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हमारे भीतर सदैव दो शक्तियां एक _ दूसरे से संघर्षरत रहती है : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़िये!

Laxmi Sinha
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हमारे भीतर सदैव दो शक्तियां एक _ दूसरे से
संघर्षरत रहती है। एक शक्ति हमें उन कार्यों के
लिए कहती है, जो हमें नहीं करनी चाहिए और
दूसरी उन कठिन प्रतीत होने वाले कार्यों की ओर
प्रेरित करती है, जो करनी चाहिए। एक बुराई की
आवाज है और दूसरी भलाई की। किसी बुरी आदत
को दूर करने के लिए हर उस बात की उपेक्षा
करनी चाहिए जिसके कारण वह उत्प्रेरित हुई
है। अपने मन को किसी अच्छी आदत की ओर
मोड़ना चाहिए। तब तक जब तक कि वह आपके
व्यक्तित्व का एक विश्वसनीय अंग न बन जाए।
बुरी आदतें अंतहीन भौतिक इच्छाओं के वृक्ष का
पोषण करती है।,जबकि अच्छी आदतें अध्यात्मिक
आकांक्षाओं के वृक्ष का पोषण करती है।

यदि आपकी मानसिक दशा सामान्यतया:
नकारात्मक है तब यदाकदा आने वाले सकारात्मक
विचार सफलता दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं
होते हैं। वहीं यदि आपकी विचार प्रणाली ठीक
है तो भले ही अंधकार आपको घेरता सा लगे,
नकारात्मक विचार आएं, परंतु आप अपने लक्ष्य
को निश्चित ही प्राप्त कर लेंगे। प्रत्येक वस्तु का
सृजन मन द्वारा होता है।अतः हमें इसे केवल शुभ
सृजन के लिए ही निर्देशित करना चाहिए।

इच्छाशक्ति को क्रियात्मक बनाने के लिए
तीन उपाय हैं। पहला, आप एक साधारण या ऐसे
काम को चुने जिसे आपने कभी नहीं किया हो
और उसमें सफलता का दृढ़ निश्चय करें। दूसरा,
एक उद्देश्य पर ही एकाग्र रहें आप सभी योग्यताओं
एवं अवसरों का प्रयोग उसकी पूर्ति के लिए करें।
तीसरा,आपको आवश्यकता होना चाहिए कि अपने
जो काम चुना है वह रचनात्मक एवं व्यावहारिक
है। फिर असफलता के विचार को सदा के लिए
त्याग दें। स्पष्ट है कि हम जैसे विचार बनाते हैं।
वैसे ही हमें सफलता या असफलता प्राप्त होती है।
अतः हमें अपने विचारों को सदृढ़ रचनात्मक तथा
व्यावहारिक बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)