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ख़बरें फ़िलस्तीन की ; फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने इस्राईल की नाक में दम कर दिया : नेतनयाहू ने कहा कि इस्राईल को हमले का सामना है!

जायोनी शासन के प्रधानमंत्री ने एक प्रेस कांफ्रेन्स में कहा है कि अमेरिका तेलअवीव का पहला स्ट्रैटेजिक घटक है परंतु हम उसे नहीं कह सकते हैं।

समाचार एजेन्सी फार्स प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बिनयामिन नेतनयाहू ने कहा कि इस्राईल को हमले का सामना है और हमारी अध्यक्षता में मंत्रिमंडल शांतिं व सुरक्षा को दोबारा बहाल करेगा और प्रतिरोक्षक शक्ति को बेहतर बनायेगा।

जायोनी शासन के प्रधानमंत्री ने कहा कि सीरिया में हमने ईरानी उद्देश्यों के खिलाफ अमल किया और अगर सीरिया की ओर से मिसाइलों का फायर होना जारी रहा तो असद व्यवस्था को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

Spriter
@Spriter99880
Ansarullah put forward his demands for Saudi Arabia to end the war:
1. Withdrawal of all invaders from Yemen, including from Socotra.
2. Compensation for damages in accordance with the doctrine of “blood money” of the Koran.
3. Reconstruction of all cities, towns and villages

उन्होंने कहा कि हम हमास को कभी भी लेबनान में बुनियादी ढांचा तैयार करने की अनुमति नहीं देंगे और ग़ज्जा पर हमने जो हमला किया उसमें हमास के लिए संदेश है। इसी प्रकार जायोनी शासन के प्रधानमंत्री ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के मंत्री अपने पद पर बाक़ी रहेंगे और हम इस्राईल की सुरक्षा की दिशा में काम करेंगे।

नेतनयाहू ने कहा कि हमने यूक्रेन की मानवता प्रेमी और रक्षा संबंधी सहायता करने का फैसला किया है और यूक्रेन में युद्ध बंद कराने के लिए हम जो कुछ कर सकते हैं करेंगे। इसी प्रकार नेतनयाहू ने प्रेस कांफ्रेन्स में कहा कि ईरान को परमाणु हथियारों की प्राप्ति से रोकना चाहिये।

रोचक बात यह है कि वह इस्राईल ईरान को परमाणुं हथियारों को प्राप्त करने से रोकने की बात रहा है जिसके पास 200 से अधिक परमाणु वार हेड्स हैं और वह क्षेत्र की शांति व सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा हैं जबकि ईरानी अधिकारियों ने बारमबार कहा है कि सामूहिक विनाश और परमाणु हथियारों का उसकी रक्षा नीति में कोई स्थान नहीं है और उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए जारी है

हिज़बुल्ला और हमास के निकट आने से घबराए ज़ायोनी

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हिज़बुल्ला और फ़िलिस्तीन के प्रतिरोध आन्दोलन हमास के नेताओं ने लेबनान की राजधानी बेरूत में कल मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में सैयद हसन नसरुल्ला और इस्माईल हनिया ने क्षेत्रीय परिवर्तनों के साथ ही मस्जिदुल अक़सा में ज़ायोनियों द्वारा की गई हिंसक कार्यवाही पर भी विचार-विमर्श किया।

दोनो नेताओं ने क्षेत्रीय हालिया परिवर्तनों के संदर्भ में प्रतिरोध की क्षमता, तत्परता और परस्पर सहयोग जैसे मुद्दों पर भी वार्ता की। हिज़बुल्लाह के महासचिव और हमास की राजनीतिक शाखा के प्रभारी के बीच भेंटवार्ता एसी हालत में हुई है कि जब अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में अशांति बनी हुई है। हालिया दिनों में लेबनान और सीरिया की ओर से ज़ायोनी शासन की ओर कई राकेट दाग़े गए थे। 6 अप्रैल की शाम को ज़ायोनी संचार माध्यमों ने दक्षिणी लेबनान की ओर से कई राकेट फाएर किये जाने की सूचना दी थी।

इनके अनुसार दक्षिणी लेबनान की ओर से 100 से अधिक राॅकेट, जायोनी कालोनी वासियों की ओर दाग़े गए थे। इससे पहले फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधक गुटों ने घोषणा की थी कि मस्जिदुल अक़सा पर ज़ायोनी सैनिकों के बढ़ते आक्रमण के लिए अब एक जनान्दोलन की ज़रूरत है।ज़ायोनी सैनिकों ने बुधवार की सुबह मस्जिदुल अक़सा से 240 नमाज़ियों को गिरफ़्तार किया था। इन सैनिकों ने फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों के विरुद्ध बल का प्रयोग किया।

अब फ़िलिस्तीनी गुटों के मैदान में आ जाने से कई मोर्चों पर झड़पों की संभावना बढ़ गई है। इसी बीच प्रतिरोधक गुटों की ओर से अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में राकेट और मिसाइल बरसाए जाने से ज़ायोनियों में चिंताएं पैदा हो गई हैं। अवैध ज़ायोनी शासन के कुछ क्षेत्रों पर राकेट और मिसाइल के हमलों के बाद अब इस्राईल के राजनीतिक और सैनिक हल्क़ों में गंभीर चिंता व्याप्त हो गई है। वे अब इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि उत्तरी क्षेत्र में हिज़बुल्लाह से और दक्षिणी क्षेत्र में फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधी गुटों की ओर से हमलों का ख़तरा बढ़ गया है।

उधर अवैध ज़ायोनी शासन ने सैन्य प्रशिक्षण के एक नए प्रस्ताव को पारित किया है जिसके अन्तर्गत कई मोर्चों पर युद्ध में मुक़ाबला करने की बात कही गई है। इस योजना में वहां की सेना की समस्त इकाइयों की भागीदारी अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि ज़ायोनी शासन की सैन्य कमान का मानना है कि वहां की सेना में कई मोर्चों पर युद्ध लड़ने की क्षमता नहीं है। इस शासन को अपनी थल सेना के भीतर पाई जाने वाली समस्याओं से बहुत चिंता है। इसके अतिरिक्त ज़ायोनी शासन को अब प्रतिरोध के ड्रोन और पिन प्वाइंट मिसाइलों का सामना है। इसी के साथ प्रतिरोध के मोर्चे को वह अनुभव भी हासिल है जो उसने आतंकवाद विरोधी अभियान में भाग लेकर हासिल किया है।

हारेत्स के अनुसार इस्राईल को इस समय उन दुश्मनों का सामना है जो उसको हर ओर से घेर चुकेे हैं। यही कारण है कि लेबनान की राजधानी बेरूत में सैयद हसन नसरुल्ला और इस्माईल हनिया की मुलाक़ात ने उसको गंभीर चिंता में डाल दिया है।

फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने इस्राईल की नाक में दम कर दिया

फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने अल-एन कैंप में प्रतिरोध का प्रदर्शन करते हुए अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिकों की प्रगति को रोक दिया है, इससे पहले फ़िलिस्तीनी हैकर्स ने पोस्टल सर्विस और सिंचाई की व्यवस्था को भी हैक कर लिया था।

प्रतिरोधकर्ता गुट अरीन अल उसूद के संघर्षकर्ताओं ने कड़ा प्रतिरोध करते हुए अतिग्रहणकारी सैनिकों को वेस्ट बैंक के फ़िलिस्तीनी कैंप अलएन में दाख़िल होने की अनुमति नहीं दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि नाब्लस क्षेत्र में अरीन अल-उसूद सहित सभी फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूह ज़ायोनी आक्रमण और कार्यों का मुकाबला करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

दूसरी ओर, फ़िलिस्तीन सूचना केंद्र ने कहा है कि प्रतिरोधकर्ता गुटों ने पिछले चौबीस घंटों के दौरान वेस्ट बैंक के विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम इक्कीस ज़ायोनी विरोधी कार्रवाई की हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन ने वेस्ट बैंक के अलग-अलग इलाकों में ज़ायोनी सैनिकों पर फायरिंग की और उन्हें विस्फोटकों से निशाना बनाया।

अलख़लील, नाब्लस, बैतेलहम, अरीहा, तुल्करम और बैतेलहम में किए गए इन ऑपरेशनों के दौरान, फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन ने ज़ायोनी आक्रमणकारियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, नाब्लस शहर में बैतेफ़ोरिक चेक पोस्ट पर फिलिस्तीनी मुजाहिदीन के हमलों और संघर्ष के बाद चेक पोस्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

दूसरी ओर ऐसी खबरें हैं कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सैनिकों ने बैतुल मुक़द्दस के शाफ़ात शहर पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें फ़िलिस्तीनियों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

इस बीच ज़ायोनी शासन की डाक सेवा और सिंचाई व्यवस्था पर फ़िलिस्तीनी साइबर हमलों ने अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के कई शहरों, यानी इस्राईल में जीवन को पंगु बना दिया है और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रही।

ज़ायोनी मीडिया ने भी फ़िलिस्तीनियों के साइबर हमलों को स्वीकार किया है और कहा है कि यहूदी त्योहार के अवसर पर डाक सेवा प्रणाली बुरी तरह अस्त व्यस्त रही है।

पिछले मंगलवार को भी ज़ायोनी सूत्रों ने दस सरकारी संस्थानों पर साइबर हमले की ख़बर जारी की थी। ज़ायोनी शासन के आर्मी रेडियो के अनुसार, साइबर हमलों के बाद हिब्रू विश्वविद्यालय, तेल अवीव विश्वविद्यालय और बारइलान विश्वविद्यालय की वेबसाइटों को भी निष्क्रिय कर दिया गया।

साइबर हमले युद्ध के लिए एक शक्तिशाली और लागत प्रभावी विकल्प बन गए हैं और ज़ायोनी शासन के बुनियादी ढांचों पर विभिन्न समूहों द्वारा साइबर हमले और महत्वपूर्ण सूचनाओं की पहुंच और प्रसार ने इस जाली शासन के साइबर वर्चस्व के मिथक को तोड़ दिया है।

अतिग्रहण ज़ायोनी सेना ने माना है कि सोमवार को हुई झड़प में दो इस्राईली सैनिक घायल हुए हैं।

सफ़ा न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी सेना ने एक बयान में घोषणा की कि इस्राईली सैन्यकर्मी अब्दुर्रहमान अकूबा नामक एक फ़िलिस्तीनी को गिरफ्तार करने के लिए नब्लस में घुसे थे जहां उन्हें फिलिस्तीनियों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा जिसके बाद भयंकर संघर्ष शुरू हो गया।