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तालेबान को क्यों ख़ुश करने की कोशिश कर रही है मोदी सरकार, जानिये!

एक ओर भारत की मोदी सरकार देश के अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में भारी कटौती करती चली जा रही है वहीं दूसरी ओर उसका लगातार यह प्रयास है कि अफ़ग़ानिस्तान की तालेबान सरकार को किसी भी स्थिति में ख़ुश रखा जाए। यही कारण है कि वर्ष 2023 के बजट में तालेबान पर मेहरबान दिखाई दिए हैं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट से देश का कई वर्ग नाराज़ नज़र आ रहा है। लेकिन वहीं उनके बजट से तालेबान जैसे गुट ख़ुश भी दिखाई दे रहे हैं। तालेबान सरकार ने भारत सरकार के उस फ़ैसले की सराहना की है जिसमें मोदी सरकार ने इस देश की मदद के रूप में 200 करोड़ रुपये देने का फ़ैसला किया है। भारत सरकार ने 1 फरवरी को साल 2023 का बजट पेश कर दिया। इस बजट में अफ़गानिस्तान के लिए 200 करोड़ की राशि की घोषणा की गई थी। यह राशि अफ़ग़ानिस्तान के विकास पर ख़र्च की जाएगी। तालेबान ने भारत सरकार के इस फ़ैसले पर अपनी ख़ुशी व्यक्त की है।

इस बीच मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए धन आवंटन में भारी कटौती की गई है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए पिछले बजट के मुक़ाबले 38 प्रतिशत से अधिक की कमी की गई है। कई स्कॉलरशिप और कौशल विकास योजनाओं के लिए फंड में कटौती हुई है। इसमें अल्पसंख्यक समुदायों के स्टूडेंट्स के लिए प्रोफेशनल और टेक्निकल कोर्स के लिए स्कॉलरशिप भी शामिल है। बजट के सामने आने के बाद भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में निराशा देखने को मिल रही है। इसमें केवल मुसलमान नहीं है बल्कि सिख, ईसाई समेत कई अन्य समुदाय के लोग शामिल हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि यह बात बिल्कुल समझ से बाहर है कि एक ओर मोदी सरकार देश के अल्पसंख्यकों के बजट में लगातार कटौती करती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर वह तालेबान जैसी चरमपंथी सरकार को ख़ुश करने के लिए पैसों की बारिश कर रही। सोशल मीडिया पर लोग इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कह रहे हैं कि क्योंकि आरएसएस और तालेबान की विचारधारा एक है इसीलिए मोदी सरकार उनपर मेहरबान है।