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इस्राईल गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है : रिपोर्ट

चमरपंथी ज़ायोनी पार्टी यहूदी महानता के प्रमुख और बेंजामिन नेतनयाहू की कैबिनेट में आंतरिक सुरक्षा के मंत्री इतमार बिन ग़वीर ने पदभार संभालने के बाद अवैध क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में स्थित ज़ायोनी बस्तियों में बसने वाले ज़ायोनियों को सशस्त्र करना शुरू कर दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप अब ख़ुद ज़ायोनी समाज सशस्त्र टकराव और संघर्ष की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है।

हालांकि ज़ायोनियों को सशस्त्र करने का मुख्य उद्देश्य, फ़िलिस्तीनियों को निशाना बनाना था, लेकिन अब यह वार उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है।

इस्राईल में 8 हफ़्तों से जारी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के बाद, बिन ग़वीर ने तथाकथित न्यायिक सुधारों के क़ानून के विरोधियों को निशाना बनाने का आदेश जारी कर दिया। जिसके नतीजे में कम से कम 11 नेतनयाहू विरोधी ज़ख़्मी हो गए और 30 से ज़्यादा को गिरफ़्तार कर लिया गया।

बिन ग़वीर ने पुलिस का समर्थन हासिल करने के लिए हाल ही में उनके वेतन में इज़ाफ़ा किया है। जिसके बाद से इस बात की आशंका बढ़ गई है कि वह अपने राजनीतिक विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल करेंगे। कुछ ही दिन पहले नेतनयाहू के विरोधियों ने एक सैन्य चौकी से एक टैंक को चुरा लिया था और प्रदर्शनों में इसे प्रदर्शित किया था। वास्तव में अपनी इस हरकत से वे यह संदेश देना चाहते थे कि उनका विरोध सिर्फ़ शांतिपूर्ण नहीं रहेगा, ज़रूरत हुई तो वे सशस्त्र संघर्ष के लिए भी तैयार हैं।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि सेना भी नेतनयाहू के विरोधियों के पक्ष में है, प्रदर्शनकारियों और नेतनयाहू के विरोधियों को हथियारों की आपूर्ति की संभावना बढ़ गई है। अगर बिन ग़वीर के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय पुलिस और नेतनयाहू की सरकार के समर्थकों को मज़बूत और हथियारों से लैस करता है, तो सेना सरकार विरोधियों को सशस्त्र करने में सक्षम है, जिससे आंतरिक टकराव और गृह युद्ध की संभावना बढ़ सकती है।

इस सन्दर्भ में एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि इसमें शामिल दोनों पक्षों के बीच विवाद का विषय यानी न्यायिक सुधार क़ानून ऐसा मुद्दा है, जिसमें समझौते की कोई संभावना नहीं है और इसका निर्णय सिर्फ़ हार-जीत से ही तय होना है। वैसे भी दोनों ही पक्ष इसे अपने लिए ज़िंदगी और मौत के रूप में देख रहे हैं।

न्यायिक सुधार योजना के परिणामों में से एक इस्राईल से निवेश के तेज़ी से बाहर जाने और ज़ायोनियों का पलायन है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ज़ायोनी शासन अगर इस टकराव की ओर आगे बढ़ता है तो इस्राईल अपना 80वां अवैध जन्मदिन नहीं देख पाएगा और यह अवैध शासन उससे पहले ही बिखर जाएगा।