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नफ़रत के ख़िलाफ़ भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गाँधी को मिलेगा शांति का नोबेल प्राइज़?,, वीडियो देखें!

 

जालंधर में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सिद्धू मूसेवाला के पिता भी पहुंचे, राहुल ने गले से लगाया

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 24 घंटे तक निलंबित रहने के बाद रविवार दोपहर फिर से शुरू हुई। जालंधर के खालसा कॉलेज मैदान से शुरू हुई यात्रा में गायक सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह भी राहुल गांधी के साथ कुछ दूर तक चले। सिद्धू मूसेवाला की पिछले साल मई में पंजाब के मानसा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, विधायक परगट सिंह और पार्टी के अन्य नेताओं ने भी भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया।

कपिल सिब्बल का बड़ा आरोप : न्यायपालिका पर कब्जा करने का प्रयास कर रही सरकार

राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। सिब्बल ने कहा कि सरकार न्यायपालिका पर कब्जा करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी स्थिति बनाने की पूरी कोशिश कर रही है, जिसमें एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में दूसरे स्वरूप में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का परीक्षण किया जा सके।

सिब्बल ने केशवानंद भारती फैसले के सिद्धांतों को बताया अहम
74 वर्षीय नेता सिब्बल ने केशवानंद भारती के फैसले के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को बहुत अहम बताया और कहा कि सरकार को चुनौती दी कि वह खुले तौर पर यह कहे कि यह फैसला त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने दावा किया कि सरकार इस तथ्य से सामंजस्य नहीं बैठा पा रही है कि उसके पास न्यायपालिका में नियुक्तियों में उसकी बात अंतिम नहीं है।

‘दूसरे स्वरूप में एनजेएसी का परिक्षण करने के लिए स्थिति बना रही सरकार’
एक इंटरव्यू में पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसी स्थित बनाने की पूरी कोशिश कर रही है, जिसमें एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में दूसरे स्वरूप में एनजेएसी का परिक्षण किया जा सके। सिब्बल की यह प्रतिक्रिया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की हालिया टिप्पणी के बाद आई है।


उपराष्ट्रपति ने कॉलेजियम प्रणाली पर दी थी ये प्रतिक्रिया
धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी को रद्द करने के फैसले की आलोचना की थी। उपराष्ट्रपति ने 1973 के केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले पर भी सवाल खड़े किए थे और कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की और वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमत हो सकते हैं कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन मूल संरचना में नहीं।


एनजेएसी अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट ने बताया था असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में एनजेएसी अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था, जिसका उद्देश सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बदलना था। धनखड़ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया पूछने पर सिब्बल ने कहा, जब एक उच्च संवैधानिक प्राधिकारी और कानून के जानकार व्यक्ति इस तरह की टिप्पणी करते हैं, तो सबसे पहले यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या वह व्यक्तिगत राय रख रहे हैं या सरकार की ओर से बोल रहे हैं।

धनखड़ की टिप्पणी पर सिब्बल ने कही ये बात
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, इसलिए मुझे नहीं पता कि वह किस हैसियत से बोल रहे हैं, सरकार को इसकी पुष्टि करनी होगी। अगर सकरकार सार्वजनिक रूप से कहती है कि वह उनके विचारों से सहमत है तो इसका एक अलग अर्थ है।