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“एक पागल को पागल बनकर ही सम्भाला जा सकता है”….By-B B Singh
B B Singh =============== पागल को समझना उसके क्रोध को अग्नि के समान वृध्दि करना है पागल को पागल बन कर ही संभाला जा सकता है एक बार एक पढ़ा लिखा पागल, पागलखाने से डॉक्टर के कपड़े चुरा कर भाग निकला। अच्छे कपड़ों में उसका पागलपन दब गया था। चलते-चलते वह एक रेस्त्रां के सामने […]
चप्पलें ठीक रैक पर रखेंगे ये….
रेखा मौर्या =================== घरेलू पुरुष 😊🙏 ये जो सुबह के काम में बंटाते हैं हाथ सब्जी काट लेते हैं यह कहकर कि चलो आज खाना मैं बनाकर खिलाता हूँ बिन कहे ठहर जाते हैं गर्म होते दूध को देख बरतन रख देते हैं ठीक सिंक में उठाने लगते हैं यहाँ-वहाँ बिखरा सामान इन्हें रसोई ही […]
छड़ी की मार…..बस मुझे छूना नहीं कभी भी….कभी भी नहीं….।
संजय नायक ‘शिल्प’ ============= चन्द्ररूपायनम (छड़ी की मार…..) चन्द्र जैसे ही घर से साइकिल निकाल कर बाहर आया , वैसे ही मुहल्ले का आधा पागल लड़का गुल्लू वहाँ आ गया, वो चन्द्र से बहुत लगाव रखता था। गुल्लू का पिता ज्यादा शराब के सेवन से मर चुका था और उसकी माँ घरों में झाड़ू पोंछे […]