साहित्य

स्वयं का उत्थान और पतन हमारी ही हाथों में है : लक्मी सिन्हा का लेख!

Laxmi Sinha
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हमारी सोच ही हमारी जीवन के गंतव्य की दिशा
और लक्ष्य निश्चित करती है। स्वयं का उत्थान
और पतन हमारी ही हाथों में है। सकारात्मक विचार
दिव्या ऊर्जा के स्रोत है। जो व्यक्ति इन विचारों
को अंगीकार करता है, वह अपने चारों ओर के
परिवेश को भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
परिणामस्वंरूप उनके संपर्क में आने वाला हर
जीव नई उर्जा से ओतप्रोत हो उठता है।

ईश्वर ने आपको जो भी दिया है, उसमें
सकारात्मकता का दर्शन करें कि यही आपके लिए
श्रेष्ठ है। सदैव यही स्मरण रखें कि ईश्वर दुर्लभ
कार्य करने के लिए विशेष व्यक्तियों का चयन
करते हैं और आप उनमें से एक हैं। आपका ऐसा
सोच आपको हरि कृपा से सराबोर कर देगा। दूसरों
की निंदा करके अपनी उर्जा को व्यर्थ न जाने दें।
इस तरह का चिंतन आपको सत्कर्मों से रोकता है।
सकारात्मकता जब मन पर हावी हो जाती है, तब
हमें सामने वाले के गुण भी अवगुण लगने लगते
है। इसलिए सदा अच्छा सोच, अच्छा देखें और
अच्छा ही बोलें। सदैव इन तीन बातों का अनुसरण
करने वाला व्यक्ति नकारात्मकता से कोसों दूर
जाता है।यह आज के समय की सबसे बड़ी संपत्ति
हैं जिसे सहेजना मानव जाति का धर्म है।

अपने अंदर सकारात्मकता का विकास करने
के लिए स्वयं की स्वयं से पहचान करनी होगी।
जीवन के हर छोटे-बड़े पहलू पर गौर करना होगा।
हर आहट को सुनना होगा, जो आपके अंतर्मन
के भीतर से बाहर आने को छतपटा रही है। मन
पर जो भारी बोझ लगा हुआ है, उसे अपनी मृदु
वाणी के संवाद से मुखरित कर हल्का करना होगा।
अपने को कमतर न आंकते पूरे देश के प्रति निष्ठा
और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना
होगा। स्वयं के नवीनीकरण के प्रयास भी करते
रहने होंगे। यह आकलन भी जरूरी है कि आप
अपनी सर्वशक्ति किस दिशा में निवेश करना चाहते
हैं औरआपको प्रतिफल के रूप में क्या प्राप्त होगा।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी
महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बिहार