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अभी हाल में कतर की राजधानी दोहा में जो विश्व कप हुआ था उससे इस्राईली पत्रकारों और नागरिकों को अरब दर्शकों ने निकाल दिया था जिससे इस्राईल को बड़े अपमान और शर्मीन्दगी का सामना हुआ था।
अब इस्राईल को एक अन्य अपमान का सामना करना पड़ रहा है। अफ्रीकी देश जिबूती की राजधानी अदीसअबाबा में अफ्रीकी संघ के नेताओं की एक शिखर बैठक हुई और उस बैठक में आधिकारिक निमंत्रण के बिना और चुपके से इस्राईली प्रतिनिधिमंडल उस बैठक में मौजूद था। इस बात पर कई अफ्रीकी देशों के नेताओं ने आपत्ति और विरोध जताया जिसके बाद इस्राईली प्रतिनिधिमंडल को अपमान के साथ इस बैठक से निकाल दिया गया।
अदीसअबाबा में होने वाली शिखर बैठक से जायोनी प्रतिनिधिमंडल को उस समय निकाला गया जब फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री मोहम्मद अश्तिये उद्घाटन भाषण के दौरान अस्ली मेज़ के पीछे बैठे हुए थे और अफ्रीकी देश गर्मजोशी से उनका स्वागत कर रहे थे और वह फिलिस्तीनी सरकार की ओर से भाषण दे रहे थे।
इस्राईली प्रतिनिधिमंडल का निकाला जाना इस बात को सिद्ध करता है कि जायोनी शासन यह दावा नहीं कर सकता कि वह अफ्रीकी संघ का पर्यवेक्षक सदस्य बन गया है। यही नहीं अफ्रीकी देशों की शिखर बैठक से जायोनी प्रतिनिधिमंडल का निकाला जाना इस बात का सूचक है कि जायोनी शासन से दुनिया के देश व राष्ट्र किस सीमा तक नफरत करते हैं।
फिलिस्तीनी गुटों और फिलिस्तीनी राष्ट्र की आकांक्षाओं का समर्थन करने वालों ने जहां अफ्रीक़ी संघ के इस कदम का स्वागत किया है वहीं अफ्रीकी संघ के कदम से जायोनी बहुत क्रोधित हैं। जायोनी शासन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए इसे खतरनाक घटना का नाम दिया और दावा किया है कि इस्राईल का विशेष दूत पर्यवेक्ष था और अफ्रीकी संघ की बैठक में भाग लेने का कार्ड भी उसके पास था।
खेद के साथ कहना पड़ता है कि अगस्त 2021 को अफ्रीकी संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी मूसा फक्की ने इस संघ के दूसरे सदस्यों से विचार- विमर्श किये बिना इस्राईल को अफ्रीकी संघ में पर्वेक्षक के रूप में स्वीकार कर लिया था परंतु अलजीरिया और दक्षिण अफ्रीका ने इस पर आपत्ति जताई तो पर्यवेक्षक के रूप में इस्राईल की सदस्यता को विलंबित कर दिया गया और बाद में अफ्रीकी संघ के सदस्य देशों ने संयुक्त रूप से एक फैसला लिया जिसमें पर्यवेक्षक के रूप में इस्राईल की सदस्यता को खत्म कर दिया गया और अफ्रीकी संघ के सचिवालय की ओर से इससे पहले जो निमंत्रण पत्र इस्राईल को दिया गया था उसे वापस ले लिया गया और एलान किया गया कि अफ्रीकी संघ की बैठक में इस्राईल का कोई भी सदस्य भाग नहीं लेगा परंतु जायोनी शासन ने अफ्रीकी संघ के एलान की अनदेखी की और अपने प्रतिनिधि को अदीसअबाबा भेजा और वह चुपके से बैठक में पहुंच गया।
रोचक बात यह है कि इस्राईल के प्रतिनिधि को अफ्रीकी संघ की उस शिखर बैठक से निकाला गया जिसमें अफ्रीकी देशों के 36 राष्ट्रपति और चार प्रधानमंत्री मौजूद थे।
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