुरू हुआ था। स्पेशल एडवोकेट सुरेश शाह ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन पक्ष ने 187 और डिफेंस ने 57 गवाहों की जांच की थी। करीब 13 साल चले मामले में छह न्यायाधीशों- जस्टिस एस एच वोरा
जस्टिस ज्योत्सना याग्निक, जस्टिस के के भट्ट, जस्टिस पी बी देसाई, जस्टिस एम के दवे, जस्टिस पी बी देसाई ने मामले की अध्यक्षता की है।

इन मामलों में दर्ज हुआ था केस
आरोपियों के खिलाफ धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास), धारा 143 (गैरकानूनी सभा), धारा 147 (दंगा), धारा 148 (घातक हथियारों से लैस दंगा), धारा 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 153 (दंगों के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज किया गया था।

Ashok Swain
@ashoswai
All accused in 2002 Gujarat riot cases have been acquitted by the court. Did 2000 Muslims commit suicide in Gujarat during those days? Did aliens come to mass rape Bilkis Bano and murder her family? Did Ehsan Jafri made a bonfire of his house and jumped into it?

https://twitter.com/i/status/1649062651912151040