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ख़बरें फ़िलिस्तीन से : लगातार दूसरे दिन ग़ज्ज़ा पर इस्राईल की बमबारी : मुसलमानों से अंसारुल्लाह की अपील, मस्जिदुल अक़सा की रक्षा को आगे बढ़ें

यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अलहूसी ने मस्जिदुल अक़सा पर हमले की ज़ायोनियों की शैतानी कार्रवाईयों की निंदा करते हुए उनसे मुकाबला करने का अह्वान किया है।

इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अलहूसी ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन करना सभी मुसलमानों का कर्तव्य क़रार दिया और कहा कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के साथ ज़िम्मेदारी से खड़े होकर ज़ायोनी दुश्मन को पराजित किया जा सकता है।

दूसरी ओर, यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के प्रमुख “महदी अल-मश्शात” ने भी मस्जिदुल अक़सा में फिलिस्तीनी नमाज़ियों, रोज़ेदारों और एतेकाफ़ पर बैठे लोगों पर ज़ायोनी सैनिकों के हमले की निंदा की।

ज्ञात रहे कि बुधवार की सुबह ज़ायोनी सैनिकों ने मस्जिदुल अक़सा के प्रांगण में नमाज़ियों और एतेकाफ़ पर बैठे रोज़ेदारों पर हमला किया और उन्हें मस्जिद से बाहर निकालने की कोशिश की।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इन हमलों में 200 से अधिक फ़िलिस्तीनी नमाज़ी घायल हुए जबकि 400 से अधिक फ़िलिस्तीनी रोज़ेदारों को इस्राईली सैनिकों ने गिरफ़्तार कर लिया।

लगातार दूसरे दिन ग़ज्ज़ा पर इस्राईल की बमबारी

इस्राईल के लड़ाकू विमानों ने लगातार दूसरे दिन भी ग़ज्ज़ा पट्टी पर बमबारी की है।

ग़ज्ज़ा पट्टी 2006 से इस्राईल के परिवेष्टन में है, जहां 20 लाख से ज़्यादा की फ़िलिस्तीनी आबादी बड़े संकट में है।

बुधवार को तड़के भी इस्राईली सेना ने ग़ज्ज़ा पर हवाई हमले किए थे। जिसके जवाब में फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधी गुटों ने अवैध ज़ायोनी बस्तियों पर रॉकेट से हमला किया था।

अल-जज़ीरा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक़, गुरुवार की सुबह इस्राईली लड़ाकू विमानों ने एक बार फिर ग़ज्ज़ा में प्रतिरोधी गुटों के ठिकानों को निशाना बनाया।

गुरुवार को तड़के ज़ायोनी सेना के हेलिकॉप्टरों ने ग़ज्ज़ा के ऊपर ऊंची उड़ानें भरीं और रमज़ान के महीने में लोगों में दहशत पैदा करने का प्रयास किया।

मंगलवार को ज़ायोनी सैनिकों ने मस्जिदुल अक़सा में घुसकर नमाज़ियों को मारा-पीटा था और क़रीब 400 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया था।

इस्राईली फ़िल्मकार, इस्राईल अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है

इस्राईल के प्रसिद्ध फ़िल्मकार डैनी बेन मोशे का कहना है कि इस्राईल अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है।

हालिया दिनों में ज़ायोनी शासन में प्रधानमंत्री बिनयामीन नेतन्याहू द्वारा लाए गए विवादास्पद न्यायिक सुधारों के खिलाफ पूरे इस्राईल में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं।

डैनी बेन मोशे का कहना है कि इन बदलावों के चलते अदालतों की स्वतंत्रता पूरी तरह ख़त्म हो जाएगी।

इस्राईल के प्रतिष्ठित फ़िल्मकार डैनी बेन मोशे इस्राईल में हो रहे इन प्रदर्शनों को शूट करके डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं। उन्होंने भारतीय मीडिया द वायर से बात करते हुए कहा कि वर्तमान समय में इस्राईल में इससे अधिक चरमपंथी गठबंधन कभी नहीं रहा, वे जजों की नियुक्ति करना चाहते हैं और उनके पास क़ानून को कुचलने की शक्तियां भी हैं, सुप्रीम कोर्ट काफ़ी एक्टिविस्ट सरीखा रहा है, इसलिए वे इसे पसंद नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा कि ख़ुद नेतन्याहू भी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं और वह खुद को बचाने के लिए कोर्ट को गिराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केवल जनता ही नहीं, बल्कि अर्थशास्त्रियों ने भी चेताया है कि अगर यह बदलाव लाए गए तो कंपनियां इस्राईल छोड़कर चली जाएंगी और मिलिट्री रिजर्विस्ट भी विरोध प्रदर्शन में यह कहते हुए शामिल हो गए हैं कि वे तानाशाही के लिए काम नहीं करना चाहते हैं, यह इस्राईल के लिए आर्थिक और सुरक्षा संकट है।