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अफग़ानिस्तान में पाकिस्तानी तालेबान के ठिकानों पर हमले, 6 सदस्य मारे गए, अन्य कई घायल!

पाकिस्तान के संचार माध्यमों ने अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान पाकिस्तान के ठिकानों पर हमले की ख़बरें प्रकाशित की हैं।

पाकिस्तानी संचार माध्यमों के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान के ख़ोस्त प्रांत में एक विस्फोट में पाकिस्तान की सरकार के विरोधी गुट टीटीपी के 6 सदस्य मारे गए जबकि कुछ अन्य घायल हो गए।

पिछले महीने अफ़ग़ानिस्तान के कुनर प्रांत में एक झड़के दौरान टीटीपी की शाखा जमाअरे अहरार का एक कमांडर अपने छह साथियों के साथ मारा गया था। हालिया हमला एसी स्थति में हुआ है कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान का एक शिष्टमण्डल तालेबान से मुलाक़ात करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान गया था। उसने तालेबान से टीटीपी के साथ कड़ाई से निबटने की मांग की थी। पाकिस्तान की सरकार का आरोप है कि टीटीपी, उसके सैन्य ठिकानों पर हमले करने में शामिल है। उसका यह भी कहना है कि तालेबान ही टीटीपी को पनाह देते हैं।

अफ़ग़ानिस्तान जाने वाले पाकिस्तान के शिष्टमण्डल के एक सदस्य का कहना है कि इस्लामाबाद के पास इस बाते पुष्ट प्रमाण मौजूद हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के तालेबान टीटीपी को संरक्षण देते हैं। अपना नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने बताया है कि यह प्रमाण हमने तालेबान के हवाले कर दिये हैं।

अशरफ़ ग़नी के काल के सैन्य अधिकारी भारत में भटकते हुए

अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के काल के सैन्य अधिकारी इस समय भारत में भटक रहे हैं।

भारत में अफ़ग़ानिस्तान के सैन्य अधिकारियों के रेज़िडेंस पर्मिट समाप्त होने के बाद यह अधिकारी धर्मसंकट में फंस गए हैं क्योंकि भारत की सरकार उनके एक्सटेंशन में अधिक रुचि नहीं ले रही है।

अफ़ग़ानिस्तान की पूर्व सरकार के कुछ सैन्य अधिकारी जो अशरफ़ ग़नी के शासन काल में भारत गए थे, इस समय अपने रेज़िडेंस पर्मिट की समय अवधि समाप्त हो जाने के कारण अधर में लटके हुए हैं। यह सैन्य अधिकारी अब नई दिल्ली में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि नई दिल्ली में अफ़ग़ानिस्तान का दूतावास इस मामले में बिल्कुल भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है। इन सैन्य अधिकारियों में से एक ने बताया कि हमारे राजदूत हमसे मिलना ही नहीं चाहते हैं।

विशेष बात यह है कि भारत में इस समय अफ़ग़ानिस्तान के जो राजदूत हैं वे अशरफ़ ग़नी सरकार के काल के हैं। अशरफ़ ग़नी की सरकार गिर चुकी है और उसके स्थान पर अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता तालेबान के हाथों में है। तालेबान ने अपनी ओर अभी तक भारत के लिए कोई भी कूटनयिक नहीं भेजा है।

हालांकि अभी कुछ समय पहले भारत में सैन्य प्रशिक्षण लेने वाले अफ़ग़ानिस्तान के सैनिक अपना कोर्स पूरा करके काबुल वापस जा चुके हैं। तालेबान ने उनका स्वागत करते हुए कहा है कि हम उनके अनुभव का लाभ उठाएंगे।